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स्वतंत्र अमेरिका के 245 साल:गुलामों ने बनाया था आजादी की बात करने वालों के लिए व्हाइट हाउस, रोज 100 एकड़ पिज्जा खा जाते हैं अमेरिकी

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दुनिया का सबसे ताकतवर देश संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) आज अपनी डिक्लेरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस यानी स्वतंत्रता की घोषणा की 246वां सालाना समारोह मना रहा है। चार जुलाई, 1776 को कॉन्टिनेटल कांग्रेस ने 13 अमेरिकी उपनिवेशों की ब्रिटेन के राजा किंग जॉर्ज तृतीय से स्वतंत्रता और एकजुट होने की घोषणा की।

हालांकि इस घोषणा पर कांग्रेस ने दो दिन पहले यानी दो जुलाई 1776 को वोटिंग की थी, मगर घोषणा चार जुलाई को की गई थी।

तो आइए दुनिया के इस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की आजादी के दिन जानते हैं उससे जुड़े बातें जो सभी को हैरान कर दें…

आज का दिन अमरीका के लिए बेहद खास है। 4 जुलाई 1776 को आज के दिन अमरीका ब्रिटेन से आजाद हुआ। ब्रिटिश शासन से छुटकारा पाने के लिए साल 1775 में संघर्ष शुरू हुआ। इसके अगले ही साल में यह आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम में तब्दील हो गया। 7 जून, 1776 ई. को वर्जीनिया के रिचर्ड हेनरी ली ने प्रायद्वीपी कांग्रेस में यह प्रस्ताव रखा कि उपनिवेशों को स्वतंत्र होने का अधिकार है। “स्वतंत्रता की घोषणा” का पत्र तैयार करने के लिए 11 जून को एक समिति बनाई गई, जिसने यह कार्य थॉमस जेफरसन को सौंपा गया। जेफरसन ने इसमें कुछ संसोधन कर 8 जून को प्रायद्वीपी कांग्रेस के समक्ष प्रस्ताव पेश किया गया जो दो जुलाई को बिना विरोध के पास हो गया।

1775 – 1783 के दौरान निर्णायक हुए युद्ध

अमरीका में क्रांति की अवधि साल 1775 – 1783 के बीच मानी जाती है। इस दौरान ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने के लिए कई छोटे-बड़े युद्ध भी हुए। 1781 में अमरीकी और फ्रांस की सेनाओं ने मिलकर इंग्लैंड की सेना को हरा दिया। इस युद्ध में बड़ी संख्या में दोनों तरफ से सैनिक मारे गए। अपनी हार के बाद ब्रिटेन ने अमरीका पर अपना दावा करना छोड़ दिया।

जार्ज वाशिंगटन को मिली अमरीका की कमान

अमरीकी क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जार्ज वाशिंगटन ने अमरीकी सेना का नेतृत्व करते हुए ब्रिटिश सेना पर फतह हासिल की। आधुनिक अमरीका के जनक कहे वाले वाशिंगटन ने ही अमरीकी उपनिवेशों को एकत्रित किया जिसे संयुक्त राज्य अमरीका का नाम दिया गया। जार्ज वाशिंगटन को ही 1789 में अमरीका का पहला राष्ट्रपति चुना गया। जार्ज का अमरीका में महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि वाशिंगटन शहर उनके नाम पर ही रखा गया है। आज भी अमरीका में उनके नाम का सिक्का चलता है।

ग्रेट ब्रिटेन और उपनिवेशों के बीच का टकराव था अमरीकी क्रांति का सबसे बड़ा कारण

इतिहास में अमरीका की क्रांति कुछ और नहीं, बल्कि ग्रेट ब्रिटेन और उसके उपनिवेशों के बीच का आपसी टकराव था, जो आर्थिक हितों को लेकर पैदा हो गया था।

नई दिल्ली। वैश्विक घटनाओं में अमरीकी क्रांति का जिक्र सबसे पहले किया जाता है। इतिहास में अमरीका की क्रांति कुछ और नहीं, बल्कि ग्रेट ब्रिटेन और उसके उपनिवेशों के बीच का आपसी टकराव था, जो आर्थिक हितों को लेकर पैदा हो गया था। लेकिन कई मायनों में यह उस सामाजिक व राजनीतिक व्यवस्था के खिलाफ भी लोगों का आक्रोश था, जिसका महत्व अमरीका में पहले ही समाप्त हो गई थी। अगर संपूर्ण अर्थों में कहें तो अमरीका की क्रांति एक ही साथ आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक अनेक शक्तियों का संयुक्त का परिणाम थी।

 

दरअसल, अमरीका में आकर बसने वाले अप्रवासी इंग्लैंड के लोगों के अपेक्षा कहीं अधिक स्वतंत्रता प्रेमी थी। जिसका सबसे बड़ा कारण यह था कि यहां का समाज यूरोप की तुलना में कहीं अधिक समतावादी था। इसके अलावा अमरीकी समाज की एक विशेषता सामंतवाद एवं अटूट वर्ग सीमाओं की अनुपस्थिति भी थी। असल में अमरीकी समाज में उच्चवर्ग के पास राजनीतिक एवं आर्थिक शक्ति कम थी, जबकि इसके विपरीत ब्रिटिश समाज के पास ये शक्तियां काफी अधिक थी। वहीं अमरीका में अधिकांश किसानों के पास जमीनें थी जबकि ब्रिटेन में सीमांत काश्तकारों एवं भूमिहीन खेतिहर मजदूरों की संख्या काफी अधिक थी। असली तकराव वहां से शुरू हुई जब नए महाद्वीप पर बसने वाले अप्रवासी ब्रिटिश कानून एवं संविधान के अनुसार कार्य करने लगे थे। इस समाज की अपनी अपनी राजनीति संस्थाएं थी।

 

दोषपूर्ण शासन व्यवस्था

दोषपूर्ण शासन व्यवस्था भी अमरीकी क्रांति का एक बड़ा कारण बनी। यहां औपनिवेशिक शासन को कंट्रोल करने के लिए ब्रिटिश सरकार एक गवर्नर की नियुक्ति करती थी। इस गवर्नर को सहायता देने के लिए एक कार्यकारिणी समिति भी होती थी। इस समिति के सदस्यों को ब्रिटिश ताज ही नियुक्त करती थी। इसके अलावा शासन व प्रशासन काम को अंजाम देने के लिए एक विधायक सदन/एसेम्बली होती थी। इस सदन में जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि होते थे। यहां कानूनों को स्वीकार करना व रद्द करने का अधिकार गवर्नर को ही था। इस व्यवस्था से उपनिवेशों की जनता में असंतोष पैदा हो गया।

अमरीका का स्वतंत्रता संग्राम: मानवता के इतिहास का अहम पड़ाव

मानव की प्रगति में अमरीका के स्वतंत्रता संग्राम को एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है। इस क्रांति के फलस्वरूप नई दुनिया में न केवल एक नए मजबूत देश का जन्म हुआ बल्कि मानव जाति के इतिहास में एक नए युग का सूत्रपात हुआ।

नई दिल्ली। 4 जुलाई को संयुक्त राज्य अमरीका के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।मानव की प्रगति में अमरीका के स्वतंत्रता संग्राम को एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है। इस क्रांति के फलस्वरूप नई दुनिया में न केवल एक नए मजबूत देश का जन्म हुआ बल्कि मानव जाति के इतिहास में एक नए युग का सूत्रपात हुआ। अमरीका के स्वतंत्रता संग्राम का महत्व विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। इस क्रांति का प्रभाव अमेरिका, इंग्लैंड सहित पूरे दुनिया के दूसरे देशों पर भी पड़ा।

‘नई दुनिया’ के लिए होड़

1442 ई० में कोलंबस ने एक नई दुनिया की खोज की। इसके साथ ही तत्कालीन विश्व की शक्तियों ने अमरीकी पर अपनी प्रभुता स्थापित करने के प्रयास शुरू कर दिए।डच, स्पेनिश और अंग्रजों ने इस महाद्वीप पर अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए कोशिशें शुरू कर दीं। शुरू में स्पेन इस होड़ में सबसे आगे था लेकिन समय बीतने के साथ इंग्लैंड इस महाद्वीप की अकेली सत्ता के रूप में उभर कर सामने आया। अंग्रेजों ने इस महाद्वीप पर अपने 13 उपनिवेश स्थापित किये। अंग्रेजों के अत्याचार और औपनिवेशिक शोषण के विरुद्ध १८ वीं सदी के अंतिम वर्षों में अमरीकी निवासियों ने जबरदस्त प्रतिक्रिया दी और ब्रिटिश सत्ता का जुआ उतार फेंका।

अमरीकी स्वतंत्रता संग्राम का महत्व

अमरीका के स्वतंत्रता संग्राम ने विश्व के इतिहास पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। मानव सभ्यता के इतिहास में अमरीकी स्वाधीनता संग्राम का विशेष महत्व है।

– स्वतंत्र प्रजातांत्रिक राष्ट्र की स्थापना
– क्रांति के पश्चात् विश्व के इतिहास में एक नए संयुक्त राज्य का जन्म
– स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद तरह अमरीकी उपनिवेशों ने अपने देश में प्रजातांत्रिक शासन का संगठन किया
– जब संसार के सभी देशों में राजतंत्र था तब अमरीका में प्रजातंत्र की स्थापना की गई
– संयुक्त राज्य अमरीका ने विश्व के समक्ष नए राजनीतिक आदर्शों की एक बानगी प्रस्तुत की जिसमें गणतंत्र, जनतंत्र, संघवाद और
संविधानवाद का बोलबाला था
– गणतंत्र और प्रतिनिधि सरकार की स्थापना अमरीकी क्रांति की सबसे बड़ी देन थी
– आधुनिक इतिहास में अमरीका ने सबसे पहले धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की स्थापना की। संविधान में चर्च को राज्य से अलग किया गया
– मानवीय समानता पर आधारित एक नयी व्यवस्था का सृजन हुआ
– महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ
– विदेशियों से अमरीका को कृषि समबन्धी नई-नई जानकारियां प्राप्त हुई। कृषि क्रांति ने अमरीका के विकास में महत्वपूर्ण भूमिक निभाई।
– क्रांति से अमरीकी उद्योग धंधे भी लाभान्वित हुए

इंग्लैंड के पराभव की शुरुआत

– अमरीकी क्रांति ने दुनिया में भी कई तरह के परिवर्तन किए। इंग्लैंड में सम्राट जार्ज तृतीय एवं प्रधानमंत्री लॉर्ड नॉर्थ दोनों की सत्ता कमजोर पड़ने लगी। अमरीकी क्रांति ने राजा के दैवी अधिकार पर आधारित राजतांत्रिक व्यवस्था पर जोरदार प्रहार किया। हाउस ऑफ कॉमन्स में राजा के अधिकारों को सीमित करने का प्रस्ताव पारित किया तथा लार्ड नॉर्थ को प्रधानमन्त्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा। इससे जार्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन का अंत हो गया।अमरीकी उपनिवेशों के स्वतंत्र हो जाने से इंग्लैंड के औपनिवेशिक साम्राज्य को ठेस पहुंची। ब्रिटिश सरकार ने यह अनुभव किया कि शेष बचे हुए उपनिवेशों को अपने अधीन रखने के लिए उसे औपनिवेशिक शोषण की नीति को छोड़ना और और उपनिवेशों की जनता के अधिकारों का सम्मान करना होगा

फ्रांस में असंतोष के बीज

– इस युद्ध में फ्रांस ने अमरीका का पक्ष लिया । अमरीकी उदाहरण से फ्रांस में जनता असंतुष्ट हुई और वहां क्रांति का मार्ग प्रशस्त हुआ। स्वतंत्रता की चेतना का फ्रांस में तीव्र प्रभाव पड़ा और इसने फ्रांस को क्रांति के मार्ग की ओर पे्ररित किया।

भारत पर प्रभाव

– अमेरिकी क्रांति का प्रभाव भारत पर भी पड़ा। अमरीकी स्वतंत्रता संग्राम में फ्रांस के युद्ध में कूद जाने से भारत में भी आंग्ल-फ्रांसीसी युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई। फ्रांसीसियों की कमजोर शक्ति से लाभ उठाकर अंग्रेजों ने अपने भारतीय राज्य विस्तार की नीति को मजबूत कर दिया । अमरीकी क्रांति के कारणों में एक कारण यही भी था कि ब्रिटेन ने अमरीकी उपनिवेशों के आतंरिक शासन में हस्तक्षेप नहीं किया था। फलतः अमरीकी उपनिवेशवासियों में स्वशासन की चेतना का विकास हो गया। ब्रिटेन ने इस स्थिति से सीख लेकर अपने भारतीय उपनिवेश के आंतरिक मामलों में आरंभिक चरण से सक्रिय हस्तक्षेप जारी रखने की नीति अपनाई।

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