सबसे बड़ा IPO ला रही Paytm की कहानी:विजय शेखर शर्मा ने 24% ब्याज पर लिया था 8 लाख रुपए का लोन; सिर्फ 10 साल में बनने जा रही 2 लाख करोड़ की कंपनी
पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा के पिता अलीगढ़ में एक स्कूल टीचर थे पेटीएम का IPO आने के बाद कंपनी की वैल्यूएशन 2 लाख करोड़ पहुंच सकती है
पेटीएम देश का सबसे बड़ा डिजिटल लेन-देन का प्लेटफॉर्म है। 2021 के अंत तक ये कंपनी पब्लिक हो जाएगी। कंपनी अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में करीब 22 हजार करोड़ का IPO लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। ये भारत का अब तक का सबसे बड़ा IPO होगा। इससे पहले कोल इंडिया ने 2010 में 15,475 करोड़ और रिलायंस पॉवर ने 2008 में 11,700 करोड़ रुपए के IPO लॉन्च किए थे। जब एक कंपनी अपने स्टॉक या शेयर को पहली बार जनता के लिए जारी करती है तो उसे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स यानी IPO कहते हैं।
अब तक का सबसे बड़ा IPO लॉन्च करने के बाद पेटीएम की वैल्युएशन क्या होगी और कंपनी के भविष्य पर इसका कितना असर होगा ? हम यहां इन सवालों का जवाब देते हुए बता रहे हैं पेटीएम के देश की सबसे बड़ी डिजिटल ट्रांजैक्शन कंपनी बनने के सफर की कहानी..
31 मई 2021 को पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा ने एक ट्वीट किया। उन्होंने 10 साल पुराने एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, ’10 साल पहले, जब पेटीएम का ऐप भी नहीं आया था’। उस स्क्रीनशॉट में लिखा था- स्मार्टफोन कुछ भी कर सकता है। नया बिजनेस मॉडल भी तैयार कर सकता है।’ ये ट्वीट दिखाता है कि शर्मा अपने समय से कितना आगे का विजन रखते हैं।
शुरू से शुरू करते हैं
पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा अलीगढ़ के रहने वाले हैं। उनके पिता एक स्कूल टीचर थे। 12वीं तक उनकी पढ़ाई हिंदी मीडियम से हुई। ग्रेजुएशन के लिए वो दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग चले गए और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन की पढ़ाई की। 1997 में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने एक वेबसाइट Indiasite.net की स्थापना की थी और दो साल में ही इसे कई लाख रुपए में बेच दिया। यहीं से उनके एंटरप्रेन्योरशिप सफर की शुरुआत हुई।
दिल्ली में किराए के कमरे से शुरू की कंपनी
विजय एक इंटरव्यू में बताते हैं, ‘दिल्ली के संडे बाजारों में मैं घूमा करता था और वहां से फॉर्च्यून और फोर्ब्स जैसी मैगजीन की पुरानी कॉपियां खरीदा करता था। ऐसे ही एक मैगजीन से मुझे अमेरिका के सिलिकॉन वैली में एक गैराज से शुरू होने वाली कंपनी के बारे में पता चला।’ इसके बाद वो अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने गए। वहां उन्हें पता चला कि भारत में स्टार्टअप के लिए कोई सपोर्ट नहीं था। वापस आकर उन्होंने अपने बचत के पैसों से शुरुआत की।
शर्मा बताते हैं, ‘मेरे बिजनेस में सबसे बड़ा सबक यह था कि इसमें कैश फ्लो नहीं आने वाला था। मैं जिस टेक्नोलॉजी, कॉल सेंटर, कंटेंट सर्विस के फील्ड में काम कर रहा था। वहां से कम समय में कैश मिलना मुश्किल था। मेरे बचत के पैसे भी जल्द खत्म हो गए और इसके बाद मुझे अपने दोस्तों और परिवार के लोगों से मदद लेनी पड़ी। कुछ दिन में वह पैसा भी खत्म हो गया। अंत में मुझे एक जगह से 8 लाख रुपए का लोन 24% ब्याज पर मिला।’
विजय शेखर बताते हैं, ‘मुझे एक सज्जन मिले और उन्होंने कहा कि आप अगर मेरी घाटे वाली टेक्नोलॉजी कंपनी को फायदे में ला दो मैं आपकी कंपनी में निवेश कर सकता हूं। मैंने उनके कारोबार को मुनाफे में ला दिया और उन्होंने मेरी कंपनी की 40% इक्विटी खरीद ली। इससे मैंने अपना लोन चुका दिया और गाड़ी पटरी पर आ गई।’
Pay Through Mobile का छोटा रूप है Paytm
2010 तक विजय शेखर शर्मा के पास बिजनेस के कई आइडिया आ चुके थे। 2011 में उन्होंने स्मार्टफोन से पेमेंट मॉडल पर काम करने का फैसला किया। मोबाइल से पेमेंट (Pay Through Mobile) का शॉर्ट फॉर्म ही Paytm बना। 2014 में पेटीएम ने मोबाइल वॉलेट लॉन्च किया। भारत के बाजार में शुरुआती प्लेयर होने की वजह से पेटीएम को काफी फायदा मिला।
6 साल बाद नोटबंदी ने बदल दी पेटीएम की किस्मत
शुरुआती 6 सालों में पेटीएम के पास कुल 12.5 करोड़ कंज्यूमर ही थे। इसकी वजह भारतीय कंज्यूमर की नकदी पर निर्भरता थी। पेटीएम के लिए ये एक बड़ी चुनौती थी। पेटीएम को छोटी दुकानों और व्यापारियों के साथ जोड़ देने के बाद भी लेन-देन की संख्या काफी कम रही।
8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे जब प्रधानमंत्री ने देश में 500-1000 रुपए की नोटों को गैरकानूनी-टेंडर करार दिया, इसके बाद पेटीएम ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं। एक रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद एक साल में पेटीएम पर 435% ट्रैफिक बढ़ा, वहीं एप के 200% डाउनलोड बढ़ गए। कुल ट्रांजैक्शन की बात करें तो वो 250% तक बढ़ गया।
नोटबंदी की घोषणा के सिर्फ छह महीने बाद चीनी निवेशकों अलीबाबा समूह और SAIF ने पेटीएम में करीब 1500 करोड़ रुपए इनवेस्ट किए। यही वजह थी कि 2015 में 336 करोड़ रुपए के रेवेन्यू वाली कंपनी ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि मार्च 2017 में इसका रेवेन्यू 828.6 करोड़ रुपए हो गया। पेटीएम ने इंडियन क्रिकेट टीम की स्पॉन्सरशिप की, इससे भी उसकी ब्रांड इमेज काफी मजबूत हुई। इसके बाद पिछले साल शुरू हुए कोरोना संकट ने पेटीएम को पहली बार 1 अरब डॉलर (करीब 7,313 करोड़) की कंपनी बना दिया।
पेटीएम के पास फिलहाल करीब 20 सहायक कंपनियां
पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस है। विजय शेखर शर्मा इस वक्त कंपनी के हेड हैं। इस पैरेंट कंपनी की 14 सब्सिडियरी कंपनी, एक ज्वाइंट वेंचर और कई एसोसिएट कंपनियां हैं। यह कंपनी डिजिटल से आगे बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड, फाइनेंशियल सर्विसेज, वेल्थ मैनेजमेंट और डिजिटल वॉलेट की सेवाएं देती है। यह यूपीआई आधारित पेमेंट सेवा भी देती है। पेटीएम का मुकाबला फोन पे, गूगल पे, अमेजन पे और फेसबुक के वॉट्सऐप पे के साथ है। यह भारत के मर्चेट पेमेंट के मामले में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रखती है। पेटीएम के पास 2 करोड़ से ज्यादा मर्चेंट पार्टनर्स हैं। इसके ग्राहक महीने में 1.4 अरब ट्रांजैक्शन करते हैं।
IPO के बाद हो जाएगी 2 लाख करोड़ की कंपनी
पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड है। कंपनी IPO के जरिए अपनी वैल्यूएशन करीब 2 लाख करोड़ लेकर जाना चाहती है। कंपनी ने 28 मई 2021 को हुई बैठक में इसकी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। कंपनी दिवाली तक IPO लाने की योजना बना रही है। पेटीएम के शेयरधारकों में एंट ग्रुप (29.71%), सॉफ्टबैंक विजन फंड (19.63%) , सैफ पार्टनर्स (18.56%), विजय शेखर शर्मा (14.67%) शामिल हैं। इसके अलावा एजीएएच होल्डिंग, बर्कशायर हैथवे, टी रो प्राइस और डिस्कवरी कैपिटल होल्ड के पास कंपनी की 10% से कम हिस्सेदारी है।
2020 में 3,281 करोड़ रेवेन्यू, लेकिन 6,226 करोड़ खर्च
वित्त वर्ष 2019 में इसका रेवेन्यू 3,232 करोड़ रुपए जबकि 2020 में 3,281 करोड़ रुपए रहा है। इसके खर्चे की बात करें तो वित्त वर्ष 2019 में कुल खर्च 7,730 करोड़ रुपए रहा है जबकि 2020 में 6,226 करोड़ रुपए रहा है। घाटा 2019 में 4,217 करोड़ जबकि 2020 में 2,942 करोड़ रुपए रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि पेटीएम के निवेशकों को कंपनी के मुनाफे में आने की उम्मीद कब करनी चाहिए?
मार्केट रिसर्च फर्म बर्नस्टीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पेटीएम की गैर-पेमेंट सेवाओं का विस्तार हो रहा है। पेटीएम धीरे-धीरे पेमेंट सेवाओं पर अपनी निर्भरता घटा रही है। वह क्रेडिट टेक, इंश्योरेंस और वेल्थ टेक से अपनी आमदनी बढ़ाने की कोशिश कर रही है। कंपनी की ये तीन यूनिट उसे फाइनेंशियल सर्विस का ‘सुपर ऐप’’ बना सकती हैं। इससे कंपनी के नुकसान से जल्द उबरने की उम्मीद है।