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सेना को मिलेंगी अमेरिकी राइफल / 72 हजार एसआईजी राइफल खरीदेगी सेना, लॉन्ग और क्लोज कॉम्बैट की लेटेस्ट टैकनीक से लैस; इंसास को रिप्लेस करेगी,

भारत की ताकत बढ़ी / बोइंग ने कहा- एयरफोर्स को 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलिकॉप्टर की डिलीवरी पूरी हुई, आखिरी खेप में 5 अपाचे हेलिकॉप्टर आए, आतंकरोधी मिशन और एलओसी पर तैनात जवान नई राइफलें इस्तेमाल करेंगे इंसास राइफल में मैग्जीन टूटने की शिकायत आ रही थी, इनकी जगह अमेरिकी राइफल मिलेंगी,

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सेना को मिलेंगी अमेरिकी राइफल / 72 हजार एसआईजी राइफल खरीदेगी सेना, लॉन्ग और क्लोज कॉम्बैट की लेटेस्ट टैकनीक से लैस; इंसास को रिप्लेस करेगी

  • अमेरिका की हथियार बनाने वाली कंपनी सिग सॉयर राइफलों की आपूर्ति कर रही।- फाइल फोटोअमेरिका की हथियार बनाने वाली कंपनी सिग सॉयर राइफलों की आपूर्ति कर रही।- फाइल फोटो

नई दिल्ली. चीन के साथ सीमा विवाद के बीच भारतीय सेना अमेरिका से 72000 एसआईजी 716 असॉल्ट राइफल खरीदने जा रही है। अमेरिका से पहले ही 72 हजार राइफलें सेना की नार्दन कमांड और दूसरे ऑपरेशन इलाकों में तैनात सैनिकों को मिल चुकी हैं। यह राइफलों का दूसरा बैच होगा। नए हथियारों की खरीद फास्ट-ट्रैक पर्चेज (एफटीपी) के तहत की जा रही है।

अमेरिका की हथियार बनाने वाली कंपनी सिग सॉयर राइफलों की आपूर्ति करेगी। इन्हें अमेरिका में बनाया जाएगा। ये नई राइफलें मौजूदा समय में भारतीय सेनाओं में इस्तेमाल की जा रही इंडियन स्माल आर्म्स सिस्टम (इंसास) 5.56×45 मिमी राइफल को रिप्लेस करेंगी।

आतंकवाद विरोधी अधियान और एलओसी पर तैनात जवानों के लए 1.5 लाख राइफलें इम्पोर्ट की जानी हैं। बाकी जवानों को एके-203 राइफलें दी जाएंगी। इनको भारत और रूस मिलकर अमेठी की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बनाएंगे। अभी इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं शुरू हो पाया है।

यूएस राइफल में ज्यादा पावरफुल गोलियों का इस्तेमाल
एसआईजी 716 असॉल्ट राइफल क्लोज और लॉन्ग काम्बैट की लेटेस्ट टैकनीक से लैस हैं। सेना अभी जो इंसास राइफलें इस्तेमाल कर रही है, उसमें मैग्जीन टूटने की कई शिकायतें आई हैं। नई राइफलों में ऐसी कोई समस्या नहीं है।
इंसास राइफलों से 5.56×45 मिमी कारतूस ही दागे जा सकते हैं, जबकि एसआईजी 716 राइफल में अधिक ताकतवर 7.62×51 मिमी कारतूस का इस्तेमाल होता है।

इजराइल को 16 हजार एलएमजी का ऑर्डर
रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में इजराइल से 16 हजार लाइट मशीन गन (एलएमजी) खरीदने का ऑर्डर दिया है। इंडियन आर्मी अपनी स्टैंडर्ड इंसास असॉल्ट राइफलों को कई सालों से बदलना चाह रही थी। इसी प्रक्रिया के तहत सेना फास्ट-ट्रैक पर्चेज पर फोकस कर रही है।

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भारत की ताकत बढ़ी / बोइंग ने कहा- एयरफोर्स को 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलिकॉप्टर की डिलीवरी पूरी हुई, आखिरी खेप में 5 अपाचे हेलिकॉप्टर आए

  • भारत ने अपाचे हेलिकॉप्टर का सबसे एडवांस वैरिएंट एएच-64ई खरीदा है
  • बोइंग मेक इन इंडिया मुहिम के तहत 200 से अधिक पार्टनर्स के साथ काम कर रही है

नई दिल्ली. अमेरिकी एविएशन कंपनी बोइंग ने इंडियन एयरफोर्स को अपाचे और चिनूक मिलिट्री हेलिकॉप्टरों की डिलीवरी पूरी कर दी है। बोइंग के साथ भारत ने 22 अपाचे हेलिकॉप्टर और 15 चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदने का सौदा किया था। बोइंग ने शुक्रवार को बताया कि 5 चिनूक की आखिरी खेप मार्च की शुरुआत में और 5 अपाचे हेलिकॉप्टर की आखिरी खेप जून के अखिरी हफ्ते में हिंडन एयरफोर्स स्टेशन पहुंचाई गई।

बोइंग डिफेंस इंडिया के मैनेजिंग डाइरेक्टर सुरेंद्र आहुजा ने कहा- मिलिट्री हेलिकॉप्टरों की इस डिलीवरी के साथ, हम पार्टनरशिप को आगे भी बनाए रखेंगे और भारतीय रक्षा बलों की क्षमताओं को पूरा करने के लिए पूरी तरह से कमिटेड होकर काम करेंगे।

17 देशों के पास है अपाचे का एडवांस वैरिएंट
भारत ने अपाचे का सबसे एडवांस वैरिएंट एएच-64ई खरीदा है। यह अभी तक 17 देशों के पास ही है। एच-64ई अपाचे में लेटेस्ट कम्युनिकेशन सिस्टम, नेविगेशन, सेंसर और वीपन सिस्टम से लैस है। इसमें ऐसा सिस्टम लगा है, जिसके जरिए दिन, रात और सभी तरह के मौसम में टार्गेट के बारे में आसानी से जानकारी मिलती है।

इंडियन एयरफोर्स ने चिनूक का लेटेस्ट वर्जन सीएच-47एफ (आई) खरीदा है। दुनिया भर में बीस देशों की एयरफोर्स में या तो चिनूक हेलिकॉप्टर शामिल है या उसकी खरीद की जा रही है। बोइंग ने बयान में कहा कि चिनूक 50 सालों से दुनिया का सबसे भरोसेमंद हैवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर है। यह गर्म जलवायु, ऊंचाई, और तेज हवाओं में भी आसानी से उड़ सकता है।

सितंबर 2015 में हुआ था सौदा
रक्षा मंत्रालय ने सितंबर 2015 में बोइंग के साथ 22 एएच-64ई अपाचे और 15 सीएच -47 एफ (आई) चिनूक हेलीकॉप्टरों के प्रोडक्शन और ट्रेनिंग के लिए सौदा किया था। हैदराबाद में बोइंग कंपनी टाटा के साथ जॉइंट वेंचर (टाटा बोईंग एयरोस्पेस लिमिटेड (टीबीएएल) के जरिए अपाचे के एयरोस्ट्रक्चर बनाती है। मौजूदा समय में बोइंग भारत में “मेक इन इंडिया” और “स्किल इंडिया” मुहिम के तहत 200 से अधिक पार्टनरों के साथ मिलकर काम कर रही है।

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