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लाल खून के काले कारोबार में सिविल अस्पताल प्रबंधन की कारगुजारी पर उठे सवाल, आयोग ने तत्काल कारर्वााई के दिए आदेश

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बठिंडा. सिविल अस्पताल बठिंडा में ब्लड बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों की तरफ से लोगों को संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में पंजाब राज्य बाल अधिकार कमिश्न ने कड़ा संज्ञान लेते जिला प्रशासन व सेहत विभाग को आड़े हाथ लिया है। वही सेहत विभाग की जांच टीमों की तरफ से दी गई रिपोर्ट के बाद अपना फैसला सुनाते बठिंडा सिविल अस्पताल प्रबंधकों व जांच कमेचियों की कारगुजारी पर सवाल खड़े किए है। आयोग ने अब नई हिदायते भी जारी की है व इसमें आयोग के चेयरमैन ने अपनी रिपोर्ट में जहां सेहत विभाग की अधिकारियों की तरफ से एचआईवी पोजटिव रक्त चढ़ाने के मामले में गठित जांच कमेटी की कारगुजारी को संदिग्ध माना है वही सिविल अस्पताल के अधिकारियों को एचआईवी पोजटिव रक्त चढ़ाने वाले थेलेसीमियां पीड़ित बच्चों व महिला को बिना किसी देरी के एआरटी के लिए सुविधा से लेंस सेंटर भेजने के लिए कहा है। वही अस्पताल के ब्लड बैंक में पिछले पांच साल के रिकार्ड की जांच करने के साथ एमएलटी के कार्यों की गहराई से जांच करने के लिए हिदायत दी है। ब्लड़ बैंक के बीटीओ व एमएलटी की संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में भूमिका की जांच कर 15 दिन में रिपोर्ट आयोग के पास सौंपी जाएगी वही थैलेसीमिया पीड़ितों को रक्त देने वाले सभी रक्तदानियों की जांच करने, अगर कोई एचआईवी पाया जाता है तो उनकी तरफ से किन लोगों को रक्त दिया गया उसकी अलग से जांच करने। अगर एचआईवी पोजटिव रक्त चढ़ा है तो इसमें किस अधिकारी व कर्मचारी की जिम्मेवारी थी उसे तय कर पुलिस के पास शिकायत दे क्रिमनल केस दर्ज करवाने की हिदायत भी दी है। यह सब मामले की जांच 20 दिनों के अंदर पूरी कर आयोग को देने की हिदायत भी दी है।

पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रदेश पदाधिकारियों की मीटिंग हुई। इसमें प्रधान महिंदरपाल सिंह पटियाला ने पंजाब सरकार की निंदा करते हुए कहा कि वह पिछले काफी समय से अपनी मांगों को पूरा करने की अपील कर चुके है, लेकिन सरकार व सेहत विभाग उनकी मांगों को अनदेखा कर रहा है। वहीं गत दिवस यूनियन ने मांगें पूरी ना होने की सूरत में रोष धरना देने की चेतावनी दी थी, लेकिन सरकार व विभाग की तरफ से इसका कोई जबाव नहीं दिए जाने से यह साबित हो गया है कि सरकार उनकी मांगों प्रति गंभीर नहीं है और उन्हें धरना लगाने के लिए मजबूर कर रही है। इसलिए यूनियन ने फैसल लिया है कि एक दिसंबर को समूह मुलाजिम अपना सारा कामकाज ठप करके चंडीगढ़ में धरना देंगे। यूनियन के उप्रधान जसमेल सिंह दियोल ने कहा कि कोरोना काल में बिना किसे सामाजिक व आर्थिक लाभ के फ्रंट लाइन सेवा निभा रहे मुलाजिमों को बिना किसी शर्त के रेगुलर करके सरकार अपना वादा निभाएं। गुरजंट सिंह बाहोमाजरा ने कहा कि पिछले 20 सालों से कम वेतन काम कर रहे है। मुलाजिम का शोषण बंद किया जाएं और बनता लाभ दिया जाएं। वहीं यूनियन ने ब्लड बैंक बठिंडा के एलटी अजय शर्मा व जगदीप सिंह को बर्खास्त करने की सख्त निंदा की और सेहत मंत्री से पूरे मामले की निपष्क्ष जांच करवाकर साजिश को बेनकाब करने की मांग की। उन्होंने कहा कि केवल ठेके पर भर्ती मुलाजिमों को सजा देकर असल आरोपितों को बचाया नहीं जा सकता है। उन्होंने दोनों मुलाजिमों की की ईमानदारी व बेदाग लंबी सर्विस को देखते हुए उन्हें दोबारा वापस लेने की मांग की।

आयोग के चेयरमैन रजिंदर सिंह की तरफ से पंजाब हेल्थ एंड फैमली वैलफेयर डिपार्टमेट को जारी पत्र में कहा है कि सिविल अस्पताल बठिंडा में चल रहे ब्लड बैंक में एक महिला 6 मई 2020 को संक्रमित मिली वही इसके बाद चार थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी पोजटिव रक्त चढ़ा दिया गया।  इसके बावजूद सिविल अस्पताल प्रबंधक जिसमें सीएमओ व एसएमओ शामिल है ने ब्लड बैंक के बीटीओ व एमएलटी की जिम्मेवारी तय नहीं की जो काफी गंभीर लापरवाही का मामला है। इसी तरह तत्कालीन बीटीओ व एमएलटी बलदेव सिंह रोमाणा व रक्तदान करने वाले व्यक्ति के काल की डिटेल नहीं जांची गई व इसे जहां सबूत के तौर पर रिकार्ड में रखना चाहिए था व जांच रिपोर्ट में इसका जिक्र किय़ा जाना था वह लापरवाही या फिर जावबूझकर नहीं किया गया जिससे आरोपियों को जहां लाभ मिलेगा वही मामले की गहराई में जाने में दिक्कत होगी। इस पूरे मामले में खेला गया अमानवीय खेल काफी चिंताजनक है। इसमें जांच के दौरान एचआईवी पोजटिव ब्लड टेस्टिंग कीट जिसकी तादाद करीब 600 थी बाहर से रिकार्ड पूरा करने के लिए मंगवाई गई जबकि जांच कमेटी ने इस बात की जानकारी नहीं जुटाई कि अस्पताल को जारी कीट कहां गई। अगर कीट बाहर से मंगवाई गई तो वह किसके पास से लाई गई व उस व्यक्ति का ब्लड बैंक के साथ क्या हित साधा जा रहा था। अस्पताल के सीनियर अधिकारियों ने इस मामले में खुद पड़ताल क्यों नहीं की यह सवाल बड़ा है व इससे कई तरह की आशंकाओं को जन्म मिलता है व शक है कि इस पूरे खेल में सिविल अस्पताल के अधिकारी भी मिले हुए है।जबकि नियमानुसार अधिकारी जांच करते व पता लगाते व मामले में पुलिस को भी जानकारी नहीं देकर अपराध किया गया है। आयोग ने इस पूरे खेल से पर्दा उठाने के लिए पिछले पांच साल के रिकार्ड की जांच करने के लिए कहा है कि कीट को गायब करने व फिर बाहर से मंगवाकर रिकार्ड पूरा करने का खेल कब से चल रहा था। फिलहाल आयोग ने इस बाबत जांच को फिर से करने के साथ आगे से ब्लड बैंक के रिकार्ड की प्रतिदिन जांच करने व कीटों के नंबर का मिलान कर रिकार्ड बनाने के लिए बीटीओ की जिम्मेवारी तय करने के लिए कहा है वही एसएमओ को हिदायत दी है कि वह सप्ताह में पूरे मामले की रिव्यू करने के साथ ब्लड बैंक के रिकार्ड की जांच करे व आला अधिकारियों को इस बाबत अवगत करवाए।

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