30:30:40 फॉर्मूले पर एकमत नहीं CBSE कमेटी:जिस फॉर्मूले से 12वीं के बच्चे पास होंगे, उस पर जमकर बहस हुई थी, देर रात तक ऑनलाइन मीटिंग चलती थी
12वीं के स्टूडेंट्स को जिस 30:30:40 फॉर्मूले से पास किया जा रहा है, उस पर CBSE की कमेटी एकमत नहीं थी। 17 जून को सुप्रीम कोर्ट में फॉर्मूला पेश होना था और 16 जून तक कमेटी मेंबर इसे बदलने के लिए बहस कर रहे थे। 13 सदस्यीय कमेटी में CBSE स्कूलों से आए 2 प्रतिनिधि और कुछ अन्य सदस्य फॉर्मूले से सहमत नहीं थे। 13 लोगों की कमेटी में से 9 नाम सामने आए थे, हमारी इनमें से 5 से बात हुई। कोई भी सदस्य अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहता था। बातचीत से निकले मुख्य बिंदुओं को हम यहां रख रहे हैं…
12वीं की हिस्सेदारी 40% नहीं 50% चाहते थे कमेटी कुछ सदस्य
CBSE के 30:30:40 पर सुप्रीम कोर्ट मुहर लगा चुका है। इस बार 12वीं के बच्चों को थ्योरी में मिलने वाले नंबर में 30% नंबर 10वीं से, 30% नंबर 11वीं से और 40% नंबर 12वीं के मिड टर्म और यूनिट टेस्ट के नंबर्स के आधार दिए जाएंगे। इस फॉर्मूले को बनाने वाली कमेटी दो हिस्सों में बंट गई थी। खासकर ब्यूरोक्रेट्स और CBSE, NCERT और UGC के प्रतिनिधियों में।
ब्यूरोक्रेट्स नई शिक्षा नीति को आधार बनाकर इस फॉर्मूले को सही बता रहे थे, लेकिन एजुकेशन बैकग्राउंड के प्रतिनिधियों का मानना था कि स्टूडेंट्स के मूल्यांकन में अधिकाधिक 12वीं के मार्क्स को ही महत्व दिया जाए। दरअसल, नई शिक्षा नीति स्टूडेंट्स की मार्किंग के लिए 12वीं में एक बार सालाना परीक्षा को आधार बनाने के बजाए उनके पुराने और सेशन के दौरान किए गए प्रदर्शन के आधार पर नंबर देने की पक्षधर है।
लेकिन कुछ कमेटी मेंबर्स का तर्क था कि अभी वह नीति लागू नहीं हुई है, न ही छात्र इसके लिए मानसिक तौर पर तैयार होंगे कि उन्हें 10वीं और 11वीं के मार्क्स आधार पर 12वीं के नंबर मिलेंगे। इसलिए 10वीं और 11वीं के नंबर के आधार पर होने वाली मार्किंग को कम से कम रखा जाए। इसलिए दूसरे हिस्से का मत था कि 12वीं के मार्क्स की हिस्सेदारी 40% के बजाए कम से कम 50% हो।
फॉर्मूले के बाद स्टूडेंट के 25 नंबर घटाने या बढ़ाने की छूट के बाद बनी सहमति
30:30:40 फॉर्मूले को लेकर असहमति को 25 नंबर री-अरेंज करने की खास छूट से सुलझाया गया। CBSE, NCERT और UGC के प्रतिनिधियों को डर था कि मौजूदा फॉर्मूले में कई इंटेलिजेंट बच्चों को नंबर्स और औसत बच्चों के नंबर्स में फर्क नहीं रह जाएगा। इसलिए कमेटी ने हर विषय में 5 नंबर घटाने या बढ़ाने की खास छूट दी गई है। फॉर्मूले से मिले नंबर के बाद स्टूडेंट की परफॉर्मेंस को देखते हुए स्कूल रिजल्ट में 25 नंबर तक रीअरेंज कर सकता है। इस नियम के बाद कमेटी मेंबर्स में फॉर्मूले को लेकर आपसी सहमति बन गई थी।
रिजल्ट में गड़बड़ी हो गई तो जिम्मेदार कौन होगा? इस सवाल पर खूब माथापच्ची हुई
फॉर्मूला तय होने के बाद इस सवाल पर कमेटी के कुछ लोगों में खूब चर्चा हुई कि फॉर्मूले से निकले रिजल्ट में अगर किसी स्टूडेंट का रिजल्ट गड़बड़ आए तो जिम्मेदारी किसकी होगी? दरअसल, अब तक रिजल्ट बनाने का पूरा काम CBSE के पास था। किसी भी गड़बड़ी पर स्टूडेंट सीधे बोर्ड में आवेदन करते थे, लेकिन इस बार स्कूल रिजल्ट बना रहे हैं। ऐसे में जिम्मेदारी भी स्कूलों की होनी चाहिए।
लेकिन कमेटी में स्कूल के प्रतिनिधियों का मत था कि स्कूल रिजल्ट बनाने में बोर्ड की मदद कर रहे हैं। असल में रिजल्ट तो बोर्ड ही बना रहा है, इसलिए गड़बड़ियों की जिम्मेदारी भी बोर्ड को ही लेना चाहिए। यहीं से हर स्कूल में एक रिजल्ट कमेटी बनाने का प्रस्ताव आया।
इसमें हर स्कूल में एक रिजल्ट कमेटी होगी। इसमें स्कूल प्रिंसिपल, स्कूल के 2 टीचर और 2 टीचर किसी दूसरे स्कूल के होंगे। बाहरी टीचर को ऑब्जर्वर की भूमिका दी जाएगी। बोर्ड भी अपनी ओर से हर स्कूल की निगरानी के लिए एक अधिकारी नियुक्त करेगा। इसके बाद भी अगर रिजल्ट में गड़बड़ी हुई तो इसकी जिम्मेदारी स्कूल की होगी। इस बार रिजल्ट में गड़बड़ी के मामले के लिए बोर्ड जिम्मेदार नहीं होगा।
14 दिनों में कमेटी के किसी भी मेंबर ने 1 भी छुट्टी नहीं ली
पीएम मोदी ने 1 जून को परीक्षाएं रद्द की थीं। CBSE ने 4 जून को ये कमेटी बनाई थी। इसके बाद 17 जून को सुप्रीम कोर्ट में स्टूडेंट्स को पास करने की नीति पेश की गई। इस दौरान 14 दिन में कमेटी के सभी 13 मेंबर्स में से एक ने भी छुट्टी नहीं ली। लगातार काम और कोरोनाकाल के कारण कई बार ऑनलाइन मीटिंग करनी पड़ी।
एक कमेटी मेंबर कहते हैं कि कई बार देर रात तक मीटिंग चलीं, लेकिन सबका मकसद एक ही था कि बच्चों का किसी प्रकार का नुकसान नहीं होना चाहिए। रिजल्ट 31 जुलाई को जारी होगा।
ये हैं कमेटी के वो 13 लोग
- विपिन कुमार 1996 बैच बिहार कैडर के IAS अधिकारी
- उदित प्रकाश 2007 बैच AGMUT कैडर के IAS अधिकारी
- निधि पांडे 1991 बैच की IIS अधिकारी
- विनायक गर्ग 1995 बैच के इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स (IRSEE) के अधिकारी
- रुबिंदर सिंह ब्रार चंडीगढ़ के एक पीसीएस अधिकारी हैं
- पीके बनर्जी शिक्षा विभाग में बतौर DDG सांख्यिकी कार्यरत हैं। वे 1993 बैच के इंडियन स्टैटिस्टिकल सर्विस (ISS) अधिकारी हैं
- डॉ. अंतरिक्ष जौहरी, CBSE में आईटी विंग के डायरेक्टर हैं
- डॉ. जोसेफ एमानुल, CBSE में डायरेक्टर (एकेडमिक्स) हैं
- डॉ. संयम भारद्वाज CBSE में एग्जाम कंट्रोलर हैं
- CBSE स्कूलों के 2 प्रतिनिधि
- NCERT चेयरमैन के प्रतिनिधि
- UGC चेयरमैन के प्रतिनिधि