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7 दिन के औसत पर कोरोना के नए केस 1 लाख से कम हुए, जानें पहली लहर के मुकाबले कितनी तेजी से घटे मामले और राज्यों में कैसे सुधर रहे हालात

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कोरोना की दूसरी लहर नरम पड़ गई है। रोजाना आ रहे मामले लगातार छठवें दिन एक लाख के नीचे रहे। इससे शनिवार को सात दिन के औसत केस का आंकड़ा भी एक लाख के नीचे आ गया। ऐसा 66 दिन बाद हुआ। 11 फरवरी को दूसरी लहर शुरू होने के 55 दिन बाद यानी 7 अप्रैल को ये आंकड़ा एक लाख के पार गया था।

पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर कम लंबी खिंची। पहली लहर में 10 जून को सात दिन के औसत केस 10 हजार के पार पहुंचे। 49 दिन बाद 30 जुलाई को ये आंकड़ा 50 हजार को पार कर गया। 17 सितंबर को पहली लहर पीक पर पहुंची। 27 अक्टूबर को यानी 89 दिन बाद दोबारा 50 हजार से नीचे केस आए।

आइए आंकड़ों से समझते हैं कि कोरोना केस के आंकड़े 10 या 12 हजार से शुरू होकर कैसे 4 लाख के पार पहुंचे? फिर ये कैसे 1 लाख से नीचे आ गए और इस दौरान मौत का आंकड़ा क्या रहा?

पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में तेजी से कम हुए मामले

पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में मामले तेजी से बढ़े और उतनी ही तेजी से कम भी हो रहे हैं। पहली लहर में 50 हजार मामले से पीक और वापस 50 हजार से कम मामले होने में 89 दिन लगे थे। वहीं, दूसरी लहर में एक लाख से पीक 3.9 लाख और वापस एक लाख से कम मामले होने में सिर्फ 66 दिन लगे।

20 राज्यों में पॉजिटिविटी रेट 5% से कम हुआ

WHO के मुताबिक जहां 5% से कम पॉजिटिविटी रेट होता है, वहां कोरोना कंट्रोल में रहता है। देश के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पॉजिटिविटी रेट 5% से कम हो गया है। वहीं, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड में ये 1% से भी कम है। इस वक्त सबसे ज्यादा 14.2% पॉजिटिविटी रेट केरल में है। केरल के अलावा गोवा, नगालैंड, मेघालय, तमिलनाडु और सिक्किम में भी पॉजिटिविटी रेट 10% से ज्यादा है।

सबसे ज्यादा एक्टिव केस कर्नाटक में

देश में सबसे ज्यादा संक्रमित महाराष्ट्र में हैं, लेकिन इस वक्त कर्नाटक में सबसे ज्यादा एक्टिव केस हैं। कर्नाटक और तमिलनाडु में दो लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं। वहीं, महाराष्ट्र में इस वक्त डेढ़ लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं। इसके अलावा केरल में भी एक लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं। गुरुवार तक आंध्र प्रदेश में भी एक लाख से ज्यादा एक्टिव केस थे हालांकि शुक्रवार को ये एक लाख से नीचे आ गए।

अमेरिका की तुलना में चार गुना तेजी से घटे भारत में मामले
अमेरिका में पीक से वापस एक लाख से कम केस होने में 113 दिन लगे थे, जबकि भारत में महज 34 दिन में दूसरी लहर पीक पर पहुंच कर वापस एक लाख से कम केस पर आ गई है। वहीं, दुनिया के तीसरे सबसे संक्रमित देश ब्राजील में दूसरी लहर का पीक 27 मार्च को आया था। तब वहां, 77 हजार से ज्यादा मामले आए। लेकिन, ढाई महीने बाद भी ब्राजील में रोज औसतन ढाई लाख से ज्यादा केस आ रहे हैं।

उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा सबसे संक्रमित राज्य हैं। इन सभी राज्यों में हालात तेजी से सुधर रहे हैं। यहां तक कि, उत्तर प्रदेश, दिल्ली में तो पॉजिटिविटी रेट आधा फीसदी से भी नीचे आ गया है। सिर्फ राजस्थान अकेला राज्य है जहां 500 से ज्यादा केस आ रहे हैं। बाकी सभी राज्यों में रोज आने वाले केस सौ से तीन सौ के बीच हो चुके हैं।

दक्षिण भारत में कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सबसे संक्रमित राज्य हैं। कर्नाटक में इस वक्त देश में सबसे ज्यादा एक्टिव केस हैं। वहीं, बाकी चार सबसे संक्रमित राज्यों की बात करें तो तमिलनाडु में इस वक्त सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं। यहां तक की सबसे ज्यादा एक्टिव केस वाले कर्नाटक में भी तमिलनाडु से कम मौतें हो रही हैं। वहीं, तेलंगाना में सबसे ज्यादा तेजी से हालात सुधर रहे हैं।

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