लॉकडाउन का एक साल: सबसे ज्यादा महंगा हुआ सरसों का तेल और चाय; लेकिन सब्जियां हुईं सस्ती, जानिए एक साल में किसने बिगाड़ा आपके घर का बजट
पिछले एक साल में रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले सामान 20% तक महंगे हुए। बाकी पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने तो हमारा जीना पहले से ही मुहाल किया है। आइए आंकड़ों में आपको बताते हैं कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें सालभर में कैसे बढ़ीं...
नई दिल्ली। आसमान से गिरे खजूर पर अटके… ये कहावत पिछले एक साल के दौरान आम आदमी पर सटीक बैठी। एक तो पहले लॉकडाउन के चलते घर के अंदर बंद और ऊपर से बढ़ती महंगाई। किसी की नौकरी गई, तो किसी का धंधा बंद। यहीं नहीं सैलरी भी घटी, लेकिन महंगाई है कि लगातार बढ़ती जा रही। महंगाई के बारे में सोचकर तो अभय देओल की फिल्म ‘चक्रव्यूह’ का वो गाना याद आ गया… महंगाई की महामारी ने हमारा भट्ठा बिठा दिया.. आम आदमी की जेब हो गई सफाचट्ट।
पिछले एक साल में रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले सामान 20% तक महंगे हुए। बाकी पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने तो हमारा जीना पहले से ही मुहाल किया है। आइए आंकड़ों में आपको बताते हैं कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें सालभर में कैसे बढ़ीं…
असल में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने ही आपकी जेब पर डाका डाला है, क्योंकि कच्चे माल से आपके दरवाजे तक प्रोडक्ट पहुंचने तक का सफर काफी लंबा होता है। इसी दौरान महंगे पेट्रोल-डीजल से सामान की लागत ज्यादा हो जाती है। एक तरफ कच्चे तेल पर सरकारें करीब तीन गुना टैक्स वसूलती हैं तो दूसरी ओर बढ़ी हुई कीमतें ट्रांसपोर्टेशन की लागत बढ़ा देती हैं, जो सालभर में 11% बढ़ी। इसी लागत को वसूलने के लिए सामान बनाने वाली कंपनियां इसका बोझ आप पर डाल देती हैं। इसका नतीजा यह रहा कि देश के रिटेल महंगाई को मापने वाला कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) फरवरी 2021 में 5.03% पर पहुंच गया, जो जनवरी में 4.06% था।
ज्यादा दिन तक नहीं टिकेगी महंगाई
सीनियर इकोनॉमिस्ट बृंदा जांगीरदार भी कहती हैं कि देश में महंगाई बढ़ने की मुख्य वजह कच्चे तेल की कीमतें हैं। इससे खाने-पीने के सामान महंगे हुए हैं, लेकिन यह महंगाई ज्यादा दिन तक टिकने वाली नहीं, क्योंकि एग्री सेक्टर और कारोबार की स्थिति सुधर रही है।
कंपनियों ने बढ़ाए साबुन-तेल के दाम
अलग-अलग कंपनियों के सूत्रों से बातचीत में पता चला कि रोजमर्रा में इस्तेमाल किए जाने वाले सामान भी एक महीने में 10% तक महंगे हुए हैं। इसमें शैम्पू, साबुन, हैंडवॉश से लेकर क्रीम जैसे प्रोडक्ट्स भी शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों में भी कहा गया है कि पर्सनल केयर 8% तक महंगे हुए हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सालभर में खाने-पीने के सामानों में नॉनवेज आइटम सबसे ज्यादा महंगे हुए। मांस-मछली और अंडे के दाम 11% से ज्यादा बढ़े। दूसरी ओर लॉकडाउन के चलते सरसों की खपत बढ़ने से इसका तेल करीब 21% महंगा हुआ है। इसके अलावा जरूरी पेय पदार्थों में शामिल चाय भी महंगी हुई है। जानकारों के मुताबिक नई फसल आने तक इनकी कीमतें अभी और बढ़ेंगी।
… लेकिन सब्जी हुई सस्ती
आम लोगों को सबसे ज्यादा राहत सब्जियों ने दी। यह 6% से ज्यादा सस्ती हुई है। इसमें आलू प्रति किलो 5-6 रुपए के दाम पर बिक रहा है। हालांकि सस्ती कीमतों से ग्राहकों को तो फायदा हो रहा है, लेकिन किसानों को अपनी लागत निकालने में मुश्किल हो रही है।