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लॉकडाउन से एक्जिबिशन उद्योग को जबरदस्त झटका, 130 एक्जिबिशन कैंसल हुए, जुलाई के अंत तक 5,000 करोड़ का नुकसान होने की आशंका

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मुंबई. कोरोना के लॉकडाउन ने एक्जिबिशन (प्रदर्शनी) इंडस्ट्री को जबरदस्त झटका दिया है। ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में सालाना करीबन 550 एक्जिबिशन का आयोजन होता है। लॉकडाउन के कारण मार्च से जुलाई के बीच में 130 एक्जिबिशन कैंसल हो गए हैं। इससे इस उद्योग को करीबन 5,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। जबकि अभी अगले 6 महीनों तक किसी आयोजन की उम्मीद भी नहीं है।

एक्जिबिशन से कई सेक्टर को मिलता है रोजगार

गुजरात के अग्रणी एक्जिबिटर के एंड डी कम्युनिकेशन के चेयरमैन कमलेश गोहिल ने बताया कि एक्जिबिशन उद्योग में कॉरपेंटर, सुथार, टूर ऑपरेटर, टैक्सी, रिक्शा चालक जैसे लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलता है। एक अनुमान के अनुसार, पूरे देश में 28 से 30 हजार करोड़ रुपए का यह उद्योग है। वित्त वर्ष के पहले तीन से चार महीनों में पांच हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता है, जो इस बार नुकसान हो गया है।

साथ ही अभी की जो स्थिति है, ऐसे में कोई उम्मीद नहीं है कि चालू वित्तीय वर्ष में कोई आयोजन हो सकता है। उनके मुताबिक, इस वित्तीय वर्ष में एक भी बिल जनरेट कर पाना मुश्किल है।

दिल्ली के प्रगति मैदान और मुंबई के आयोजन सेंटर कोविड फैसिलिटी में बदल गए

यही नहीं, दिल्ली के प्रगति मैदान और मुंबई में बड़े एग्जिबिशन सेंटर को दिसंबर तक कोविड फैसिलिटी के रूप में बदल दिया गया है। आमतौर पर एक्जिबिशन इंडस्ट्रीज में 4 से 6 महीने की योजना बनती है। ऐसा लगता है कि दिसंबर के बाद 4-6 महीने में कोई आयोजन हुआ तो हो सकता है। अहमदाबाद के फार्माटेक एक्सपो के सीईओ आर्जव शाह ने बताया कि इस उद्योग में ऑर्गनाइज्ड तरीके से लोगों को लाना पड़ता है।

सितंबर तक के सभी इवेंट कैंसल 

आयोजकों का कहना है कि सरकार ने भले ही कुछ सेक्टर को खोल दिया है, पर इस सेक्टर का खुलना मुश्किल है। सितंबर तक तमाम इवेंट कैंसल हो चुके हैं। अभी नई तारीख घोषित करने की स्थिति भी नहीं है। उनके मुताबिक कंपनियां अभी कुछ क्षमता पर चालू हुई हैं। ऐसे में प्रोडक्ट प्रमोशन के लिए होने वाले खर्च को निकालना भी मुश्किल है। कोरोना की वजह से विश्व स्तर पर सभी देश प्रभावित हैं। ऐसे में इंटरनेशनल एक्जिबिशन भी इस साल दिसंबर से पहले होना मुश्किल है।

एशिया और यूरोप में धीरे-धीरे खुल रहे हैं एक्जिबिशन सेंटर

एक अन्य आयोजक ने कहा कि पूरी दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है, जो एक्जिबिशन को लेकर पॉजिटिव हो। एशिया और यूरोप के काफी देश नई योजनाओं के साथ प्रदर्शन उद्योग को खोल तो रहे हैं, पर यह अभी बहुत तेजी के साथ नहीं खुल रहा है। एक अनुमान के आधार पर अप्रैल में वार्षिक इवेंट्स में करीबन 15-20 प्रतिशत का नुकसान होता है। इसके परिणाम स्वरूप 3,500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। जुलाई अंत तक अनुमानित रूप से 5,000 करोड़ रुपए के नुकसान होने की आशंका है।

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