सोचा-समझा सरेंडर, सवाल उठाता एनकाउंटर / जिस विकास दुबे को उज्जैन में निहत्थे गार्ड ने पकड़ा था, वह यूपी की हथियारबंद पुलिस से पिस्टल छीनकर कैसे भाग रहा था?
पुलिसवालों को मारने वाले गैंगस्टर का शव 8वें दिन काली पॉलिथीन में पैक; लोगों ने पुलिस और प्रशासन जिंदाबाद के नारे लगाए, एनकाउंटर पर सियासत / अखिलेश ने कहा- गाड़ी नहीं पलटी, सरकार पलटने से बच गई: प्रियंका बोलीं- अपराधी को संरक्षण देने वाले लोगों का क्या?
एनकाउंटर को लेकर उठ रहे हैं सवाल,10 करोड़ रुपए थी विकास की सालाना कमाई
- बिकरू गांव से विकास के परिचितों के यहां से देसी बम बरामद किए गए।
- भौती गांव में लोगों ने एनकाउंटर को लेकर पुलिस जिंदाबाद के नारे लगाए।
8 पुलिसकर्मियों के हत्यारे गैंगस्टर विकास दुबे शुक्रवार सुबह पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। उज्जैन से कानपुर लाए जाने के दौरान बर्रा इलाके में एसटीएफ की वह गाड़ी पलट गई जिसमें दुबे भी मौजूद था। पुलिस का कहना है कि दुर्घटना का फायदा उठाकर विकास दुबे ने एक पुलिसकर्मी से हथियार छीनकर भागने की कोशिश की और मारा गया। हालांकि, पुलिस की इस थ्योरी पर कई सवाल भी उठ रहे हैं, जिनका अभी जवाब दिया जाना बाकी है।
सवाल 1:
पहला सवाल यह है कि क्या आखिर काफिले की वही गाड़ी अचानक कैसे पलटी जिसमें विकास मौजूद था। यदि इसे संयोग मान लिया जाए तो भी बड़ा सवाल यह है कि जब इतने बड़े अपराधी को पुलिस गाड़ी में ला रही थी तो उसके हाथ खुले क्यों थे? क्या उसे हथकड़ी नहीं लगाई गई थी?
सवाल 2:
एक दिन पहले जिस तरह विकास दुबे की गिरफ्तारी हुई उसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि उसने खुद मंदिर परिसर में कुछ लोगों को अपनी पहचान बताई थी। यदि वह गिरफ्तारी के लिए तैयार नहीं था तो एक हाई सिक्यॉरिटी जोन में क्यों गया? यदि कल गिरफ्तारी के लिए तैयार था तो आज उसने भागने की कोशिश क्यों की?
सवाल 3:
गुरुवार को प्रभात और शुक्रवार को विकास दुबे, इन दोनों का जिस तरह दो दिन में एनकाउंटर हुआ और पूरे घटनाक्रम को देखें तो यह सवाल जरूर उठता है कि क्या यह संयोग है? प्रभात के एनकाउंटर के बाद पुलिस ने इसी तरह का घटनाक्रम बताया था कि पहले पुलिस की गाड़ी पंक्चर हुई फिर प्रभात पुलिसकर्मियों से पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश करने लगा और फिर एनकाउंटर में मारा गया। आज भी सबकुछ ठीक उसी तरह से हुआ है।
सवाल 4:
दो दिन में दो बार अपराधी पुलिसकर्मियों से हथियार छीन लेते हैं। जानकार सवाल उठा रहे हैं कि क्या पुलिसकर्मियों ने अपने हथियार रखने में लापरवाही बरती जो उनके गिरफ्त में मौजूद कोई बदमाश हथियार छीन लेता है।
सवाल 5:
मीडियाकर्मियों का दावा है कि वे भी उस काफिले के साथ ही उज्जैन से आ रहे थे, लेकिन दुर्घटना स्थल से कुछ पहले मीडिया और सड़क पर चल रही निजी गाड़ियों को रोक दिया गया था। न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी इसका फुटेज जारी किया है। आखिर क्यों मीडिया को आगे बढ़ने से कुछ देर के लिए रोक दिया गया था? यदि विकास ने भागने की कोशिश की तो उसके पैर में गोली क्यों नहीं मारी गई? इस तरह के और भी कई सवाल उठ रहे हैं, जिनका अभी पुलिस को जवाब देना होगा।
कौन-से बड़े खुलासे करने वाला था विकास दुबे?
- इस बारे में पूछे जाने पर यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने बताया था कि विकास से पूछताछ की जाए तो बड़े-बड़े लोगों के नाम सामने आएंगे। इसमें आईएएस, आईपीएस, नेताओं के नाम सामने आ सकते हैं। विकास का उज्जैन में पकड़ा जाना समझ से बाहर है।
- उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिलचस्प ट्वीट किया। उन्होंने लिखा- दरअसल कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई है।
- मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा- जिसका शक था, वही हो गया। विकास दुबे का किन-किन राजनीतिक लोगों, पुलिस अधिकारियों से संपर्क था, अब यह उजागर नहीं हो पाएगा। सभी एनकाउंटर का पैटर्न एक समान क्यों है?
6. अब क्या जांच होगी?
- सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में पुलिस एनकाउंटरों के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए थे। हर एनकाउंटर की जांच जरूरी है। जांच खत्म होने तक इसमें शामिल पुलिसकर्मियों को प्रमोशन या वीरता पुरस्कार नहीं मिलता।
- एनकाउंटर आमतौर पर दो तरह के होते हैं। पहला, जिसमें कोई अपराधी पुलिस की हिरासत से भागने की कोशिश करता है। दूसरा, जब पुलिस किसी अपराधी को पकड़ने जाती है और वो जवाबी हमला कर देता है।
- सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार, सीआरपीसी की धारा 176 के तहत हर एनकाउंटर की मजिस्ट्रेट जांच जरूरी है। पुलिस को हर मुठभेड़ के बाद इस्तेमाल किए गए हथियार और गोलियों का हिसाब देना होता है।
- पुलिस को एनकाउंटर का अधिकार नहीं है। सिर्फ खुद की हिफाजत का अधिकार है। अपराधी से खुद की जान बचाने के लिए पुलिसकर्मी गोली चलाता है और उसमें कोई अपराधी मारा जाता है तो इसे साबित करना भी जरूरी है।
उज्जैन में गिरफ्तारी क्या स्क्रिप्टेड थी?
विकास दुबे 4 राज्यों से गुजरते हुए 1250 किमी का सफर तय कर उज्जैन कैसे पहुंचा था, यह सस्पेंस बना हुआ है। उज्जैन में उसकी गिरफ्तारी पर भी सवाल उठे। एक दिन पहले यानी बुधवार दोपहर को उज्जैन के महाकाल थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी का तबादला हुआ। रात को कलेक्टर आशीष सिंह और एसपी मनोज सिंह महाकाल मंदिर पहुंचे थे। दाेनाें का दावा है कि वे एक बैठक के सिलसिले में गए थे।
उज्जैन पुलिस ने गांधीगिरी दिखाई?
गुरुवार सुबह विकास दुबे मंदिर में टहलकर फाेटाे खिंचवाता रहा। यहां पुलिस की गांधीगिरी दिखाई दी। विकास खुद ही मंदिर से बाहर आया, पुलिसवाले पीछे चलते रहे। मीडिया आया, तब उसे गर्दन पकड़कर दबोचा गया। किसी पुलिसवाले के हाथ में डंडा तक नहीं था। मंदिर के अंदर विकास के फोटो-वीडियो कौन बनाता रहा, ये कोई नहीं जानता। जब विकास को पकड़ा गया तो एक पुलिसवाले को बोलते सुना गया कि शर्माजी मरवाओगे। विकास भी पीछे मुड़कर बार-बार देखता रहा। जैसे किसी को खोज रहा हो।
10 करोड़ रुपए से ज्यादा की थी विकास दुबे की सालाना कमाई
8 पुलिसकर्मियों के हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे की सालाना कमाई 10 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। काले धंधे से उसने अकूत सम्पत्ति जुटाई और अपने मिलने वालों पर पैसा खर्च करने से भी पीछे नहीं हटता था। जमीन कब्जा वसूली, बीसी और सूदखोरी से मोटी कमाई होती थी। इसके अलावा किसी से कॉन्ट्रेक्ट पर काम मिलने पर कमाई दोगुना और तीन गुना तक हो जाती थी।
हिस्ट्रीशीटर बड़ा काम जमीन कब्जाने से लेकर बीसी खिलवाने तक का था। किसी से जमीन खाली करानी हो या किसी को कब्जा कराना हो हर एक काम के लिए उसके रेट फिक्स थे। इसके अलावा उद्योगपतियों और सूदखोरी से भी कमाई होती थी।
प्रोटक्शन मनी के नाम पर हर माह 50 लाख
चौबेपुर इंडस्ट्रियल एरिया में 100 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं। विकास का वहां पर सिक्का चलता था। उद्योगपतियों से वहां पर वह काम करने और प्रोटक्शन मनी के नाम पर हर महीने 50 लाख रुपए की आय होती थी। इसके अलावा सम्पत्तियों में उसके बाद लखनऊ में दो मकान और लगभग 150 बीघा अपनी और बेनामी जमीनों के बारे में जानकारी मिली है। कुछ साल पहले उसने नवाबगंज में एक फ्लैट को लाखों रुपयों में बेचा था। साथ ही छपेड़ा पुलिया के पास एक प्लॉट पर कब्जा कर लिया था।
बीसी में दूसरे लगाते थे पैसा
विकास खुद बीसी नहीं चलवाता था लेकिन दूसरे लोग उससे ब्याज पर पैसा लेकर बीसी खिलवाते थे और उसी के पैसे को आगे ज्यादा ब्याज पर दे देते थे। इसके भी इसको करोड़ों रुपयों की कमाई हो जाती थी।
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एनकाउंटर पर सियासत / अखिलेश ने कहा- गाड़ी नहीं पलटी, सरकार पलटने से बच गई: प्रियंका बोलीं- अपराधी को संरक्षण देने वाले लोगों का क्या?
- सपा, बसपा, कांग्रेस नेताओं ने विकास दुबे के सरेंडर और फिर एनकाउंटर को लेकर योगी सरकार को घेरा
- दो जुलाई की रात बिकरू गांव में हुए शूटआउट में विकास दुबे पर आठ पुलिस वालों की हत्या करने का आरोप
- विकास की गिरफ्तारी गुरुवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर से हुई थी, रात 8 बजे यूपी पुलिस से कानपुर लेकर रवाना हुई
- कानपुर से 17 किमी पहले भौती इलाके में विकास की गाड़ी पलट गई, एनकाउंटर में उसे दो गोलियां लगीं, अस्पताल में मौत हो गई
लखनऊ. यूपी पुलिस ने हत्यारे विकास दुबे को एनकाउंटर में मार डाला। कानपुर के चौबेपुर के बिकरू गांव में 2 जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे की गैंग ने 8 पुलिसवालों को गोलियों से भून दिया था। अगली सुबह से ही यूपी पुलिस विकास गैंग के सफाए में जुट गई। सरगना विकास 3 राज्यों की पुलिस को चकमा देकर यूपी से हरियाणा और फिर राजस्थान होते हुए मध्यप्रदेश पहुंच गया। सरेंडर के अंदाज में उज्जैन के महाकाल मंदिर से गुरुवार को विकास की गिरफ्तारी हुई। यूपी पुलिस उसे कानपुर ले जा रही थी, लेकिन रास्ते में विकास का वही अंजाम हुआ जिसके डर से वह भागता फिर रहा था। पुलिस ने उसे एनकाउंटर में मार गिराया। लेकिन इसके बाद सियायत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस, सपा समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर हमला बोला है।
प्रियंका गांधी ने ये लिखा- अपराधी का अंत हो गया
अखिलेश यादव ने कहा- सरकार पलटने से बच गई
मायावती ने क्या कहा-
कांग्रेस एमएलसी ने वीडियो जारी कर सरकार को घेरा
यूपी कांग्रेस ने किए ये सवाल
कभी योगी सरकार में मंत्री रहे ओपी राजभर बोले- सच्चाई बताता, उससे पहले बंद कर दी गई जुबान
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विकास दुबे ढेर, मददगार कहां हैं? / 8 दिन में डी-124 गैंग का सरगना समेत छह अपराधी ढेर; बॉडीगार्ड रहे बब्बन शुक्ला समेत 13 अभी पुलिस की पकड़ से दूर
- दो जुलाई की रात विकास दुबे और उसकी गैंग ने दबिश देने गई पुलिस टीम पर किया था हमला, गई थी आठ पुलिस वालों की जान
- तीन दिन में विकास दुबे का चौथा और 8 दिन में कुल छह एनकाउंटर हुए, 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया
- गुरुवार देर शाम विकास की पत्नी, 10 साल का बेटा और नाैकर भी लखनऊ केे कृष्णानगर से गिरफ्तार
कानपुर. साल 2018 में 30 जून को कानपुर पुलिस ने विकास दुबे की गैंग को सरकारी रिकॉर्ड में डी-124 गैंग नाम दिया था। जिसके अंत की स्क्रिप्ट दो जुलाई की रात बिकरू गांव के शूटआउट में आठ पुलिसवालों की हत्या किए जाने के बाद अगली सुबह से लिखी जाने लगी। सरगना विकास 3 राज्यों की पुलिस को चकमा देकर यूपी से हरियाणा और फिर राजस्थान होते हुए मध्यप्रदेश पहुंच गया। सरेंडर के अंदाज में उज्जैन के महाकाल मंदिर से गुरुवार को विकास की गिरफ्तारी हुई। यूपी पुलिस उसे कानपुर ले जा रही थी, लेकिन रास्ते में विकास का वही अंजाम हुआ जिसके डर से वह भागता फिर रहा था। पुलिस ने विकास का विनाश कर दिया, उसे एनकाउंटर में मार गिराया।
बिकरू शूटआउट केस में 8 दिन में सरगना विकास दुबे समेत छह अपराधियों का एनकाउंटर हाे चुका है। लेकिन उसकी गैंग के कई शातिर फरार हैं, जो शूटआउट में विकास दुबे के अपराध में बराबर के साथी हैं। फरार अपराधी अपने सरगना विकास दुबे के जीवित रहते एक इशारे किसी की भी जान लेने और खुद की जान देने के लिए तैयार रहते थे। उनमें विकास का निजी बॉडीगार्ड बब्बन शुक्ला, हीरू दुबे और अन्य कई साथी हैं। जिन पर 50-50 हजार रुपए का इनाम है। हालांकि यूपी पुलिस और एसटीएफ की टीम ने बाकी बचे विकास दुबे के मददगारों की की तलाश तेज कर दी है।
इन पांच आरोपियों का हुआ था एनकाउंटर
बिकरू शूटआउट केस में सबसे पहले विकास दुबे के मामा प्रेम कुमार पांडेय और चचेरे भाई अतुल दुबे का तीन जुलाई की सुबह बिकरू गांव से करीब दो किमी दूर जंगल में हुआ था। दोनों एक मंदिर में छिपे थे। इसके बाद बीते बुधवार को विकास के राइट हैंड और शार्प शूटर अमर दुबे को हमीरपुर में मारा गया। गुरुवार को उसके करीबी प्रभात झा का कानपुर में और बऊआ दुबे का इटावा में एनकाउंटर हुआ था। सभी एनकाउंटर में लगभग एक जैसी थ्योरी सामने आई कि वे पुलिस पर हमला कर भागने की कोशिश कर रहे थे। वहीं, अब इस केस में 10 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। इनमें चौबेपुर के पूर्व थाना प्रभारी विनय तिवारी और बीट इंचार्ज केके शर्मा शामिल हैं। दोनों पुलिसकर्मियों पर शूटआउट के वक्त मौके से भागने और विकास दुबे को दबिश की मुखबिरी करने का आरोप है।
ये शातिर वांछित चल रहे फरार-
- बब्बन शुक्ला: यह विकास दुबे का निजी बॉडीगार्ड था। वह विकास के इशारे को समझकर काम करता था। करीब 10 साल पहले वह विकास के संपर्क में आया था। शूटआउट के बाद बब्बन शुक्ला विकास दुबे के साथ ही फरार हुआ था, जो अभी तक पकड़ा नहीं जा सका। उन्नाव में आखिरी लोकेशन मिली थी। विकास दुबे के फैले जरायम के नेटवर्क को बब्बन शुक्ला को पूरी जानकारी है।
- हीरू दुबे: पुलिस की इनामिया सूची में 14वें नंबर का वांटेड हीरू दुबे है। विकास दुबे के इशारे पर वह विवादित प्रॉपर्टी पर कब्जा करवाने का काम करता था। वह बिकरू गांव का रहने वाला है। फिलहाल वारदात के बाद से हीरू फरार है।
- छोटू और शिव तिवारी: यह वो कारिंदे हैं, जो विकास दुबे का इशारा मिलते ही मारपीट धमकाने काम करते थे। दोनों पर 50-50 हजार का इनाम है। शूटआउट की रात में यह दोनों विकास दुबे के बुलाने पर बिकरू गांव आए थे। छोटू विकास को पंडी जी कहकर बुलाता था। वहीं शिव तिवारी रोड पर लगने वाले ठेले और फैक्ट्रियों से अवैध वसूलता करता था।
- राम सिंह, शिवम दुबे, बउउन उर्फ उमाकांत और बाल गोविंद: यह विकास दुबे की आंख, नाक, कान कहे जाते थे। चौबेपुर में रहने वाले यह सभी पुलिस के पचास के इनामिया सूची में शामिल हैं। यह सभी शूटआउट में शामिल थे।
- जय बाजपेयी: बताया जाता है कि, विकास दुबे और उसकी पत्नी व बच्चों को वारदात के बाद फरार कराने में जय बाजपेई ने मदद की थी। विकास और जय की वारदात से पहले बात भी हुई थी। फिलहाल जय बाजपेयी एसटीएफ की हिरासत में है।
गिरफ्तारी के 21 घंटे के बाद मारा गया विकास
गुरुवार, 9 जुलाई:
सुबह 9 बजे: विकास उज्जैन में गिरफ्तार।
शाम 7 बजे: यूपी एसटीएफ की टीम को विकास सौंपा गया।
रात 8 बजे: एसटीएफ की टीम कानपुर के लिए रवाना।
शुक्रवार, 10 जुलाई:
देर रात 3:15 बजे: एसटीएफ की टीम झांसी पहुंची। कुछ देर बाद कानपुर के लिए रवाना हुई।
सुबह 6:15 बजे: काफिले ने कानपुर देहात बॉर्डर रायपुर से शहर में एंट्री की।
सुबह 6:30 बजे: एसटीएफ की गाड़ी पलटी। तभी विकास दुबे ने भागने की कोशिश की। फायरिंग शुरू हुई। विकास जख्मी हो गया।
सुबह 7:10 बजे: एसटीएफ विकास को हैलट अस्पताल लेकर पहुंची।
सुबह 7.55 बजे: विकास को मृत घोषित कर दिया गया।
कानपुर शूटआउट केस में अब तक क्या हुआ?
2 जुलाई: विकास दुबे को गिरफ्तार करने 3 थानों की पुलिस ने बिकरू गांव में दबिश दी, विकास की गैंग ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी।
3 जुलाई: पुलिस ने सुबह 7 बजे विकास के मामा प्रेमप्रकाश पांडे और सहयोगी अतुल दुबे का एनकाउंटर कर दिया। 20-22 नामजद समेत 60 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
5 जुलाई: पुलिस ने विकास के नौकर और खास सहयोगी दयाशंकर उर्फ कल्लू अग्निहोत्री को घेर लिया। पुलिस की गोली लगने से दयाशंकर जख्मी हो गया। उसने खुलासा किया कि विकास ने पहले से प्लानिंग कर पुलिसकर्मियों पर हमला किया था।
6 जुलाई: पुलिस ने अमर की मां क्षमा दुबे और दयाशंकर की पत्नी रेखा समेत 3 को गिरफ्तार किया। शूटआउट की घटना के वक्त पुलिस ने बदमाशों से बचने के लिए क्षमा दुबे का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन क्षमा ने मदद करने की बजाय बदमाशों को पुलिस की लोकेशन बता दी। रेखा भी बदमाशों की मदद कर रही थी।
8 जुलाई: एसटीएफ ने विकास के करीबी अमर दुबे को मार गिराया। प्रभात मिश्रा समेत 10 बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया।
9 जुलाई: मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे उज्जैन से गिरफ्तार। प्रभात मिश्रा और बऊआ दुबे एनकाउंटर में मारे गए।
10 जुलाई: विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया।