गलवां घाटी में दुस्साहस के बाद कूटनीति और रणनीति में भारत से मात खा रहा चीन जैविक हमला (बायोलॉजिकल अटैक) कर सकता है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय दबाव में वह सीधे तौर पर हमला न कर अन्य भारत विरोधी देशों या आतंकियों के माध्यम से भी ऐसा करा सकता है। कोरोना वायरस को लेकर चीन की भूमिका पहले ही प्रश्नों के घेरे में है। तमाम दावों के बीच अभी तक इसकी कोई वैक्सीन विकसित नहीं हुई है। हालांकि रसायनिक और जैविक खतरों पर शोध करने वाली डीआरडीओ की ग्वालियर स्थित प्रयोगशाला (डीआरडीई) के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि जैविक हमले से भी निपटने के लिए सेना के पास पर्याप्त संसाधन हैं।
भारत वर्तमान में पड़ोसी मुल्कों की भूमिका से अशांत है। कूटनीतिक और सैन्य घेराबंदी से चीन बौखलाया हुआ है। सीमा पर पाकिस्तान भी रह रह कर गोलाबारी कर रहा है। नेपाल का रवैया भी ठीक नहीं है। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर चीन जैविक हमले जैसी कायराना हरकत कर सकता है। पिछले दिनों सेना ने आतंकियों के लिए हथियार लेकर आए एक ड्रोन को मार गिराया था। ड्रोन के जरिए भी जैविक हमला संभव है। इस तरह के हमले में शोर शराबा नहीं होता, हमले का पता भी कुछ समय बाद पता चलता है और नुकसान भी अधिक होता है।
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ग्वालियर स्थित डीआरडीई के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सेना इस तरह के खतरों से निपटने के लिए तैयार है। डीआरडीओ की अलग-अलग प्रयोगशालाओं ने खास उपकरण जैसे न्यूक्लीयर कैमिकल बायोलॉजिकल वारफेयर सूट, विशेष मुखौटे आदि तैयार किए हैं। जिनका उपयोग सैनिक कर रहे हैं। समय-समय पर उन्हें विशेष ट्रेनिंग भी दी जाती है।
हमले के दौरान सबसे पहले यह पता लगाया जाता है कि किस प्रकार के जीवाणु ने हमला किया है। इसके बाद उसे निष्क्रिय करने पर जोर रहता है। फिर डीकंटेमिनेट किया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए डीआरडीओ द्वारा खास कैमिकल एजेंट मॉनिटर तैयार किए गए हैं। एनएसजी, एसपीजी जैसे विशेष दस्ते इनका बखूबी उपयोग कर रहे हैं।