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सूंघने की क्षमता कम होना और स्वाद पता नहीं चलना संक्रमण के सिम्प्टम्स में शामिल; अब 7 की बजाय 9 सिम्प्टम्स के आधार पर टेस्टिंग होगी

मसूड़ों में संक्रमण बन सकता है कोरोना का कारण, एक्सपर्ट्स की सलाह- समय पर डेंटल केयर न मिलने से बिगड़ सकती है सेहत

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नई दिल्ली. सूंघने की क्षमता कम होना और स्वाद का पता नहीं चलना अब कोरोना के सिम्प्टम्स में शामिल रहेगा। सरकार ने शनिवार को कोरोना सिम्प्टम्स की लिस्ट में इन दो लक्षणों को भी शामिल कर लिया।

इस लिस्ट में पहले 7 सिम्प्टम्स थे। अब 9 हो गए हैं। पहले बुखार, कफ, थकान, सांस लेने में दिक्कत, बलगम के साथ खांसी, मांसपेशियों में दर्द, नाक से पानी बहना और गला खराब होना या दस्त जैसे सिम्प्टम्स शामिल थे।

टास्क फोर्स ने इसकी सिफारिश की थी
कोरोना पर बनी टास्क फोर्स की पिछले रविवार को हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। टास्क फोर्स के कुछ मेंबर्स ने सुझाव दिया था कि कोरोना की टेस्टिंग में सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता कम होने के सिम्प्टम्स भी शामिल किए जाएं, क्योंकि कई मरीजों में ऐसा देखा गया है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि नॉर्मल जुकाम में भी सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता कम हो सकती है, लेकिन ये कोरोना के भी संकेत हो सकते हैं। इनके आधार पर टेस्टिंग की जाए तो बीमारी का जल्द पता लगाकर इलाज शुरू करने में मदद मिल सकती है। अमेरिका के नेशनल पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट सीडीसी ने मई की शुरुआत में ही इन्हें कोरोना सिम्प्टम्स की लिस्ट में शामिल कर लिया था।

भारत में कोरोना के मरीजों में सिम्प्टम्स का ट्रेंड

सिम्प्टम कितने मरीजों में
बुखार 27%
कफ 21%
गला खराब 10%
सांस में दिक्कत 8%
कमजोरी 7%
नाक से पानी आना 3%
अन्य 24%

(आंकड़े 11 जून को इंटीग्रेटेड हेल्थ इन्फॉर्मेशन प्लेटफॉर्म की रिपोर्ट के मुताबिक)

  • लॉकडाउन के कारण कई मरीजों के इलाज अटके, मरीजों के दांत निकाले जा चुके, पर इंप्लांट प्रोसेस अटक गई
  • मसूड़ों में संक्रमण से शरीर में सूजन आती है, जिससे दिल के रोग और डायबिटीज हो सकती है, कोविड का भी खतरा

Corona वायरस के कारण दुनियाभर में कई स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं। इनमें डेंटल केयर भी शामिल है। दूसरे डेंटिस्ट की तरह ही न्यूयॉर्क के डॉक्टर एडवर्ड ली और रिचर्ड ली अपने आम मरीजों की देखभाल नहीं कर पा रहे हैं। ये डॉक्टर्स अपने परिवार के साथ-साथ 13 लोगों के स्टाफ को भी संभालते हैं।

डॉक्टर एडवर्ड के मुताबिक, हर स्तर पर डेंटल केयर अर्जेंट होती है। जिन परेशानियों को हम रोकते हैं, वे बाद में बढ़ जाती हैं। अगर मरीज दर्द में है तो इसका मतलब है कि देर पहले ही हो चुकी है। हमने स्टाफ के दो सदस्यों को छोड़कर सभी को घर जाने के लिए कहा है। बाकियों को अनएम्प्लॉयमेंट इंश्योरेंस के भरोसे छोड़ दिया है।’ डेंटिस्ट के साथ कुछ मुद्दों पर तो फोन पर बात की जा सकती है, लेकिन डेंटल केयर के लिए टेलीहेल्थ अच्छा ऑप्शन नहीं है।

  • डॉक्टर्स ने क्लीनिक में बढ़ाए सुरक्षा के इंतजाम

बाकी दूसरे डेंटिस्ट की तरह डॉक्टर ली ने भी अपने क्लीनिक में सुरक्षा के इंतजाम बढ़ा दिए हैं। वे यह प्रैक्टिस हमेशा अपनाएंगे। ली कहते हैं कि कोविड-19 जल्दी कहीं नहीं जा रहा है। यह उपाय हमें और मरीजों को सुरक्षित रखने में मदद करेंगे। हमें इस तरह से बिहेव करना होगा कि यह वायरस हमेशा रहेगा।

डॉक्टर ली बताते हैं कि हमने पहले भी पीपीई और ऑफिस को साफ रखने के लिए काफी काम किया है, लेकिन अब हमने इसे और सुरक्षित बनाने के लिए सुधार किए हैं। हर पेशेंट के बाद ट्रीटमेंट रूम की सतह को ऐसे कैमिकल से साफ किया जाता है, जो एक मिनट के अंदर वायरस को खत्म कर देता है। साथ ही उपकरणों को साफ करने के लिए ऑटोक्लेव का उपयोग किया जा रहा है। इसमें यह पहले उपकरण से पूरी हवा और लिक्विड बाहर खींच लेता है और बाद में हीट और प्रेशर से इसे साफ करता है।

  • डेंटल प्रक्रिया में आती हैं की सारी चुनौतियां

20 मई को सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने डेंटिस्ट के लिए गाइडलाइंस जारी की थीं। इसमें कोविड 19 के मरीज और दूसरे लोगों के इलाज का भी जिक्र था। इस तरह की रणनीति बहुत जरूरी हैं, क्योंकि कोई टेस्ट 100 फीसदी सही रिजल्ट नहीं दे रहा है। कई गलत नेगेटिव रिजल्ट्स भी गलत आए हैं। डेंटल प्रक्रिया में हवा और पानी के प्रेशर के कारण की चुनौतियां आती हैं। यह प्रेशर मरीज के वायरस को ट्रीटमेंट रूम में फैला सकता है।

डॉक्टर ली यह जानते हैं कि, लोग एयरोसोल्स को लेकर चिंतित हैं, इसलिए उन्होंने ऑफिस में HEPA फिल्टरेशन लगाया है। यह हवा को साफ और चलाए रखता है। डेंटिस्ट इन एयरोसोल्स को रोकने के लिए खास डिवाइस की मदद ले रहे हैं। डॉक्टर ली भी अपने परिवार और कर्मियों को सुरक्षित रखने के उपाय कर रहे हैं। उनके सभी कर्मचारी पूरे दिन मास्क और ग्लव्ज पहनते हैं और इन्हें साफ कर ऑफिस में ही छोड़कर जाते हैं।

  • लॉकडाउन के कारण कई मरीजों की डेंटल हेल्थ बिगड़ी

इसके साथ ही डेंटिस्ट और दूसरे लोग इलाज में हुई देरी को लेकर चिंतित हैं। कई लोगों का इलाज बीच में अटक गया, तो कुछ का शुरू ही नहीं हो पाया। जनवरी में आए एक मरीज को कैविटी थी जो एक आसान फिलिंग से ठीक हो सकती थी, लेकिन देरी होने के कारण एक बड़ा हिस्सा सड़ गया। अब मरीज के इलाज में कई परेशानी आएंगी। कुछ मरीजों के दांत निकाले गए थे और वे इंप्लांट के लिए तैयार थे। लॉकडाउन के कारण कई लोगों की सर्जरी बीच में अटक गई थी।

इलाज में हुई यह देरी पीरियोडॉन्टल बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए ज्यादा गंभीर है। यह बीमारी 20 से 64 साल के मरीजों को होती है। मसूड़ों में संक्रमण से शरीर में सूजन आ जाती हैं, जिससे ह्रदय रोग और डायबिटीज की बीमारी हो सकती है। खास बात है कि यह दोनों बीमारी कोरोनावायरस के जोखिम को बढ़ा देती हैं। केवल सूजन भी कोविड 19 का कारण बन सकती है।

  • समय ही सबकुछ है

डॉक्टर ली के मुताबिक, युवा मरीजों के लिए समय ही सबकुछ है। अगर ट्रीटमेंट टाला गया तो गहन इलाज की भी जरूरत पड़ सकती है। कई बच्चे इलाज की उम्र को पार कर सकते हैं और उन्हें बड़े होकर इलाज की जरूरत होगी।

 

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