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5 राज्यों के नतीजे LIVE:खेला तो नंदीग्राम में होबे; पहले 1200 वोटों से ममता की जीत का ऐलान, फिर 1622 वोटों से हराने का भाजपा का दावा; EC कह रहा- ममता 1453 वोटों से आगे

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कोरोना के रिकॉर्ड मामलों के बीच 62 दिन चली चुनाव प्रक्रिया के बाद रविवार को बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के चुनाव नतीजे आए। तीन राज्य बंगाल, केरल और असम में बदलाव नहीं हुआ। यानी बंगाल में तृणमूल, केरल में LDF और असम में भाजपा ही सरकार बनाएगी, जो पहले से थी। हां, तमिलनाडु में जरूर बदलाव होता दिख रहा है। वहां द्रमुक और कांग्रेस सरकार बनाने के करीब है। पुडुचेरी में मामला जरूर फंस रहा है।

नंदीग्राम में खेला और झमेला
इन पांचों राज्यों के नतीजों पर अकेली नंदीग्राम सीट का फैसला भारी पड़ गया। ‘खेला’ और झमेला भी यहीं होता दिखा। बंगाल की इस सीट से खुद सीएम ममता बनर्जी मैदान में थीं। उनका मुकाबला अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में गए शुभेंदु अधिकारी से था।

शाम साढ़े चार बजे खबर आई कि नंदीग्राम में ममता 1200 वोटों से जीत गई हैं, लेकिन करीब डेढ़ घंटे बाद शाम 6 बजे भाजपा की IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया कि ममता जीती नहीं, बल्कि 1,622 वोटों से हार गई हैं। उधर, चुनाव आयोग की वेबसाइट अलग ही आंकड़े बताती रही। रात 9:30 बजे की स्थिति के मुताबिक, ममता इस सीट से अभी शुभेंदु से 1,453 वोटों से पीछे हैं।

बंगाल के पूरे चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा इसी सीट की रही। तृणमूल छोड़कर भाजपा में आए शुभेंदु ने कहा था कि वे 50 हजार वोटों से जीतेंगे और अगर हार गए तो राजनीति छोड़ देंगे।

क्या ममता ने भी हार कबूल की?
ममता के बयान से जाहिर हो रहा है कि नंदीग्राम में उनकी हार हुई है। कोलकाता में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ममता ने कहा कि नंदीग्राम के बारे में फिक्र मत करिए। मैंने नंदीग्राम के लिए संघर्ष किया। वहां के लोग जो भी तय करते हैं, मैं उसे स्वीकार करती हूं।

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5 राज्यों के क्विक अपडेट्स और नतीजों के मायने
1. बंगाल

कुल सीटें: 294 (वोटिंग 292 सीटों पर हुई)
बहुमत: 148 (292 सीटों के लिहाज से 147)
कौन जीता: तृणमूल कांग्रेस

नतीजों के मायने

  • यह तृणमूल की हैट्रिक और ममता के नेतृत्व पर मुहर है। तृणमूल को सीटों का भी कोई खास नहीं हुआ।
  • 1972 से अब तक बीते 49 साल में बंगाल में यह 11वां चुनाव है और जो पार्टी जीत रही है, उसका 200+ सीटों का ट्रेंड बरकरार है। सिर्फ एक बार 2001 में लेफ्ट को 200 से 4 सीटें कम यानी 196 सीटें मिलीं।
  • भाजपा के लिए साइकोलॉजिकल एडवांटेज यही है कि वह 5 साल में 3 सीटों से बढ़कर 70 सीटों के पार हो गई है और नंदीग्राम में उसने ममता को चौंका दिया है।
  • भाजपा के लिए बड़ा नुकसान यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में वह 126 विधानसभा क्षेत्रों में आगे थी। 2 साल में उसने 40 से ज्यादा सीटों पर यह मजबूती गंवा दी।
  • लेफ्ट और कांग्रेस का बंगाल में एक तरह से सफाया ही हो गया। शाम तक की काउंटिंग में दाेनों का खाता नहीं खुल पाया।
  • इस बार 8 विधायकों सहित 16 दलबदलू भी हार गए। बाबुल सुप्रियो सहित BJP के तीन सांसद हार की कगार पर आ गए।

2. असम
कुल सीटें
: 126
बहुमत: 64
कौन जीता: भाजपा+

नतीजों के मायने

  • मौजूदा चुनावों में असम ही इकलौता ऐसा राज्य था, जहां पार्टी सत्ता बचाने के लिए लड़ रही थी।
  • भाजपा की इस जीत ने असम में इतिहास रच दिया, क्योंकि उससे पहले यहां 70 साल में कभी किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी नहीं की।
  • इन नतीजों ने यह बता दिया कि NRC यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स और CAA यानी सिटिजन अमेंडमेंटशिप एक्ट का मुद्दा भाजपा को नुकसान नहीं पहुंचा पाया।
  • यह दावा इसलिए भी पुख्ता हो जाता है, क्योंकि पिछली बार 12 सीटें जीतकर भाजपा को सत्ता दिलाने में मदद करने वाले बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट इस बार कांग्रेस और लेफ्ट के साथ था। इसके बावजूद भाजपा को नुकसान नहीं हुआ।
  • कोरोना के मुद्दे पर घिरती भाजपा सरकारों के बीच एक राज्य में सत्ता बचाने वाले सर्बानंद सोनोवाल का अब भाजपा में कद बढ़ेगा।

3. तमिलनाडु
कुल सीटें
: 234
बहुमत: 118
कौन जीता: द्रमुक+कांग्रेस

नतीजों के मायने

  • यहां पहली बार जयललिता और करुणानिधि के बगैर विधानसभा चुनाव हुए। द्रमुक की इस जीत ने यह तय कर दिया कि करुणानिधि के बेटे एमके स्टालिन अब द्रविड़ राजनीति के सबसे बड़े हीरो होंगे।
  • करुणानिधि और जयललिता दोनों ही राजनीति में आने से पहले फिल्मी सितारे थे, जबकि स्टालिन गैर-फिल्मी चेहरा हैं।
  • जयललिता की गैरमौजूदगी में अन्नाद्रमुक के पास सिर्फ सीएम पलानीस्वामी के तौर पर एक चेहरा था, लेकिन उनके सामने स्टालिन ज्यादा वजनदार साबित हुए।
  • राज्य में एमजीआर के दौर के बाद हर 5 साल में सत्ता बदल जाने का ट्रेंड कायम है।
  • मौजूदा चुनावों में कांग्रेस की अगुआई वाला UPA सिर्फ तमिलनाडु में ही मजबूत होता दिखा। इसी के साथ UPA की अब 6 राज्यों में सरकार होगी। इससे पहले वह पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और झारखंड में सत्ता में है।

4. केरल
कुल सीटें: 140
बहुमत: 71
इस बार कौन जीता: LDF

नतीजों के मायने

  • केरल के वोटरों ने पिछले 8 चुनाव से एक बार लेफ्ट और एक बार कांग्रेस को सत्ता देने का अपना ट्रेंड तोड़ दिया।
  • कांग्रेस के करुणाकरन के बाद लेफ्ट के पिनाराई विजयन ऐसे दूसरे नेता होंगे, जो लगातार दूसरी बार सीएम बनेंगे।
  • यहां माना जा रहा था कि वोटिंग से 10 दिन पहले लेफ्ट की अगुआई वाला LDF प्रचार में पिछड़ गया है, लेकिन नतीजों पर इसका असर नहीं दिखा।
  • राहुल ने केरल में तमाम छोटी रैलियां, रोड शो किए। उनके दम पर ही आम चुनाव में कांग्रेस ने यहां की 20 में से 19 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार वे UDF को सत्ता नहीं दिला पाए।
  • बंगाल से साफ हो चुके लेफ्ट ने केरल में जीत के साथ अपना एक बड़ा गढ़ बचाए रखा है।

5. पुडुचेरी
कुल सीटें
: 30
बहुमत: 16
इस बार कौन जीता: AINRC+भाजपा

नतीजों के मायने

  • यहां चुनाव से ठीक दो महीने पहले यानी फरवरी में हुआ दलबदल कांग्रेस को भारी पड़ गया। राष्ट्रपति शासन लगने के बाद हुए इस चुनाव में कांग्रेस वापसी नहीं कर सकी।
  • AINRC के अध्यक्ष एन रंगास्वामी यहां सीएम पद के दावेदार हैं। वे पहले भी सीएम रह चुके हैं।
  • कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के बाद पुडुचेरी दक्षिण का ऐसा तीसरा राज्य होगा, जहां भाजपा सरकार में शामिल होगी।

प्रतिक्रियाएं: मोदी की बधाई, प्रशांत किशोर का संन्यास

चुनाव नतीजों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर 8 पोस्ट कीं। इनमें पहली पोस्ट ममता बनर्जी के नाम थी। मोदी ने उन्हें बधाई दी और कोराेना के खिलाफ लड़ाई में केंद्र की ओर से हरमुमकिन मदद का भरोसा दिलाया।

तृणमूल कांग्रेस के पोल स्ट्रैटजिस्ट रहे प्रशांत किशोर ने दिसंबर में ही कहा था- बंगाल में भाजपा डबल डिजिट पार नहीं कर पाएगी, वही हुआ भी। 10 साल के 9 चुनावों में 8वीं बार सही साबित होने के बाद प्रशांत ने रविवार को चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि वे अब वे चुनावी रणनीति बनाने का काम नहीं करना चाहते। वे चाहते हैं कि उनकी टीम के बाकी साथी अब इस काम को संभालें।

उधर, तृणमूल के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने नतीजों के बाद भाजपा पर तंज कसा। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में उन्होंने एक सूत्र का जिक्र किया। इसमें एक तरफ भाजपा के साथ, सीबीआई, ईडी, चुनाव आयोग, मीडिया, पैसे और दलबदलुओं का जिक्र किया है। दूसरी ओर ब्रायन ने कहा कि इन सब पर ममता, तृणमूल कार्यकर्ताओं और बंगाल की जनता भारी पड़ी है।

बंगाल का ट्रेंड: 2001 को छोड़कर बीते 49 साल में हर बार जीतने वाली पार्टी को 200+ सीटें मिलीं

साल पार्टी/मोर्चा सीटें
2016 टीएमसी 211
2011 टीएमसी+कांग्रेस 228
2006 लेफ्ट फ्रंट 233
2001 लेफ्ट फ्रंट 196
1996 लेफ्ट फ्रंट 203
1991 लेफ्ट फ्रंट 245
1987 लेफ्ट फ्रंट 251
1982 लेफ्ट फ्रंट 238
1977 लेफ्ट फ्रंट 231
1972 लेफ्ट फ्रंट 216

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