शूटिंग के बूते ओलिंपिक में टॉप-10 का लक्ष्य:60% गोल्ड और सिल्वर दिलाने वाले शूटिंग पर फोकस; ट्रेनिंग पर हर महीने बॉक्सिंग-कुश्ती से ज्यादा 10 से 40 हजार रु. का खर्च होता है
खेल मंत्रालय ने 2024 और 2028 ओलिंपिक में टॉप-10 में शामिल होने का टारगेट रखा इसके लिए जूनियर खिलाड़ियों के लिए टारगेट ओलिंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) शुरू की टोक्यो ओलिंपिक में भारत के 15 निशानेबाजों ने क्वालिफाई किया है, यह एशिया में चीन के बाद सबसे ज्यादा है
भारत ने 1920 के एंटवर्प (बेल्जियम) ओलिंपिक में पहली बार 6 सदस्यीय आधिकारिक टीम भेजी थी। तब से अब तक भारत ने 23 ओलिंपिक में सिर्फ 26 मेडल जीते हैं। इसमें 9 गोल्ड, 5 सिल्वर और 12 ब्रॉन्ज शामिल हैं। हालांकि, खेल मंत्रालय ने इस प्रदर्शन को सुधारने के लिए कमर कस ली है। मंत्रालय ने प्लान के तहत 2024 और 2028 ओलिंपिक के टॉप-10 में आने का लक्ष्य रखा है।
भारत ने अब तक ओलिंपिक में 15 व्यक्तिगत मेडल जीते हैं, जिसमें 1 गोल्ड और 4 सिल्वर हैं। अकेला गोल्ड और 2 सिल्वर शूटिंग में मिले हैं। इस लिहाज से व्यक्तिगत पदक में भारत को शूटिंग से 60% गोल्ड और सिल्वर मिले हैं। इस कारण मंत्रालय इस खेल पर सबसे ज्यादा फोकस कर रहा है, जबकि शूटिंग का खर्च बॉक्सिंग और कुश्ती जैसे खेलों से कहीं ज्यादा होता है।
पोडियम स्कीम में शूटिंग के सबसे ज्यादा 70 खिलाड़ी
ओलिंपिक चैम्पियन तैयार करने के इरादे से खेल मंत्रालय ने जूनियर खिलाड़ियों के लिए टारगेट ओलिंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) शुरू की है। इस स्कीम के तहत 12 इवेंट के लिए 258 खिलाड़ियों को चुना गया है। इसमें सबसे ज्यादा 70 निशानेबाजों को शामिल किया गया है। टॉप्स के प्लेयर्स को 25 हजार रुपए हर महीने मिलेंगे।
शूटिंग में भारत ने 15 में से 4 व्यक्तिगत ओलिंपिक मेडल जीते
खिलाड़ी | मेडल | खेल | कब | कहां |
केडी जाधव | ब्रॉन्ज | रेसलिंग | 1952 | हेलसिंकी (फिनलैंंड) |
लिएंंडर पेस | ब्रॉन्ज | टेनिस | 1996 | अटलांटा (जॉर्जिया) |
कर्णम मल्लेश्वरी | ब्रॉन्ज | वेटलिफ्टिंग | 2000 | सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) |
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ | सिल्वर | शूटिंग | 2004 | एथेंस (ग्रीस) |
अभिनव बिंद्रा | गोल्ड | शूटिंग | 2008 | बीजिंग (चीन) |
सुशील कुमार | ब्रॉन्ज | रेसलिंग | 2008 | बीजिंग (चीन) |
विजेंदर सिंह | ब्रॉन्ज | बॉक्सिंग | 2008 | बीजिंग (चीन) |
सुशील कुमार | सिल्वर | रेसलिंग | 2012 | लंदन (इंग्लैंड) |
विजय कुमार | सिल्वर | शूटिंग | 2012 | लंदन (इंग्लैंड) |
एमसी मैरीकॉम | ब्रॉन्ज | बॉक्सिंग | 2012 | लंदन (इंग्लैंड) |
साइना नेहवाल | ब्रॉन्ज | बैडमिंटन | 2012 | लंदन (इंग्लैंड) |
योगेश्वर दत्त | ब्रॉन्ज | रेसलिंंग | 2012 | लंदन (इंग्लैंड) |
गगन नारंंग | ब्रॉन्ज | शूटिंग | 2012 | लंदन (इंग्लैंड) |
पीवी सिंधु | सिल्वर | बैडमिंटन | 2016 | रियो (ब्राजील) |
साक्षी मलिक | ब्रॉन्ज | रेसलिंग | 2016 | रियो (ब्राजील) |
शूटिंग सबसे महंगा, हर महीने 10 से 40 हजार रुपए तक का खर्च
10 मीटर इवेंट की ट्रेनिंग के लिए शूटरों को हर महीने 10 हजार रु., जबकि 25मी इवेंट के लिए 40 हजार रु. खर्च करने पड़ते हैं। 10मी एयर पिस्टल की गोली का डिब्बा 500 रु. का मिलता है। एक शूटर महीने में 7 डिब्बे तक खर्च कर देता है। वहीं, टारगेट पर भी 1000 रु. तक खर्च हो जाते हैं। खुद की पिस्टल और राइफल नहीं होने पर किराए और कोचिंग पर 5 से 6 हजार अलग से खर्च करना पड़ता है।
25 और 50 मीटर इवेंट की ट्रेनिंग भी काफी महंगी है। इस इवेंट की ट्रेनिंग में इस्तेमाल होने वाली एक गोली 10 रु. में मिलती है। एक शूटर कम से कम एक दिन में 100 गोली फायर कर देते हैं। इस लिहाज से केवल गोली पर हर महीने 30 हजार का खर्च होता है। टारगेट पर 5000 के अलावा कोचिंग और पिस्टल (राइफल) के किराए पर कम से कम 5000 और खर्च करना पड़ता है। इस तरह खिलाड़ियों को 25 और 50मी इवेंट की ट्रेनिंग के लिए हर महीने करीब 40 हजार रु. तक खर्च करना होता है।
शूटिंग शुरू करने के लिए 3 से 5 लाख रुपए का खर्च
अगर कोई शूटिंग की ट्रेनिंग शुरू करता है और अपना पिस्टल खरीदता है, तो उसे 1.5 से 2 लाख रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। इसी तरह राइफल पर 3 से 4 लाख का खर्च आता है। इनके अलावा जूते पर 20 से 25 हजार और चश्मे पर 25 से 30 हजार रुपए खर्च करना पड़ता है।
रैपिड फायर की गोलियों पर हर महीने 1 लाख रुपए का खर्च
शूटर आदर्श सिंह ने भास्कर को बताया कि उन्होंने शूटिंग की एबीसीडी स्कूल के शूटिंग रेंज से सीखी। अभी ट्रेनिंग पर हर महीने 2 लाख रुपए से ज्यादा खर्च करना पड़ता है। हालांकि, अब उन्हें स्पॉन्सर मिल गए हैं। रैपिड फायर की ट्रेनिंग पर सबसे ज्यादा खर्च आता है, क्योंकि इसमें गोलियां ज्यादा लगती हैं। गोलियों पर ही केवल एक लाख से ज्यादा खर्च हो जाता है।
टोक्यो ओलिंपिक के लिए कोटा हासिल करने वाले 15 भारतीय शूटर
इवेंट | महिला खिलाड़ी | पुरुष खिलाड़ी |
10मी. एयर पिस्टल | मनु भाकर, यशस्विनी देसवाल | सौरव चौधरी और अभिषेक वर्मा |
25मी. स्पोर्ट्स पिस्टल | चिंकी यादव, राही सरनोबत | कोई नहीं |
10मी. एयर राइफल | अपूर्वी चंदेला, अंजुम मुदगिल | दिव्यांश सिंह पंवार और दीपक कुमार |
थ्री पोजिशन | तेजस्विनी सावंत | ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर और संजीव राजपूत |
स्कीट | कोई नहीं | मेराज अहमद खान और अंगद बाजवा |
शूटिंग के मुकाबले कुश्ती और बॉक्सिंग काफी सस्ता खेल
कुश्ती और बॉक्सिंग जैसे खेल में शूटिंग की तरह हर महीने ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने होते हैं। शुरुआत में कुश्ती के कॉस्ट्यूम और जूतों पर 3000 से 4000 रु. खर्च करने होते हैं। बॉक्सिंग में ग्लब्स और फेस गार्ड पर 3 से 4 हजार रुपए खर्च करने होते हैं। इन दोनों ही खेलों में खिलाड़ी को अपने डाइट पर ज्यादा ध्यान देना होता है। दोनों खेलों की कोचिंग के लिए प्राइवेट एकेडमी में 1 से 2 हजार रुपए फीस देनी पड़ती है।
छोटे शहरों के स्कूलों से बड़े खिलाड़ी निकले
अभिनव बिंद्रा के 2008 बीजिंग ओलिंपिक में गोल्ड जीतने के बाद शूटिंग काफी लोकप्रिय हो गई है। देश के छोटे शहरों के स्कूलों में भी शूटिंग रेंज खुल गए हैं। मनु भाकर, अनीश भनवाल और आदर्श सिंह ने स्कूल से शूटिंग शुरू की थी। तीनों ने वर्ल्ड कप में भी मेडल जीते हैं। मनु भाकर ओलिंपिक के लिए भी क्वालिफाई कर चुकी हैं।