भारत में नई चिकित्सा पद्धति “माइक्रोसेल पैथी” का अविष्कार, केंद्र सरकार के पास मान्यता का केस पैंडिंग
माइक्रोसैल पैथी पेड़ पौधो के अंदर मौजूद जैविक और अजैविक घटकों पर आधारित है, ये एक से अधिक पौधों के तत्वों के मिश्रण से तैयार की गई जो कि शरीर में कोशिकाओं के उपायचय मार्ग को ठीक कर के रोगग्रस्त अंगों को ठीक कर देती है
कोई भी असाधारण अवस्था जो शरीर के या किसी भी अंगों के कार्य प्रणाली में बाधा उत्पंन करे उस असाधारण स्थिति को बीमारी कहा जाता है। इसका मूल कारण अंगों के कार्य क्षमता में कमी होना कोशिकाओं में किसी भी तरह की विकृति आ जाना। अभी तक भारत में चार पूर्ण इलाज प्रणालियों को मान्यता मिली हुई है। सबसे पहले भारत में आयुर्वेद का इलाज शुरू किया। फिर भारत में यूनानी द्वारा इलाज शुरू किया गया। अंग्रेजों के आने से ऐलोपैथिक शुरू हुआ जो आज भी है।
जर्मन के रहने वाले डाक्टर हैनीमन ने एक नई पैथी होम्योपैथी की खोज की। अब भारत में प्राकृतिक चिकित्सक डा. पीके दास के द्वारा फिर एक नई अनोखी पेड़ पौधों की जैविक और अजैविक घटकों के उपर आधारित पांचवी चिकित्सा प्रणाली माइक्रो सेल पैथी का अविष्कार किया गया। 2020 में डा. पीके दास ने कुदरत से प्रभावित होकर माइक्रो सेल पैथी का अविष्कार किया। अपने गहन अध्ययन और सारी खोजों के नतीजे पर ही नए तर्क पर आधारित माइक्रोसेल पैथी चिकित्सा शास्त्र के रहस्य को सबके सामने पेश किया कि यह चिकित्सा प्रणाली दूसरी चिकित्स प्रणालियों से हर तरह से अच्छी है, आधुनिक है जो कि सिर्फ पेड़ पौधो के अंदर मौजूद जैविक और अजैविक घटकों पर आधारित है और एक से अधिक पौधों के तत्वों के मिश्रण से तैयार की गई जो कि शरीर में कोशिकाओं के उपायचय मार्ग को ठीक कर के रोगग्रस्त अंगों को ठीक कर देती है। मानव शरीर जो खरबों कोशिकाओं से मिलकर बना हुआ है। जिसमें कि रक्त कोशिका और लसीका तंत्र भी कोशिकाओं के एक समूह के रूप में है। जब कोशिकाओं की कार्यक्षमता में कोई बाधा उत्पनं होती है या उपापचय कोई बाधा उत्पंन होती है तब हमारा शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है।
शरीर में कोशिकाओं की कार्य प्रणाली को ठीक करने के लिए पेड़ पौधों में मौजूद जैविक व अजैविक घटक ही जिम्मेदार होते है। ऐसा डा. पीके दास का मानना है।
जब हमारे शरीर में कोशिकाओं की कार्यक्षमता में बाधा होती है चाहे वो खान-पान के कारण हो या कोई कीटाणु के संक्रमण के द्वारा हो या विष पदार्थ के कारण हो तब हमारे शरीर का रोग प्रतिरोधक कोशिकाओ की कार्य क्षमता कम पड़ जाती है। उसके कमजोर पड़ने से शरीर के अति आवश्यक अंगों की कार्य क्षमता में ऋणात्मक और धनात्मक अवस्था उत्पंन होती है। जबकि रोग ऋणात्मक और धनात्मक नहीं होता और फिर भी अति आवश्यक अंगों में ऋणात्मक और धनात्मक अवस्था उत्पंन होने की संभावना होती है।
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*शरीर में रोग आने की सात अवस्थाएं*
किसी भी रोग के शरीर में आने से कुछ अवस्थाएं होती है जिनकों कि डा. पीके दास ने 7 अवस्थाओं के रूप में बताया वो निम्न प्रकार से है। इक्टठा होना, सूजन होना, दर्द होना व सुन्न होना, बुखार होना, मवाद व टूमर होना, गैंगरीन, कैंसर।
डा. पीके दास की माइक्रोसेल पैथी इन सातो अवस्थाओं पर कार्य करती है।
माइक्रो सेल पैथी क्या है
मइक्रो का मतलब- पेड़ पौधों में मौजूद सूक्ष्म अतिसूक्ष्म तत्व, पेड़ पौधे में मौजूद प्रति आक्सीकारक, जैविक-अजैविक घटक जो कि कोशिकाओं की कार्यक्षमता को बनाए रखते है।
सेल- सजीवों के शरीर की रचनात्मक आर क्रियात्मक इकाई है जो प्राय स्वत जनन की सामर्थ्य रखती है।
पैथी का अर्थ- चिकित्सा प्रणाली
माइक्रो सेल पैथी का अर्थ है कि जिस चिकित्सा पद्धति में पेड़-पौधे में मौजूद सूक्ष्म-अतिसूक्ष्म तत्व और जैविक-अजैविक घटक और प्रति आक्सीकारक घटक को जब बीमार शरीर में अति सूक्ष्म मात्रा में दिया जाता है तब वह बीमार शरीर को स्वस्थ कर देता है। इस तरह अति सूक्ष्म मात्रा में काम करने वाली चिकित्सा पद्धति को ही डा. पीके दास ने माइक्रो सेल पैथी का नाम दिया है। केंद्र सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट के पास इसके दस्तावेज जमा कर दिए हैं। इसकी मान्यता का प्रोसेस शुरू हो गया है।
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डॉ पीके दास, फाउंडर माइक्रोसेल पैथी