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मोदी ने एनएसए और सीडीएस से मीटिंग की; सड़कों का निर्माण जारी रहेगा, चीन के बराबर ही रहेगी भारत के सैनिकों की तादाद

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लद्दाख. पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के आस-पास चीन और भारतीय सेना के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। चीन की हरकतों के बीच भारत में भी हालात से निपटने की तैयारियां शुरू हो गईं। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाईलेवल मीटिंग बुलाई। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजीत डोभाल, सीडीएस बिपिन रावत और तीनों सेना प्रमुख शामिल हुए। इसके बाद मोदी ने विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से भी चर्चा की। इससे पहले लद्दाख में तनाव पर रक्षा मंत्री की सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुखों से करीब एक घंटे मीटिंग हुई।

न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा कि दोनों बैठकों में मोदी और राजनाथ को चीन की हरकतों पर भारतीय सेना के जवाब की जानकारी दी गई। मीटिंग में दो अहम फैसले लिए गए। पहला- इस क्षेत्र में सड़क निर्माण जारी रहेगा। दूसरा- भारतीय सैनिकों की तैनाती उतनी ही रहेगी जितनी चीन की है।

तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के आर्मी अफसरों की कई मीटिंग हो चुकी हैं। सोमवार तक बातचीत बेनतीजा रही। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत-चीन के बीच करीब दो महीने से तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस बीच चीन ने भारतीय इलाके में 10 किलोमीटर भीतर घुसकर 100 से ज्यादा तंबू गाड़ दिए हैं। इस महीने दोनों देशों के सैनिकों के बीच 3 बार झड़प भी हो चुकी है।

डोकलाम के बाद सबसे बड़ा टकराव
अगर भारत और चीन की सेनाएं लद्दाख में आमने-सामने हुईं तो 2017 के डोकलाम विवाद के बाद ये सबसे बड़ा विवाद होगा। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, भारत ने पेंगोंग त्सो झील और गालवान वैली में सैनिक बढ़ा दिए हैं। इन दोनों इलाकों में चीन ने दो हजार से ढाई हजार सैनिक तैनात किए हैं, साथ ही अस्थाई सुविधाएं भी बढ़ा रहा है। चीन लद्दाख के कई इलाकों पर अपना दावा करता रहा है।

डोकलाम पर 73 दिन टकराव चला था

भारत-चीन बॉर्डर पर डोकलाम इलाके में दोनों देशों के बीच 2017 में 16 जून से 28 अगस्त के बीच तक टकराव चला था। हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे। के आखिर में दोनों देशों में सेनाएं वापस बुलाने पर सहमति बनी थी।

क्या था डोकलाम विवाद?
डोकलाम में विवाद तब शुरू हुआ, जब भारतीय सेना ने वहां चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था। हालांकि चीन का दावा था कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा था। इस इलाके का भारत में नाम डोका ला है, जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग क्षेत्र का हिस्सा है। भारत-चीन सीमा जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3,488 किलोमीटर लंबी है। इसका 220 किलोमीटर हिस्सा सिक्किम में आता है।

‘गालवान इलाके में विवाद भी नहीं, फिर भी चीन घुसपैठ कर रहा’

भारतीय सेना के एक उच्च अधिकारी का कहना है कि दोनों इलाकों में हमारी क्षमताएं चीन से बेहतर हैं। सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि भारतीय पोस्ट केएम120 और गालवान वैली समेत कई अहम पॉइंट्स के आसपास चीन के सैनिक मौजूद हैं। नॉर्दन आर्मी के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डी एस हुड्डा का कहना है कि चीन की ये हरकत सामान्य बात नहीं है, जबकि गालवान जैसे इलाकों में भारत-चीन के बीच कोई विवाद भी नहीं है।

1) तारीख- 5 मई, जगह- पूर्वी लद्दाख की पेंगोंग झील
उस दिन शाम के वक्त  झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-5 इलाके में भारत-चीन के करीब 200 सैनिक आमने-सामने हो गए। भारत ने चीन के सैनिकों की मौजूदगी पर ऐतराज जताया। पूरी रात टकराव के हालात बने रहे। अगले दिन तड़के दोनों तरफ के सैनिकों के बीच झड़प हो गई। बाद में दोनों तरफ के आला अफसरों के बीच बातचीत के बाद मामला शांत हुआ।

2) तारीख- संभवत: 9 मई, जगह- उत्तरी सिक्किम में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद नाकू ला सेक्टर
यहां भारत-चीन के 150 सैनिक आमने-सामने हो गए थे। आधिकारिक तौर पर इसकी तारीख सामने नहीं आई। हालांकि, द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां झड़प 9 मई को ही हुई। गश्त के दौरान आमने-सामने हुए सैनिकों ने एक-दूसरे पर मुक्कों से वार किए। इस झड़प में 10 सैनिक घायल हुए। यहां भी बाद में अफसरों ने दखल दिया, फिर झड़प रुकी।

3) तारीख- संभवत: 9 मई, जगह- लद्दाख
जिस दिन उत्तरी सिक्किम में भारत-चीन के सैनिकों में झड़प हो रही थी, उसी दिन चीन ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने हेलिकॉप्टर भेजे थे। चीन के हेलिकॉप्टरों ने सीमा तो पार नहीं की, लेकिन जवाब में भारत ने लेह एयरबेस से अपने सुखोई 30 एमकेआई फाइटर प्लेन का बेड़ा और बाकी लड़ाकू विमान रवाना कर दिए। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हाल के बरसों में ऐसा पहली बार हुआ जब चीन की ऐसी हरकत के जवाब में भारत ने अपने लड़ाकू विमान सीमा के पास भेजे।

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