3 जून को केरल, 28 तक पंजाब पहुंचेगा मानसून, इस साल सामान्य बारिश के आसार, जानें आपके राज्य में कब पहुंचेगा और कितनी होगी बारिश?
इस बार मानसून तय वक्त से दो दिन देरी से 3 जून को केरल पहुंच सकता है। मौसम विभाग ने पहले इसके 31 मई को केरल पहुंचने के आसार जताए थे। हालांकि, इसमें भी 4 दिन आगे पीछे होने का अनुमान था। रविवार को मौसम विभाग ने कहा कि मानसून 3 जून को केरल पहुंचेगा। जबकि केरल से पंजाब का सफर यह 25 दिन में तय करेगा। ये अंडमान निकोबार द्वीप समूह के आसपास पहुंच चुका है। वहीं केरल में 3 दिनों से प्री-मानसूनी बारिश हो रही है। मौसम विभाग के डीजी एम मोहपात्रा मंगलवार को मानसून को लेकर दूसरा अनुमान जारी करेंगे।
आने वाले कुछ महीनों में आप बार-बार मानसून, बारिश, सामान्य बारिश, औसत बारिश, कम बारिश जैसे शब्द सुनते रहेंगे। आइए समझते हैं कि आखिर मानसून होता क्या है, कैसे बनता है, आपके राज्य में ये कब आएगा और इस बार आपके राज्य में कितनी बारिश हो सकती है…
मानसून होता क्या है
एक क्षेत्र में चलने वाली हवाओं की दिशा में मौसमी परिवर्तन को मानसून कहते हैं। इस वजह से कई बार बारिश भी होती है या कई बार गर्म हवाएं भी चलती हैं।
भारत के संदर्भ में देखा जाए तो हिंद महासागर और अरब सागर से ये हवाएं भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आती हैं। ये हवाएं ठंडे से गर्म क्षेत्रों की तरफ बढ़ते हुए अपने साथ पानी वाले बादल भी लाती हैं जो भारत के साथ-साथ पाकिस्तान, अफगानिस्तान में भी बारिश करवाते हैं। भारत में जून से सितंबर तक मानसूनी हवाएं चलती रहती हैं।
इस बार कैसा रहेगा मानसून?
वेदर एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक, पूरे भारत में मानसून के 4 महीनों के दौरान औसत 880.6 मिलीमीटर बारिश होती है, जिसे लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) कहते हैं। यानी 880.6 मिलीमीटर बारिश को 100% माना जाता है। इस साल 907 मिलीमीटर बारिश होने की संभावना है। यानी पूरे देश में मानसून सामान्य या बेहतर रह सकता है। अगर एजेंसी का अनुमान सही साबित होता है तो भारत में लगातार तीसरे साल ये अच्छा मानसून होगा। मौसम विभाग ने भी इस साल पूरे देश में औसतन बारिश सामान्य होने का अनुमान जताया है। विभाग ने कहा है कि पूरे देश में LPA के 96 से 104% तक बारिश होने का अनुमान है।
क्या मानसून के लेट आने से बारिश पर फर्क पड़ेगा?
नहीं। मानसून के लेट या जल्दी आने से पूरे सीजन के दौरान होने वाली बारिश पर कोई असर नहीं पड़ता।
मानसूनी हवाएं बनती कैसे हैं?
- गर्मी के दिनों में जमीनी इलाकों की गर्म हवा ऊपर उठने लगती है इस वजह से जमीनी इलाकों में लो प्रेशर एरिया बनने लगता है
- इसके विपरीत समुद्र में हाई प्रेशर एरिया बनने लगता है क्योंकि जमीन के मुकाबले वहां ठंड ज्यादा होती है।
- समुद्र की ये हवा लो प्रेशर इलाकों यानी जमीन की तरफ बढ़ने लगती है। ये हवाएं अपने साथ समुद्र की नमी भी ले आती हैं। इन्हें ही मानसूनी हवाएं कहा जाता है।
- भारत में ये हवाएं 2 दिशाओं से आती हैं। दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व। हवाओं की दिशा के आधार पर ही दक्षिण-पश्चिमी और दक्षिण-पूर्वी मानसून कहा जाता है।
- 15 सितंबर से मानसून भारत के उत्तर पश्चिम भागों से विदा लेना शुरू करता है तथा 15 अक्टूबर तक मानसून पूरी तरह विदा हो जाता है।
क्या मानसून से बस भारत में ही बारिश होती है?
नहीं। दुनिया की करीब 60% आबादी मानसून से होने वाली बारिश वाले इलाकों में रहती है। इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका जैसे महाद्वीप भी शामिल हैं। भारत में भी जो मानूसन आता है उससे केवल भारत ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार समेत पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में बारिश होती है।
रिट्रीटिंग मानसून क्या होता है?
स्काईमेट के वाइस प्रेसिडेंट महेश पालावत के अनुसार, सर्दियों में एक और मानसून बनता है जिसे उत्तर-पूर्वी मानसून कहते हैं। यह अक्टूबर से दिसंबर के बीच में होता है। उस समय हवाओं की दिशा उल्टी हो जाती है तथा उत्तर पूर्व से बहने लगती हैं। बंगाल की खाड़ी से बहने वाली उत्तर पूर्वी हवाएं तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश के भागों में बारिश देती हैं। तमिलनाडु को उत्तर पूर्वी मानसून के समय ही अधिक बारिश मिलती है।
बारिश को मापते कैसे हैं?
1662 में क्रिस्टोफर व्रेन ने ब्रिटेन में पहला रेन गॉग बनाया था। यह एक बीकर या ट्यूब के आकार का होता है जिसमें रीडिंग स्केल लगा होता है। इस बीकर पर एक फनल होती है, जिससे बारिश का पानी इकट्ठा होकर बीकर में आता है। बीकर में पानी की मात्रा को नापकर ही कितनी बारिश हुई है ये पता लगाया जाता है। ज्यादातर रेन गॉग में बारिश मिलीमीटर में मापी जाती है।
मानसून या मौसम से जुड़ी जानकारी के लिए आप मौसम विभाग की वेबसाइट https://mausam.imd.gov.in. को चेक कर सकते हैं। इसके साथ ही मेघदूत, दामिनी, उमंग और रेन अलार्म जैसी एप पर भी आप मौसम की जानकारी चेक कर सकते हैं। मौसम विभाग ने किसानों को SMS अलर्ट की सुविधा भी दी है।
http://imdagrimet.gov.in/farmer/FarmerRegistrationFrontpage/welcome.php
आप इस लिंक पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं जिसके बाद मौसम संबंधी सभी जानकारी आपको SMS के द्वारा भेजी जाएगी।