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भारत-चीन विवाद में स्टार्टअप्स / 7600 करोड़ रु. या उससे ज्यादा वैल्यू वाले भारत के 30 में से 18 स्टार्टअप में चीन की हिस्सेदारी; बायजूस, ओला, पेटीएम और जोमैटो में बड़ा निवेश

भारत के स्मार्टफोन बाजार में चीनी कंपनियों की 70% से ज्यादा हिस्सेदारी हो चुकी है 2014 से 2019 के बीच चीन ने भारतीय स्टार्टअप्स में 5.5 बिलियन डॉलर का निवेश किया

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भारत-चीन विवाद में स्टार्टअप्स / 7600 करोड़ रु. या उससे ज्यादा वैल्यू वाले भारत के 30 में से 18 स्टार्टअप में चीन की हिस्सेदारी; बायजूस, ओला, पेटीएम और जोमैटो में बड़ा निवेश

  • 2014 में चायनीज कंपनियों ने भारत में 51 मिलियन डॉलर का निवेश किया था जो 2019 में बढ़कर 1230 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया2014 में चायनीज कंपनियों ने भारत में 51 मिलियन डॉलर का निवेश किया था जो 2019 में बढ़कर 1230 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया
  • भारत के स्मार्टफोन बाजार में चीनी कंपनियों की 70% से ज्यादा हिस्सेदारी हो चुकी है
  • 2014 से 2019 के बीच चीन ने भारतीय स्टार्टअप्स में 5.5 बिलियन डॉलर का निवेश किया

दैनिक भास्कर

Jun 17, 2020, 03:54 PM IST

नई दिल्ली. लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच सरहदी विवाद अब तक के सबसे खराब हाल में है। दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने है। वहीं, पिछले पांच-छह सालों में चीन के भारतीय कंपनियों में पैसा लगाने की रफ्तार लगातार बढ़ती रही है। इससे भारतीय बाजार में उसकी पकड़ कहीं ज्यादा मजबूत होने के आसार हैं।

तनाव बढ़ने से दोनों देशों को नुकसान होगा, लेकिन भारत पर अधिक असर पड़ सकता है। चीन की कई बड़ी कंपनियों ने भारत में निवेश बढ़ाया है। भारत की 30 में से 18 यूनिकॉर्न, यानी एक अरब डॉलर (करीब 7600 करोड़ रुपए) या उससे अधिक वैल्यूएशन वाली कंपनी में चीन की बड़ी हिस्सेदारी है।

पिछले 7 साल के दौरान सबसे ज्यादा 1666 मिलियन डॉलर का निवेश 2017 में हुआ

रिपोर्ट के मुताबिक चीन की कंपनियों ने 2014 में भारत की कंपनियों में 51 मिलियन डॉलर निवेश किया था। यह 2019 में बढ़कर 1230 मिलियन डॉलर हो गया यानी 2014 से 2019 के बीच चीन ने भारतीय स्टार्टअप्स में कुल 5.5 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। चीन की जिन कपंनियों ने भारत में निवेश किया उनमें अलीबाबा, टेंशेट और टीआर कैपिटल सहित कई दिग्गज कंपनियां शामिल हैं।

भारत की 30 यूनिकॉर्न में से 18 में चीन की हिस्सेदारी
मुंबई के विदेशी मामलों के थिंक टैंक ‘गेटवे हाउस’ ने भारत में ऐसी 75 कंपनियों की पहचान की है जो ई-कॉमर्स, फिनटेक, मीडिया/सोशल मीडिया, एग्रीगेशन सर्विस और लॉजिस्टिक्स जैसी सेवाओं में हैं और उनमें चीन का निवेश है। हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार भारत की 30 में से 18 यूनिकॉर्न में चीन की बड़ी हिस्सेदारी है। यूनिकॉर्न एक निजी स्टार्टअप कंपनी को कहते हैं जिसकी वैल्यूएशन एक अरब डॉलर या उससे अधिक होती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तकनीकी क्षेत्र में ज्यादा निवेश के कारण चीन ने भारत पर अपना कब्जा जमा लिया है।

सिटियस टेक स्टार्टअप में चीन का सबसे ज्यादा 880 मिलियन डॉलर का निवेश

कंपनी इन्वेस्टर कुल निवेश में चीन का हिस्सा (मिलियन डॉलर) स्टार्टअप में कुल निवेश (मिलियन डॉलर) क्या चीनी कंपनी मुख्य इन्वेस्टर है?
सिटियस टेक Baring Asia 880 992 हां
ओला कैब टेंशेट, सेलिंग कैपिटल 451 2759 नहीं
स्विगी टेंशेट, हिलहॉउस कैपिटल 328 1644 नहीं
पेटीएम मॉल अलीबाबा 222 645 हां
पॉलिसी बाजार टेंशेट 150 554 हां
ड्रीम 11 टेंशेट 100 183 हां
डेल्हीवरी fosun group 49 837 नहीं
बायजूस

क्लासेज

टेंशेट 40 1454 नहीं
फ्लिपकार्ट टेंशेट, TR कैपिटल डिस्क्लोज नहीं 7126 नहीं
पेटीएम अलीबाबा डिस्क्लोज नहीं 4106 हां
स्नैपडील अलीबाबा, tybourne capital डिस्क्लोज नहीं 2089 नहीं
जोमैटो अलीबाबा,शुनवेई कैपिटल डिस्क्लोज नहीं 912 हां
उड़ान टेंशेट, हिलहॉउस कैपिटल डिस्क्लोज नहीं 871 नहीं
बिग बकेट अलीबाबा, TR कैपिटल डिस्क्लोज नहीं 730 हां
लेंसकार्ट TR कैपिटल डिस्क्लोज नहीं 668 नहीं
हाइक टेंशेट, फॉक्सकोन्न डिस्क्लोज नहीं 240 हां

सोर्स : वेंचर इंटेलिजेंस

टेंशेट ने भारत की 19 कंपनियों में किया निवेश
चीन की जिन कंपनियों ने भारतीय में बड़ा निवेश किया है, उनमें टेंशेट, शुनवेई कैपिटल और शाओमी जैसी कंपनियां शामिल हैं। टेंशेट ने भारत की 19 कंपनियों में, शुनवाई कैपिटल ने 16 कंपनियों में, स्वास्तिका 10 कंपनियों में और शाओमी ने 8 भारतीय कंपनियों में निवेश किया है। इसके अलावा अलीबाबा ने भी कई कंपनियों में बड़ा निवेश किया है।

स्मार्टफोन बाजार में 70% से ज्यादा हिस्सेदारी
चीन की स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों ने भारतीय बाजार पर पकड़ बना ली है। भारत में स्मार्टफोन का बाजार करीब 2 लाख करोड़ रुपए का है। चाइनीज ब्रैंड जैसे ओप्पो, श्याओमी और रेडमी ने 70% से ज्यादा मोबाइल मार्केट पर कब्जा कर लिया है। इसी तरह 25 हजार करोड़ के टेलीविजन मार्केट में चाइनीज ब्रैंड का 45% तक कब्जा है।

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