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20 हजार करोड़ की संपत्ति में 75 प्रतिशत बेटियों और 25 फीसदी पर महारानी का हक

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चंडीगढ़. फरीदकोट रियासत के राजा हरिंदर सिंह बराड़ की 20 हजार करोड़ की प्राॅपर्टी पर मालिकाना हक के मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ जिला अदालत के फैसले को सही ठहराया है। जिला अदालत ने संपत्ति पर दोनों राजकुमारियों अमृत कौर और दीपइंदर कौर का बराबर मालिकाना हक तय किया था। हाईकोर्ट ने अब इसमें से 25% हिस्सा महारानी नरिंदर कौर को भी दिया है। बाकी 75% में राजकुमारी अमृत कौर और दीपइंदर कौर को बराबर हिस्सा मिलेगा।

जस्टिस राज मोहन सिंह ने कहा कि हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत महाराजा की मृत्यु के समय महारानी महिंदर कौर जीवित थी। इसलिए संपत्ति में उनका हिस्सा भी है। हालांकि उनका यह हिस्सा आगे उनके वारिसों को जाएगा जिनके नाम उन्होंने वसीयत की है। बावजूद इसके ज्यादातर हिस्सा दोनों बेटियों को ही मिलेगा। हाईकोर्ट ने जिला अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमे महारावल खेवाजी ट्रस्ट को सारी संपत्ति सौंपे जाने को अनुचित बताया था और इस वसीयत को हाईकोर्ट ने भी फर्जी माना है।

अमृत कौर ने 1994 में किया था केस

1994 में राजा की बड़ी बेटी अमृत कौर ने महारावल खेवाजी ट्रस्ट के खिलाफ चंडीगढ़ जिला अदालत में सिविल सूट फाइल किया। उन्होंने राजा की 1982 में बनाई वसीयत पर सवाल खड़ा किया। कहा कि वसीयत दबाव में बनवाई गई। उन्हें बेदखल करने की बात भी सही नहीं है। वह परिवार में सबसे बड़ी है और प्रॉपर्टी पर उनका हक बनता है।

कोर्ट ने ट्रस्ट को बताया अमान्य: निचली अदालत ने राजा हरिंद्र सिंह बराड़ द्वारा कथित रूप से बनाई गई उस वसीयत को ही अमान्य माना था, जिसमें बराड़ ने पूरी संपत्ति महारावल खेवाजी ट्रस्ट बनाकर उसके हवाले कर दिया था। कोर्ट ने ट्रस्ट को भी अमान्य बताया था। अब हाईकोर्ट ने भी जिला अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए ट्रस्ट को अमान्य बताया।

फरीदकोट, चंडीगढ़, दिल्ली और हिमाचल में है प्रॉपर्टी

राजा की फरीदकोट में काफी प्रॉपर्टी है। इसके अलावा चंडीगढ़ में मनीमाजरा का किला, एक होटल साइट समेत दिल्ली और हिमाचल में काफी प्रॉपर्टी है। राजा की कुल प्रॉपर्टी 20 हजार करोड़ रुपए की बताई जा रही है।

फरीदकोट के आखिरी राजा थे हरिंदर सिंह

हरिंदर सिंह बराड़ फरीदकोट के आखिरी राजा थे। उनकी शादी नरिंदर कौर से हुई और उनकी तीन बेटियां अमृत कौर, दीपइंदर कौर और महीपइंदर कौर और एक बेटा टिक्का हरमोहिंदर सिंह था। बेटे की 1981 मेें एक सड़क हादसे में मौत हो गई। जिसके बाद राजा सदमे में चले गए। उन्होंने वसीयत बनाई जिसमें सारी प्रॉपर्टी की देखरेख के लिए ट्रस्ट बनाया। इसमें दीपइंदर कौर को चेयरमैन और महीपइंदर कौर को वाइस-चेयरमैन बनाया। महीपइंदर की 2001 में मौत हो गई। बड़ी बेटी अमृत कौर को प्रॉपर्टी से बेदखल करने की बात कही क्योंकि उन्होंने राजा की मर्जी के बिना शादी की थी।
1982 की वसीयत अवैध: 2013 को सीजेएम की अदालत ने प्रॉपर्टी का मालिकाना हक दोनों बेटियों को दिया था। अदालत ने राजा की 1982 की वसीयत को अवैध ठहराया था। इसमें राजा ने महारावल खेवाजी ट्रस्ट बनाकर प्रॉपर्टी इसके नाम कर दी थी। ट्रस्ट की चेयरपर्सन दीपइंदर कौर हैं।

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