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भारत से कारोबार बंद करके मुश्किल में पाकिस्तान, शक्कर 110 रुपए प्रति किलो; 40% दवाओं के लिए भारत पर निर्भर

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पाकिस्तान में महंगाई दर 12% के करीब पहुंच चुकी है। शक्कर के दाम करीब 110 रुपए प्रति किलोग्राम हो चुके हैं और आटा रमजान के दौरान 96 रुपए प्रति किलोग्राम हो गया था। अगस्त 2019 के पहले महंगाई इस कदर बेलगाम न थी, क्योंकि तब जरूरत का ज्यादातर सामान भारत से खरीद लिया जाता था।

5 अगस्त 2019 को जब भारत ने कश्मीर से आर्टिकल 370 और धारा 35ए हटाए तो इमरान ने जोश-जोश में होश खो दिया। भारत से आयात पर रोक लगा दी। हालांकि, जब मुल्क में दवाओं की किल्लत हुई और 2 रुपए की टेबलेट 20 रुपए में मिलने लगी तो दवाओं के आयात को मंजूरी दे दी। ये अब भी जारी है। यहां जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच कारोबार को लेकर क्या चल रहा है।

भारत-पाकिस्तान के बीच ट्रेड की क्या स्थिति रही है?
आपसी कारोबार के लिहाज से भारत का पलड़ा हमेशा भारी रहा। हमने इम्पोर्ट की तुलना में एक्सपोर्ट ज्यादा किए। 2018-19 में भारत ने 550.33 मिलियन डॉलर की कपास और 457.75 मिलियन डॉलर के ऑर्गनिक कैमिकल एक्सपोर्ट किए। अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के बीच एक्सपोर्ट में करीब 2 मिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, इसी दौरान फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट बढ़ा। पाकिस्तान ने 67.26 मिलियन डॉलर की दवाइयां आयात कीं। इसी दौरान 115 मिलियन डॉलर के ऑर्गनिक कैमिकल भी इम्पोर्ट किए गए।

2018-19 में भारत ने पाकिस्तान से मिनरल फ्यूल्स और ऑयल्स (131.29 मिलियन डॉलर), फल और मूंगफली (103.27 मिलियन डॉलर) के अलावा सेंधा नमक, सल्फर, स्टोन और प्लास्टरिंग मटैरियल्स (92.84 मिलियन डॉलर) आयात किए।

क्यों बेपटरी हुए कारोबारी ताल्लुकात?
बहुत साफ तौर पर देखें तो दोनों देशों के रिश्तों में जब भी तनाव बढ़ा तो इसका सीधा असर ट्रेड पर पड़ा। उरी, पठानकोट और पुलवामा हमले के बाद भी सामान्य कारोबार जैसे सब्जियों, फलों और शकर पर गंभीर असर पड़ा। इसका नुकसान सरहद के दोनों तरफ हुआ। हां, इसमें कोई दो राय नहीं कि महंगाई को देखते हुए पाकिस्तान को खामियाजा बहुज ज्यादा भुगतना पड़ा, क्योंकि दोनों की इकोनॉमी के साइज में भी जमीन-आसमान का फर्क है।

5 अगस्त 2019 को जब आर्टिकल 370 और धारा 35ए हटाई गई तो रहे-सहे कारोबारी रिश्ते भी खत्म हो गए। पाकिस्तान ने ऐलान किया कि भारत जब तक ये कदम वापस नहीं लेता, तब तक आपसी कारोबार बहाल नहीं किया जाएगा। सीधी सी बात है कि भारत ये कदम वापस नहीं लेगा और ट्रेड भी बहाल नहीं होगा।

24 घंटे में क्यों मुकर गई थी पाकिस्तान सरकार?
सीधे तौर पर हुक्मरान जिम्मेदार हैं और ‌वो भी पाकिस्तान के। हालिया उदाहरण ही सच्चाई बयां करने के लिए काफी है। अप्रैल में पाकिस्तान के वित्त मंत्री हम्माद अजहर ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ऐलान किया कि पाकिस्तान अब भारत से कपास और शकर आयात करेगा। 24 घंटे बाद ही इमरान कैबिनेट ने फैसला पलट दिया। मजे की बात यह है कि कपास और शकर के आयात का फैसला फाइनेंस मिनिस्ट्री की जिस कमेटी ने लिया था, इमरान उसकी अगुवाई करते हैं और अगले ही दिन विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के दबाव में अपना ही फैसला उलट देते हैं।

आयात का फैसला क्यों वापस लिया गया था?
इकोनॉमिक अफेयर्स पर मजबूत पकड़ रखने वाले पाकिस्तान के पत्रकार रिजवान राजी ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा था- आम अवाम की मजबूरियों को हल करने के बजाए इमरान सरकार कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए अपना ही फैसला रद्द कर रही है। ये इसलिए भी परेशान करने वाला है, क्योंकि आर्मी चीफ बाजवा भी पुरानी बातें दफन करके भारत से अच्छे ताल्लुकात पर जोर दे रहे हैं। लेकिन, सरकार को कट्टरपंथी वोटों की फिक्र है, डेढ़ साल बाद चुनाव जो होने हैं।

पाकिस्तान के फैसले पर भारत ने प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी?
इमरान खान सरकार के 3 साल पूरे हो चुके हैं। इन 3 साल में पाकिस्तान ने 4 वजीर-ए-खजाना यानी फाइनेंस मिनिस्टर देख लिए। दिलचस्प बात ये है कि जिन हम्माद अजहर ने अप्रैल के पहले हफ्ते में भारत से ट्रेड बहाली का ऐलान किया था, उन्हें एक महीने में ही चलता कर दिया गया। इसके बाद अब शौकत तरीन आए हैं और वो भी भारत से कारोबार फिर शुरू करने की बात कहते रहे हैं।

बहरहाल, पाकिस्तान में जारी रस्साकशी पर भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पाकिस्तान की पत्रकार आलिया शाह ने इस पर कहा था- भारत के विदेश मंत्रालय ने हमें सिखाया है कि हुकूमतों को कितने संजीदा तरीके से काम करना चाहिए। क्या दुनिया के किसी मुल्क में फाइनेंस मिनिस्टर का फैसला 24 घंटे में बदलता है?

दवाओं और मेडिकल टूरिज्म पर क्यों झुक जाता है पाकिस्तान?
इसका सीधा सा जवाब है कि ये पाकिस्तान की बहुत बड़ी मजबूरी है। 13 मई 2020 को पाकिस्तान के ड्रग मैन्यूफेक्चरर्स ने इमरान से मुलाकात की और उन्हें बताया कि भारत से दवाएं आयात करना कितना जरूरी है। ‘द न्यूज’ के बिजनेस एनालिस्ट वकार भट्टी ने अपने आर्टिकल में लिखा- अगर हम भारत से दवाएं या इनमें इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल आयात करना बंद कर दें तो मुल्क में ज्यादातर दवाओं की कीमत 45% तक बढ़ जाएगी। हर साल पाकिस्तान से सैकड़ों गंभीर मरीज मेडिकल वीजा पर भारत इलाज के लिए जाते हैं। इन बातों का ध्यान कौन रखेगा?

दूसरे देशों से दवाएं क्यों नहीं लेता पाकिस्तान?
इसके दो मुख्य कारण हैं। पहला- भारत से दवाएं आयात करना आसान और बहुत सस्ता है। दूसरा- भारत को वैक्सीन और मेडिसन का हब कहा जाता है। इससे क्वॉलिटी को लेकर कभी सवालिया निशान नहीं लगते। एंटी रैबीज, एंटी स्नैक सेरा और पोलियो की वैक्सीन भारत से ही खरीदी जाती हैं। कैंसर, डायबिटीज, टायफाइड के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं तो छोड़िए विटामिन्स टेबलेट भी पाकिस्तान हमारी कंपनियों से ही खरीदता है। वकार के मुताबिक- चीन या दूसरे देशों से दवाएं खरीदना इसलिए मुमकिन नहीं है, क्योंकि वहां ये बहुत महंगी हैं और क्वॉलिटी को लेकर भी लोगों को शंका रहती है।

आगे क्या मुमकिन?
भारत और चीन की सरहदों पर भी तनाव है, लेकिन तिजारत यानी कारोबार बदस्तूर जारी है। यानी ट्रेड के मामले में दुश्मनी की गुंजाइश बहुत कम या न के बराबर होती है। पाकिस्तान भी ये कर सकता है। ये इसलिए भी मुमकिन है, क्योंकि बैकडोर डिप्लोमैसी जारी है और इसकी वजह से LOC पर सीजफायर भी हुआ है। अगर ट्रेड रिलेशन बहाल होते हैं तो भारत को न सही पाकिस्तान को बहुत फायदा होगा। क्योंकि, मुल्क कर्ज के दलदल में है और अगले साल के आखिर में चुनाव होने हैं। महंगाई पहले ही बहुत बड़ा मुद्दा है। ऐसे में संभव है कि ‘यूटर्न प्राइमिनिस्टर’ के नाम से बदनाम हो चुके इमरान इस मामले पर भी पलटी मार लें।

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