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सरकार सख्त:पांच साल की सोशल स्कीमों का ऑडिट कराएगी पंजाब की कैप्टन सरकार, 2 माह में आएगी रिपोर्ट, 100 करोड़ की कृषि योजनाओं की जांच विजिलेंस को सौंपने की तैयारी

सोशल वेलफेयर स्कीमों में गड़बड़ी को लेकर सरकार को लगातार मिल रहीं शिकायतें गलत तरीके से फायदा लेने वालों के साथ कर्मचारी पर भी दर्ज होगा केस,

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सरकार को अब अपनी ही सोशल वेलफेयर स्कीमों पर शक होने लगा है। जिसके बाद अब सरकार ने अपनी सोशल स्कीमों का ऑडिट करवाने का फैसला लिया है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन सोशल स्कीमों में कितने लोग स्कीमों का गलत तरीके से फायदा उठा रहे हैं। इन सोशल स्कीमों से जुड़े विभागों के पास लगातार ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि जो लोग इन स्कीमों के दायरे में भी नहीं आ रहे हैं इन स्कीमों का फायदा उठा रहे हैं।

एक तरीके से ऐसे लोग असली लाभ पात्रों का हक डकार रहे हैं। लेकिन अब सरकार ने ऐसे लोगों पर सख्ती करने का फैसला कर लिया है। इन सोशल स्कीमों के ऑडिट के बारे में सरकार ने समय सीमा भी तय कर दी है। जिसके बाद इन लोगों पर सरकार द्वारा कार्रवाई करने के साथ एफआईआर भी दर्ज करवाई जाएगी।

हाल ही में सामने आया था कि बुढ़ापा पेंशन स्कीम के तहत ऐसे लोग भी पेंशन ले रहे थे जो कि बुढ़ापा पेंशन लेने के दायरे में भी नहीं आ रहे है। पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप को लेकर सरकार ने 900 से अधिक कॉलेजों का ऑडिट कराया और 250 कॉलेजों द्वारा हेरा-फेरी करने का मामला सामने आए थे। इस योजना के तहत सरकार ने 500 करोड़ रुपए की हेरा-फेरी होने की आशंका जताई थी।

घर-घर जाकर अधिकारी करेंगे जांच

सरकार ने चल रही सभी सोशल स्कीमों के तहत फायदा लेने वाले लाभपात्रियों की जांच करवाने के लिए 2 महीने की समय सीमा तय की है। दो महीने में अधिकारी ग्राउंड लेवल पर जाकर चेक करेंगे कि जो लोग इन स्कीमों का फायदा उठा रहे हैं वह सच में इन स्कीमों का फायदा लेने के हकदार हैं भी या नहीं। सरकार गरीब लोगों तक इन स्कीमें का फायदा देना चाहती है लेकिन कुछ लोगों की मिलीभगत से यह फायदा उन लोगों तक नहीं पहुंच पाता है। इसके लिए 5 साल का आडिट होगा जिसमें विभाग के कर्मचारी एक-एक लाभपात्र की जांच करेंगे।

गैर लाभपात्र से वसूली जाएगी पूरी रकम जबसे सरकारी योजना का उठा रहा होगा लाभ

सरकार ने फैसला लिया है कि आडिट के दौरान जो लोग गलत तरीके से स्कीमों का फायदा लेते पाए गए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के साथ इन लोगों का नाम लाभपात्रियों की लिस्ट में शामिल करने वाले अधिकारी या कर्मचारी पर भी एफआईआर दर्ज कराने के साथ विभागीय कार्रवाई होगी। इसके अलावा जब से लाभपात्र बन फायदा उठा रहा है तब से अब तक बनती राशि भी वसूली जाएगी।

ये चल रहीं सूबे में मुख्य सोशल स्कीमें
1. आटा दाल स्कीम
2. चाय पत्ती चीनी स्कीम
3. शगुन स्कीम
4. बुढ़ापा,विधवा पेंशन
5. एसिड अटैक पीडित पेंशन
6. पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप
70 हजार लोग अवैध तरीके से ले रहे थे पेंशन, ये सब अकालियों की देन
‘कैप्टन को पूछो’ फेसबुक लाइव ऑडीशन के दौरान होशियारपुर के युवक ने 162.35 करोड़ के पेंशन घोटाले पर सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सवाल पूछा। इस पर सीएम ने कहा कि लगभग 70,000 लोग धोखाधड़ी से पेंशन ले रहे थे। ऐसे नकली लाभपात्रियों से वसूले जाने वाले 162.35 करोड़ रुपए से असली लाभपात्रों की सहायता की जाएगी।
सरकार बनने के बाद सामाजिक सुरक्षा लाभों की सूची में 6 लाख योग्य लाभपात्रियों को शामिल किया है और उन अयोग्य लाभपात्रियों को बाहर किया है, जो कि पिछली अकाली-भाजपा सरकार की छत्र-छाया के नीचे धोखाधड़ी से सामाजिक सुरक्षा का लाभ ले रहे थे। ज्यादातर नकली, फर्जी लाभपात्री बादल परिवार के हलकों से संबंधित हैं।

इन्होंने 2017 की असेंबली मतदान से पहले वोटरों को फर्जी तौर पर सामाजिक सुरक्षा पेंशन व वित्तीय सहायता की रिश्वत दी, परंतु यह अलग बात है कि यह ओछे ढंग से मतदान में अकालियों के किसी काम न आए और उनका सफाया हो गया। सबसे अधिक संगरूर में 12 हजार से अधिक अयोग्य लाभपात्री मिले हैंं।

सख्ती:अकाली-भाजपा कार्यकाल में हुई गड़बड़ियों पर कैप्टन सरकार सख्त,

  • कमेटी बनाई जाएगी, गड़बड़ी मिलने पर अधिकारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई

पंजाब सरकार ने अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में किसानों के लिए पेश करीब 100 करोड़ रुपए की कृषि योजनाओं का किसानों को भरपूर लाभ नहीं मिलने संबंधी सीएम कार्यालय के पास पहुंच रही शिकायतों के आधार पर जांच विजिलेंस ब्यूरों को सौंपने की तैयारी कर ली है। सीएम ऑफिस से मिली जानकारी के मुताबिक फैसले पर शनिवार को मुहर लगनी थी लेकिन अब सरकार सोमवार को इस पर फैसला ले सकती है।

विजिलेंस यह जांच करेगी कि सभी स्कीमों के लाभपात्रों और अफसरों से भी रिकाॅर्ड की जांच की जाएगी कि किन स्कीमों का लाभ किस क्षेत्र में कब और कितना दिया गया। अगर कोई अफसर चाहे रिटायर हो गया है, उसकी गड़बड़ी में भूमिका पाई गई तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

जांच के लिए विजिलेंस समेत विभाग के विभिन्न अधिकारियों के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई जाएगी। विभिन्न योजनाओं की जानकारी देने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। सीएम ऑफिस ने करीब 2 हफ्ते समय सीमा तय की है। यह भी पता लगाया जाएगा कि कितने पैसे केंद्र से आए व किसानों को कितने बांटे गए।

पीएयू की कारगुजारी भी विजिलेंस के राडार पर

पंजाब में कृषि से जुड़ी योजनाएं पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा भी कुछ संचालित की जाती हैं। वहां संबंधित कृषि अधिकारी उन योजनाओं पर काम करते हैं और फिर राज्य के किसानों को आवंटित करते हैं। इसमें बीज तैयार करना, किसानों की फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए काम करना आदि विभिन्न स्कीमों पर काम किया जाता है। इसके लिए केंद्र द्वारा फंड मुहैया कराया जाता है। इसके चलते यूनिवर्सिटी व कृषि अधिकारी विजिलेंस ब्यूरो के राडार पर आ सकते हैं।

कृषि विभाग और यूनिवर्सिटी के 8 अफसरों पर होगी कार्रवाई
पिछले दिनों बीज घोटाले की चाहे अभी तक जांच चल रही है, लेकिन विजिलेंस ब्यूरो की पांचवीं जांच रिपोर्ट में करीब पीएयू व कृषि विभाग के 8 अधिकारी शक के दायरे में आ गए हैं। इनसे विजिलेंस पूछताछ करेगी और रिकॉर्ड की पड़ताल करेगी।

कौन-कौन सी स्कीम केंद्र की ओर से प्रायोजित है

  • सिंचाई योजनाएं, ताकि हर किसान के खेत को पानी मिल सके, इसके लिए केंद्र फंड मुहैया कराता है।
  • फसलों के लिए बीजों पर सब्सिडी दी जाती है, ताकि किसानों की लागत कम हो सके।
  • कृषि में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न उपकरणों के लिए ऋण मिलता है, जिसमें केंद्र फंड देता है।
  • कृषि में इस्तेमाल होने वाली खाद/यूरिया मुफ्त दी जाती है।
  • फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाले पेस्टीसाइड्स के लिए भी सब्सिडी दी जाती है।
  • कोल्ड स्टोर, वेयर हाउस आदि बनाए जाते हैं ताकि किसानों की फसले सुरक्षित रह सकें।
  • किसानों को डेयरी विकास के लिए ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
  • किसानों को मस्त्य पालन के लिए भी ऋण दिया जाता है ताकि वे यह कार्य कर अपनी आय बढ़ा सकें।

-इन योजनाओं के लिए केंद्र द्वारा फंड मुहैया कराया जाता है, जिसका लाभ पिछली अकाली भाजपा सरकार में किसानों तक नहीं पहुंचा है।

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