होशियारपुर. पंजाब में कोरोना से फूलों की खेती भी मुरझा गई है। मंदिर, मस्जिद और मजार बंद हैं और शादियों में सजावट न होने से फूलों की खपत गिर गई है। कर्फ्यू और लॉकडाउन के बाद से फूल मंडियां भी बंद हैं। बिक्री न होने से किसान फूल फेंक रहे हैं।
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्रो. परमिंदर सिंह बताते हैं कि पंजाब में करीब 5000 एकड़ में फूलों की खेती की जाती है। राज्य के 1500 से अधिक किसान इससे जुड़े हैं। पुराने किसान डेढ़ लाख से 2 लाख रुपए तक की आमदनी प्रति एकड़ से ले रहे हैं। जबकि नए किसान 40 से 50 हजार तक का मुनाफा कमा रहे हैं।
अनुमान के मुताबिक करीब 600 एकड़ पर फूलों की फसल बर्बाद हो गई है। किसानों को इस सीजन में करीब सवा सौ करोड़ से ज्यादा के नुकसान होने का अनुमान है। पटियाला में ही फूलों के बीज इंपोर्ट न होने से 15 से 20 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। बताया जा रहा है कि दिसंबर तक नुकसान और बढ़ सकता है।
अमेरिका-कनाडा में भी यहां के फूलों की महक
- सूबे के ये फूल अमेरिका, कनाडा, जापान, हॉलैंड, जर्मनी व अन्य देशों में पहुंचते हैं। फ्लावर सीड प्रोडक्शन, गेंदा, गुलाब, जरवेरा आदि किस्मों के फूलों की बिजाई हो रही है। 100 से 150 तरह की किस्में हैं। पंजाब में फ्लावर सीड प्रोडक्शन की संगरूर, पटियाला, होशियारपुर, लुधियाना व अन्य जिलों में काश्त होती है।
- पॉली हाउस के लिए सरकार सब्सिडी देती है। इसके तहत एक एकड़ में लगाए जाने वाले यूनिट पर 34 लाख रुपए तक खर्च होते हैं, जिसमंे सरकार 16.88 लाख सब्सिडी दी जाती है।
- इस समय में फूल की एक स्टिक 5-6 रुपए तक बिकती है। एक एकड़ के पॉली हाउस में एक महीने में 80-90 हजार फूल स्टिक निकलती है। लिहाजा, महीने में 4 लाख से ज्यादा के फूल निकल जाते हैं।