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संजय दत्त की जल्द रिहाई क्यों हुई?:राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की, संजय दत्त के जेल से बाहर आने का ब्योरा मांगा

अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली है, इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई हो सकती है याचिका पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एजी पेरारिवलन नाम के शख्स ने दायर की है

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पेरारिवलन (स्काई ब्लू शर्ट में) 29 साल से चेन्नई की जेल में बंद है। राजीव गांधी हत्याकांड में उसने बैटरियां मुहैया कराई थीं। इसी का इस्तेमाल बम में किया गया था। -फाइल फोटो

राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी एजी पेरारिवलन ने 1993 में मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस में दोषी ठहराए गए अभिनेता संजय दत्त की समय पूर्व रिहाई का ब्योरा मांगते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पेरारिवलन की याचिका को अदालत ने स्वीकार कर लिया है। इस मामले में अगले हफ्ते सुनवाई हो सकती है।

राजीव गांधी हत्याकांड में बैटरियां उपलब्ध कराई थीं
हत्याकांड के लिए पेरारिवलन ने दो बैटरियां उपलब्ध कराई थीं। इसके कारण 19 साल की उम्र में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इन्हीं बैटरियों का इस्तेमाल पूर्व प्रधानमंत्री को मारने में इस्तेमाल बम में किया गया था। फिलहाल, पेरारिवलन चेन्नई की केंद्रीय जेल में है। पेरारिवलन ने पिछले हफ्ते अपने वकील नीलेश उके के जरिए हाईकोर्ट में अर्जी दी। इससे पहले सूचना के अधिकार के तहत वह अपने सवालों का महाराष्ट्र जेल विभाग से जवाब हासिल करने में असफल रहा था।

256 दिन पहले रिहा हुए थे संजय दत्त
संजय दत्त को 2006-2007 में विशेष अदालत ने हथियार कानून के तहत दोषी ठहराया था और उन्हें 6 साल की सजा सुनाई थी। बाद में हाईकोर्ट ने इस फैसले पर मुहर लगाई थी, लेकिन कारावास की अवधि घटाकर 5 साल कर दी थी। मई 2013 में संजय दत्त ने येरवडा जेल में अपनी सजा पूरी करने के लिए सरेंडर किया था। सजा के दौरान उन्हें कई मौके पर पैरोल मिली। 25 फरवरी, 2016 को उन्हें 256 दिन पहले रिहा कर दिया गया था।

आरटीआई से जवाब नहीं मिलने पर अदालत का दरवाजा खटखटाया
पेरारिवलन की याचिका के अनुसार, उसने मार्च 2016 में येरवडा जेल को आरटीआई आवेदन देकर यह जानना चाहा कि संजय की समय पूर्व रिहाई से पहले केंद्र और राज्य सरकार की राय ली गई थी या नहीं। जवाब नहीं मिलने पर वह अपीलीय प्राधिकरण के पास पहुंचा। यह कहते हुए उसे सूचना देने से इनकार कर दिया कि इसका संबंध तीसरे व्यक्ति से है। इसके बाद वह राज्य सूचना आयोग पहुंचा, जिसने अपर्याप्त और अस्पष्ट आदेश जारी किया था। अब उसने हाईकोर्ट में अपील की है।

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