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भारत-पाकिस्तान रेल सेवा / थार एक्सप्रेस बंद होने के बाद पाक ने बदला रेलवे स्टेशन का नाम, जीरो पॉइंट स्टेशन अब हुआ ‘मारवी’

उमर-मारवी की प्रेम कथा की नायिका है मारवी, 1956 में सिंधी भाषा में बन चुकी है फिल्म भारत-पाक के रेल सेवा बंद होने और रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के बाद पहली तस्वीर

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बाड़मेर. भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली साप्ताहिक थार एक्सप्रेस कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से भले ही बंद हाे, लेकिन पाक रेलवे ने भारत के सामने जीरो पॉइंट रेलवे स्टेशन का नाम बदल दिया है। पाक रेलवे ने इसका नाम मारवी रखा है। नाम बदलने की कवायद काे सुरक्षा एजेंसियां भी समझ नहीं पाई हैं।

इस प्रेमकथा पर सिंधी में बनी फिल्म मार्च 1956 में हुई थी रिलीज

उमर-मारवी की प्रेमकथा पर पाकिस्तानी फिल्म 12 मार्च 1956 को रिलीज हुई थी। यह वहां बनी पहली सिंधी फिल्म थी। मारवी का संबंध थार के खानाबदोश कबीले से था। इस पूरे किस्से को शाह अब्दुल लतीफ ने शायरी का विषय बनाया और मारवी को देशप्रेम और अपने लोगों से मोहब्बत की मिसाल बनाकर पेश किया है। पाकिस्तान में मारवी को अब भी प्रेम और सच्चाई की पहचान के रूप में जाना जाता है।

रेलवे स्टेशन के नामकरण के पीछे की कहानी

पाकिस्तान में उमर-मारवी की प्रसिद्ध पेंटिंग।

सिंध में उमर-मारवी की प्रेमकथा काफी प्रचलित है। मारवी को प्यार का प्रतीक माना जाता है। एक समय सिंध के अमरकोट में उमर सुमरो का शासन था। वहीं गांव में एक चरवाहा रहता था। उसकी मारवी नाम की बेटी थी। उसने मारवी का विवाह बचपन में ही खेतसेन से तय कर दिया था, पर युवावस्था में संपन्न किसान फोगसेन शादी के लिए दबाव डालने लगा।

किसान ने इनकार किया तो वह बादशाह के दरबार में पहुंचा और मारवी के सौंदर्य का बखान किया। बादशाह खुद मारवी को चाहने लगा, पर मारवी कभी तैयार नहीं हुई। उसने मारवी को एक साल अमरकोट के किले में कैद रखा। अंतत: मारवी की शादी खेतसेन से की गई।

खेतसेन उसे शक की निगाह से देखता था। जब बादशाह को यह पता चला, तो वह मारवी के गांव आया और अग्नि परीक्षा दी। इसमें वह बेगुनाह साबित हुए। मारवी गांव में खेतसेन के साथ रही और बादशाह अपने शहर अमरकोट लौट गया।

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