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वैक्सीन के दोनों डोज लगे हों तो भी कोरोना हो सकता है, मगर गंभीर लक्षणों की आशंका 100% तक कम; संक्रमण से मौत नहीं होगी

अभी सिर्फ 1 से 1.5% आबादी को दोनों डोज लगे, 70% आबादी को वैक्सीन लगी तो हर्ड इम्युनिटी संभव एक्सपर्ट्स बोले-वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स से डरने की जरूरत नहीं

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वैक्सीनेशन से जुड़ी तमाम भ्रांतियों और सवालों पर   विशेषज्ञों से बात की। जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट मेडिसिन महात्मा गांधी मेमो. हॉस्पिटल, इंदौर के प्रोफेसर डॉ. वीपी पांडे और शेल्बी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के कंसल्टिंग फिजिशियन डॉ. अजय परीख

वैक्सीन कोरोना को पूरी तरह रोक देगी या कोरोना होने पर उसके असर को कम करेगी?

डॉ. अजय परीखः वैक्सीन कोरोना होने पर उसके असर को कम कर देगी। यह शील्ड है यानी कवच। वह सर्दी-जुकाम रह जाएगा।

डॉ. वीपी पांडेः वैक्सीन की इफेक्टिवनेस या एफिकेसी बताई जाती है कि वैक्सीन 84% या 91% एफिकेसी रखती है। यानी उन 84% या 91% लोगों में संक्रमण नहीं होगा। इसका मतलब बचे हुए 16% या 9% लोगों को इन्फेक्शन हो सकता है। अभी तक के रिसर्च के मुताबिक रोग की गंभीरता को कम करने में वैक्सीन 100% तक इफेक्टिव है मृत्यु को 100% रोक सकती है।

लोगों को वैक्सीन का पहला डोज लगाने के बाद भी कोरोना हो रहा है। ऐसा क्यों?

डॉ. अजय परीखः वैक्सीन का पहला डोज लेते हैं तो वह शरीर को बताता है कि यह वायरस है, जो आपको इन्फेक्ट कर सकता है। तब शरीर उससे लड़ने की क्षमता खुद ही विकसित कर लेता है। पहला डोज भी दो-चार सप्ताह में कुछ प्रतिशत तक एंटीबॉडी बना लेता है। यह अलग-अलग वैक्सीन के लिए 50 से 70% तक होती है।

डॉ. वीपी पांडेः वैक्सीन की संरचना कुछ ऐसी है कि वह शरीर में जाकर एंटीबॉडी रिएक्शन शुरू करती है। शरीर में एंटीबॉडी बनने में वक्त लगता है। ऐसा नहीं है कि आज वैक्सीन लगाई और शाम से इन्फेक्शन नहीं होगा। अभी कोरोना बेहद संक्रामक है। पहला डोज लगने के 15-20 दिन बाद एंटीबॉडी बनने लगती है। पर वह इतनी नहीं कि कोरोना को रोक सके। तभी दूसरी डोज लगाते हैं, जिसे बूस्टर कहते हैं।

कुछ लोगों को दूसरे डोज के बाद भी कोरोना हो रहा है। यह कैसे संभव है?

डॉ. अजय परीखः इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए और यह भी नहीं सोचना चाहिए कि वैक्सीन प्रभावशाली नहीं है। वैक्सीन का काम है कोरोनावायरस के प्रभाव को कम करना। दूसरे डोज के 15 दिन बाद वायरस के गंभीर लक्षण पैदा करने की क्षमता शून्य हो जाती है।

डॉ. वीपी पांडेः अगर लोग वैक्सीन के दो डोज लेने के बाद ढिलाई बरतेंगे तो इन्फेक्शन का खतरा बढ़ेगा। अच्छी बात यह है कि दूसरा डोज लगने के 15 दिन बाद हम कह सकते हैं कि वायरस इन्फेक्शन हुआ तो भी वह गंभीर नहीं होगा। मृत्यु तक तो जाएगा ही नहीं। भारत में 21 अप्रैल तक सिर्फ 1 से 1.5% आबादी को ही दोनों डोज लग पाए हैं। 70% लोग टीका लगवा लें तो हर्ड इम्युनिटी संभव है।

क्या 18+ के हर नागरिक को वैक्सीन लगवाना ही चाहिए?

डॉ. अजय परीखः बिल्कुल लगवानी ही चाहिए। भारत उन चुनिंदा देशों में से एक हैं, जहां यह सुविधा 1 मई से शुरू हो रही है। अमेरिका ने कुछ दिन पहले ही अपने यहां सभी वयस्क आबादी को वैक्सीनेट करना शुरू किया है। हम भाग्यशाली हैं कि हमें यह मौका मिला है। हमें यह वैक्सीन जरूर लगानी चाहिए।

डॉ. वीपी पांडेः हम तो जनवरी से ही मांग कर रहे थे कि जल्द से जल्द पूरी आबादी को वैक्सीनेट करने की जरूरत है। युवा लोग सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं। बाहर जाते हैं और लोगों से मिलते-जुलते हैं। इन्हें प्रोटेक्शन मिलेगा तो संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी। इंग्लैंड ने 45% और इजरायल ने 58% आबादी को वैक्सीनेट कर लिया है। यह देश अब खुल रहे हैं। इन्होंने कोरोना को काफी हद तक काबू कर लिया है। उन्होंने हर्ड इम्युनिटी डेवलप कर ली है। हमारे यहां भी जिसे भी मौका मिले, उसे जरूर वैक्सीन लगानी चाहिए।

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