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यहां न सोशल डिस्टेंसिंग, न क्वारैंटाइन स्टाम्प, न ही कोई जांच; यात्रियों में भी नहीं दिख रहा कोरोना का डर, लगेज चेक पॉइंट पर लग रही भीड़

फ्लाइट में जाने की जल्दबाजी के कारण यात्री एयरपोर्ट स्टाफ की सुरक्षा अपील को अनदेखा कर देते हैं उपयोग किए जा चुके मास्क, प्रोटेक्टिव कवरिंग जैसे वेस्ट के कारण रेस्पिरेट्री वायरस फैलने का खतरा है

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भारत सरकार ने 25 मई के बाद से घरेलू हवाई यात्रा की शुरुआत कर दी थी। अधिकारियों ने जनता को यह भरोसा दिया था कि कोविड 19 को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। हालांकि, देश भर में बढ़ते मामलों को देखते हुए चिंता जताई जा रही है कि लचर सुरक्षा उपायों के कारण देश में हवाई रास्तों के जरिए भी केस बढ़ेंगे। 6 जुलाई को कोलकाता एयरपोर्ट पर दिल्ली, मुंबई समेत भारत के शहरों से आने वाली फ्लाइट्स पर प्रतिबंध लगाया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, यात्रियों के कारण कोविड के मामले बढ़े हैं।

प्रोटोकॉल का पालन नहीं होना
22 जून को दिल्ली से मुंबई की हवाई यात्रा के दौरान DW के रिपोर्टर ने सुरक्षा में कई खामियां पाईं। दिल्ली एयरपोर्ट पर यात्री सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे थे। इसके अलावा इन नियमों की जांच करने के लिए वहां कोई अधिकारी मौजूद नहीं था। जबकि अप्रैल में एयरपोर्ट सर्विस मैनेजर जीएमआर ने मीडिया के सामने वादा किया था कि प्रोटोकॉल का पालन हो इसके लिए कई कर्मचारी तैनात किए जाएंगे।

एयरपोर्ट कर्मचारियों ने कहा “हम क्या कर सकते हैं”
बैगेज स्क्रीनिंग के दौरान लोग भीड़ लगा रहे थे। सिक्युरिटी चेक पॉइंट पर भी पर्याप्त कर्मचारी नहीं थे। केवल दो-तीन कर्मचारी होने के कारण लोग जल्दबाजी कर रहे थे। एयरपोर्ट के अधिकारी ने कहा “चूंकि महामारी के दौरान क्लियरेंस में काफी समय लगता है, इसलिए यहां कतार बढ़ जाती है। जिससे सिक्युरिटी गेट पर भीड़ बढ़ जाती है।”

बोर्डिंग गेट पर लोग फ्लाइट में जाने की जल्दबाजी में थे और एयरपोर्ट कर्मचारियों की सोशल डिस्टेंसिंग की अपील को नजरअंदाज कर रहे थे। एयरपोर्ट कर्मचारी ने बताया “हमें यात्रियों की घबराहट को संभालने में मुश्किल हो रही है। खुद का बचाव करते हुए उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग के लिए काफी कठिन हैं। हम हमारी पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अगर लोग सुनना ही नहीं चाहते तो हम क्या कर सकते हैं।”

मुंबई एयरपोर्ट के हाल
मुंबई एयरपोर्ट पहुंचने के बाद डॉक्टर्स और सरकारी अधिकारी जैसे जरूरी कार्यकर्ताओं को अलग से लाइन में खड़ा किया गया। इसके बाद उन्हें बिना 14 दिन के क्वारैंटाइन स्टाम्प के बगैर जाने दिया। एक अधिकारी ने कहा “अगर आपको काम के लिए फील्ड पर जाना पड़ रहा है तो आपको स्टाम्प की जरूरत नहीं है।” जबकि एक एयरपोर्ट अधिकारी के मुताबिक, बिना स्टाम्प के बाहर जाने की अनुमति किसी को भी नहीं है। मुंबई एयरपोर्ट के प्रवक्ता के अनुसार, सभी घरेलू यात्रियों को स्क्रीन किया जा रहा था और क्वारैंटाइन के लिए हैंड स्टाम्प दिया जा रहा था।

सामान की जांच के दौरान भी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते हैं। सिक्युरिटी चेकपॉइंट पर नहीं हैं पर्याप्त कर्मचारी।

ऑनलाइन चेक इन, सिंथैटिक लैदर सीट जैसे कई उपाय
हवाई यात्रा शुरू होने के बाद से ही लचर सुरक्षा इंतजामों के कारण सेवाएं जांच के दायरे में आई हैं। कई बार सोशल मीडिया पर यात्रियों से भरे हुए रप्लेन की तस्वीरें भी वायरल हुईं। यात्रियों के कोविड 19 पॉजिटिव आने के बाद लोग चिंतित हुए हैं।

जबकि एयरलाइन्स यात्रियों की सुरक्षा के लिए कई उपाय कर रही हैं। इनमें ऑनलाइन चेक-इन, सिंथैटिक लेदर सीट और कम से कम छूने की प्रक्रिया शामिल हैं। एक एयरलाइन सेवा मिडिल सीट पर बैठने वाले अपने यात्रियों को गाउन और सभी यात्रियों को फेस शील्ड मुहैया करा रही है। एक यात्री के मुताबिक, फ्लाइट में कर्मचारियों की आवाजाही भी कम हो गई है। इतना ही नहीं यात्रियों को टॉयलेट का उपयोग भी कम करने के लिए कहा जा रहा है।

एयरपोर्ट के मुकाबले प्लेन में संक्रमण की संभावना ज्यादा
गुरुग्राम स्थित वी मेडिका क्लीनिक में डॉक्टर साहिल सिंह के मुताबिक, यात्रियों के एयरपोर्ट के बजाए प्लेन में संक्रमित होने के चांसेज ज्यादा हैं। कुछ स्टडीज के अनुसार, यह वायरस बंद जगह में ड्रॉपलेट्स के कारण हवा से फैल सकता है। एयरपोर्ट पर काफी जगह होती है, जिससे आप आसानी से किसी से दूर हो सकते हैं। जबकि प्लेन जैसे छोटी जगह में वायरस का एयर सस्पेंशन बढ़ जाता है।

मुंबई एयरपोर्ट के एक अधिकारी ने बताया कि हवा में कोरोनावायरस के फैलने को रोकने के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अथॉरिटी ने एयरपोर्ट पर कम से कम एयर कंडीशनिंग रखने का फैसला किया है और कम एसी या एसी नहीं होने का मतलब है वायरस हवा में नहीं उड़ेगा। इससे यात्रियों को गर्मी में परेशानी हो रही है, लेकिन यह उनकी सुरक्षा के लिए है।

मेडिकल वेस्ट से भी हो सकती है गंभीर परेशानियां
कोलकाता एयरपोर्ट पहुंची एक यात्री के मुताबिक, मास्क और प्रोटेक्टिव कवरिंग भी एक गंभीर समस्या है। एयरपोर्ट पर बायो वेस्ट का डिब्बा जरूरत से ज्यादा भरा हुआ था। साहिल सिंह के मुताबिक बाहर फैल रहे बायोहजार्ड वेस्ट के संपर्क में आने पर कोई भी कोरोना के अलावा इंफ्लुएंजा जैसे दूसरे रेस्पिरेट्री इंफेक्शन का शिकार हो सकता है। सफाई कर्मचारी भी इस कचरे से हैपिटाइटिस बी के चपेट में आ सकते हैं।

दिल्ली से कोलकाता जा रही यात्री की आपबीती
जून में दिल्ली से कोलकाता जा रही एक यात्री के मुताबिक, फ्लाइट में यात्रियों को खांसते हुए देखकर वो काफी घबरा गईं थीं। फ्लाइट लैंड होने के बाद उन्हें क्वारैंटाइन स्टाम्प के बिना ही एयरपोर्ट से बाहर जाने दिया। उन्होंने कहा कि मैं बिना किसी जांच के बाहर आ गई। मुझे प्लेन में जानकारी भरने के लिए फॉर्म दिया गया था, लेकिन किसी ने भी कोलकाता एयरपोर्ट पर इसे कलेक्ट नहीं किया।

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