10वीं के बाद 12वीं की परीक्षा भी रद्द:इस साल CBSE 12वीं के एग्जाम नहीं होंगे, प्रधानमंत्री ने कहा- छात्रों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता
PM मोदी के साथ कैबिनेट के लगभग सभी बड़े मंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक का हिस्सा बने। इनमें राजनाथ सिंह, अमित शाह, निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान और प्रकाश जावड़ेकर शामिल थे।
सरकार ने इस साल CBSE 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी है। इससे पहले 10वीं के एग्जाम भी रद्द कर दिए गए थे। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अहम बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी छात्रों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता में है। ऐसे माहौल में उन्हें परीक्षा का तनाव देना ठीक नहीं है। हम उनकी जान खतरे में नहीं डाल सकते। उन्होंने कहा कि 12वीं का रिजल्ट तय समयसीमा के भीतर और तार्किक आधार पर तैयार किया जाएगा।
बैठक में प्रधानमंत्री की 5 बड़ी बातें…
- छात्रों के हित को ध्यान में रखकर ही 12वीं की परीक्षा पर फैसला लिया गया है।
- छात्रों की सुरक्षा और सेहत हमारे लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इस पर किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है।
- परीक्षा को लेकर छात्र, पैरेंट्स और टीचर्स सभी परेशान थे। इस फिक्र को खत्म किया जाना जरूरी था।
- ऐसे दबाव भरे माहौल में छात्रों को परीक्षा देने के लिए बाध्य किया जाना ठीक नहीं होगा।
- परीक्षा से जुड़े सभी पक्षों को इस समय छात्रों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री के सामने सभी विकल्प रखे गए
इस बैठक में CBSE के चेयरमैन, शिक्षा मंत्रालय के सेक्रेटरी के अलावा केंद्रीय मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, राजनाथ सिंह और प्रकाश जावड़ेकर शामिल हुए। यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई। इसमें अधिकारियों ने प्रधानमंत्री के सामने प्रेजेंटेशन दी। यह प्रेजेंटेशन बोर्ड, राज्य सरकारों और परीक्षा से जुड़े सभी पक्षों से बातचीत के बाद तैयार की गई थी। सभी से मिले फीडबैक के आधार पर एग्जाम टालने का फैसला लिया गया।
अरविंद केजरीवाल ने एग्जाम रद्द करने की मांग की थी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 12वीं की परीक्षाएं रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि पिछली परफॉर्मेंस के आधार पर छात्रों का आकलन किया जाए। केजरीवाल ने कहा था कि पेरेंट्स परेशान हैं। वे नहीं चाहते हैं कि वैक्सीनेशन किए बिना परीक्षा हो। एग्जाम रद्द होने के बाद उन्होंने इसे छात्रों के हित में लिया गया फैसला बताया है।
केंद्र ने फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट से 2 दिन का वक्त मांगा था
CBSE और ICSE बोर्ड की परीक्षा पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इसमें केंद्र ने कहा था कि वह गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना प्लान पेश करेगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप जो भी निर्णय लेंगे, उसके पीछे आपको मजबूत दलील देनी होगी। जस्टिस खानविलकर ने कहा था कि छात्रों को बहुत उम्मीद थी कि इस साल भी पिछले साल की तरह परीक्षा नहीं होगी और नंबरिंग के लिए मेथड सिस्टम अपनाया जाएगा।
शिक्षा मंत्रालय ने तैयार किए थे 3 विकल्प
सूत्रों ने भास्कर को बताया था कि परीक्षाएं कराने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया था। इसे प्रधानमंत्री को भी दिखाया गया।
पहला प्रपोजल: 12वीं के मुख्य विषयों यानी मेजर सब्जेक्ट्स का एग्जाम लिया जाए। साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स के केवल 3 मुख्य विषयों की ही परीक्षा लेने के बाद बाकी सब्जेक्ट्स में मुख्य विषयों पर मिले नंबर्स के आधार पर मार्किंग का फॉर्मूला बनाया जाए।
दूसरा प्रपोजल: 30 मिनट की परीक्षाएं हो और इनमें ऑब्जेक्टिव सवाल पूछे जाएं। इस परीक्षा में विषयों की संख्या भी सीमित करने की बात कही गई, पर इसके बारे में साफ कुछ नहीं बताया गया।
तीसरा प्रपोजल: अगर देश में कोरोना संक्रमण की स्थिति ठीक नहीं होती है तो 9वीं, 10वीं और 11वीं तीनों का इंटरनल असेसमेंट किया जाए। इसके बाद इसके आधार पर ही 12वीं का रिजल्ट जारी कर दिया जाए। इस प्रपोजल को लेकर भी फॉर्मूला साफ नहीं हो पाया था।
12 राज्य चाहते थे कि 3-4 विषयों की परीक्षा हो, समय भी घटे
देशभर में 12वीं की परीक्षा को लेकर राज्यों ने अपने सुझाव केंद्र सरकार को भेजे थे। महाराष्ट्र, झारखंड, केरल, मेघालय, अरुणाचल, तमिलनाडु और राजस्थान ने परीक्षा से पहले टीके का सुझाव दिया था। महाराष्ट्र ने ऑनलाइन परीक्षा की भी बात कही थी। यूपी, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, असम, हिमाचल, चंडीगढ़, सिक्किम, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार और ओडिशा चाहते थे कि सिर्फ मुख्य विषयों की परीक्षा हो और परीक्षा का समय कम कर दिया जाए। एग्जाम बच्चों के अपने स्कूल में ही हों।
छात्रों ने लिखी थी चीफ जस्टिस को चिट्ठी
3 हजार छात्रों ने परीक्षाओं को लेकर करीब एक हफ्ते पहले चीफ जस्टिस एनवी रमना को चिट्ठी लिखी थी। कहा था, ‘कोरोना के बीच फिजिकल एग्जाम कराने का CBSE का फैसला रद्द कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट असेसमेंट का वैकल्पिक तरीका तय करने का निर्देश दे। देश में कोविड-19 के चलते कई स्टूडेंट्स ने अपने परिवार वालों को खोया है। ऐसे में इस समय फिजिकली परीक्षा कराना न सिर्फ लाखों छात्रों और टीचर्स की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि उनके परिवार वालों के लिए भी यह परेशानी का सबब है।’
12वीं का रिजल्ट और आगे एडमिशन कैसे:9वीं, 10वीं और 11वीं के अंकों के आधार पर तैयार हो सकता है रिजल्ट, अगर कोई संतुष्ट नहीं तो परीक्षा का भी मौका
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (CBSE) की 12वीं की परीक्षाएं रद्द होने के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि रिजल्ट तैयार करने का आधार क्या होगा? शिक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने भास्कर को बताया कि रिजल्ट का आधार 9वीं, 10वीं और 11वीं तीनों का इंटरनल असेसमेंट किया जाएगा। इस असेसमेंट के आधार पर ही 12वीं का रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा। पर, इस प्रपोजल को लेकर भी फॉर्मूला अभी साफ नहीं किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, अगर कोई छात्र इस रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होता है तो उसे कोरोना के हालात सुधरने पर परीक्षा का भी मौका दिया जा सकता है। एजुकेशन सेक्टर के एक्सपर्ट और आईड्रीम करियर्स डॉट कॉम के फाउंडर आयुष बंसल से हमने ये समझने की कोशिश की कि छात्रों के लिए आगे की राह कैसी होगी..
1. अब सबसे बड़ा सवाल कि कॉलेज एडमिशन पर क्या असर पड़ेगा?
रिजल्ट को तय समयसीमा के भीतर तैयार करने का निर्देश प्रधानमंत्री ने दिया है, लेकिन अभी स्पष्ट नहीं है कि ये किस तारीख तक आएगा। ऐसे में कॉलेजों में होने वाले एडमिशन की टाइम लाइन पर असर पड़ेगा। दरअसल, जून शुरू हो चुका है। 9वीं, 10वीं और 11वीं के इंटरनल्स के असेसमेंट में कम से कम 2 महीने का वक्त लगेगा। इसके अलावा अगर कोई स्टूडेंट परीक्षा देना चाहता है तो उसके लिए भी हालात के सुधरने का इंतजार करना होगा। ऐसे में रिजल्ट अगस्त से पहले आना संभव नहीं है। फिर कॉलेजों में एडमिशन की प्रोसेस अक्टूबर-नवंबर तक खिंच सकती है।
2. एंट्रेंस एग्जाम पर इस फैसले का क्या असर होगा?
रिजल्ट देर से आएगा तो दिल्ली यूनिवर्सिटी और ऐसे ही कॉलेजों के एंट्रेंस एग्जाम भी देर से ही होंगे। ऐसे में बच्चों और पैरेंट्स को अलर्ट रहने और टाइम के हिसाब से अपना प्लान बनाने की जरूरत है।
3. एंट्रेंस के लिए किस तरह से तैयारी करनी होगी?
अभी से तैयारी रखें। कोर सब्जेक्ट्स के अलावा जो फील्ड आप चुनना चाहते हैं, उनकी तैयारी शुरू कर दें। एंट्रेंस एप्लीकेशन प्रोसेस को समझ लें। पैरेंट्स की भी मदद लें, क्योंकि वक्त और सहूलियत कम ही मिलेगी।
4. कॉलेज में एडमिशन के लिए जारी होने वाली कट ऑफ लिस्ट पर क्या असर होगा?
अगर नतीजे इंटरनल असेसमेंट के जरिए दिए जाते हैं तो कट ऑफ लिस्ट का परसेंटेज काफी ऊंचा रखा जा सकता है। वजह ये है इंटरनल एसेसमेंट में नंबर भी ज्यादा मिलने की संभावना है और ऐसे में कट ऑफ लिस्ट का हाई होना भी उतना ही लाजिमी है। इससे नुकसान छात्रों को ही होगा, क्योंकि उनकी वास्तविक क्षमता इंटरनल एसेसमेंट के आधार पर सामने नहीं आ पाएगी।
5. विदेश में एजुकेशन का प्लान करने वाले स्टूडेंट्स क्या करेंगे?
विदेशों में स्थित कॉलेजों में एंट्रेंस स्टैंडर्डाइज्ड एडमिशन टेस्ट (SAT) के जरिए होते हैं। ये टेस्ट ऑनलाइन लिए जाते हैं। आमतौर पर स्टूडेंट्स जून-जुलाई तक विदेशों में स्थित अपने कॉलेजों में पहुंच जाते हैं। उन्हें अपना फाइनल रिजल्ट नवंबर तक जमा करना होता है, जो कि अभी के हालात में संभव नहीं है। अब उन्हें विदेशों में स्थित कॉलेजों में बात करनी होगी।
6. इंजीनियरिंग और मेडिकल के एंट्रेंस का क्या होगा?
इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में एंट्रेंस एग्जाम पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। लेकिन, ये एग्जाम कैंसिल करना मुश्किल है, क्योंकि 12वीं पास करने वाले छात्रों को अगर इन कॉलेजों में दाखिला नहीं दिया जाता है, तो उनका पूरा साल बर्बाद हो जाएगा।