लिम्पियाधुरा-कालापानी-लिपुलेख विवाद / एक सड़क जिसे लेकर हुआ है नेपाल और भारत के बीच विवाद, क्या है पूरी कहानी, पढ़ें ये रिपोर्ट
इसी रास्ते से हर साल लाखों श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए जाते हैं, लिपुलेख में सड़क बनने से अब ये यात्रा सिर्फ तीन दिन में ही हो सकेगी 2015 में जब भारत ने चीन के साथ लिपुलेख रास्ते से व्यापार मार्ग का समझौता किया था, तब भी नेपाल ने समझौते से पहले उससे सलाह नहीं लेने पर आपत्ति जताई थी
नई दिल्ली. भारत-नेपाल के बीच एक बार फिर से सीमाओं को लेकर विवाद हो गया है। इस बार विवाद का कारण है- सड़क। ये सड़क उत्तराखंड-नेपाल सीमा के पास घटियाबगढ़ से लिपुलेख दर्रा के बीच बन रही है। इसकी लंबाई 80 किमी है।
नेपाल तीन दिशाओं से भारत से घिरा है। पूरब, पश्चिम और दक्षिण। भारत-नेपाल के बीच 1 हजार 808 किमी लंबी सीमा है। उसके बाद भी विवाद क्यों? तो उसका कारण है लिपुलेख को नेपाल अपना हिस्सा बता रहा है और इस सड़क निर्माण पर आपत्ति जता रहा है।
हम भारत-नेपाल सीमा विवाद को आगे समझेंगे। पर उससे पहले समझते हैं ये सड़क क्यों बनाई जा रही है?
दरअसल, हर साल लाखों श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए जाते हैं। ये कैलाश मानसरोवर है तिब्बत में। वही तिब्बत, जिस पर चीन अपना अधिकार बताता है।
कैलाश मानसरोवर जाने के हमारे पास तीन रास्ते हैं। पहला रास्ता है सिक्किम का नाथूला दर्रा। दूसरा रास्ता है नेपाल। और तीसरा रास्ता है उत्तराखंड।