भारत-चीन के रिश्ते बिगड़े तो दोनों को होगा घाटा / चीन के हाथ से एशिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार निकल जाएगा, भारत में महंगाई बढ़ेगी, नौकरियां भी जा सकती हैं
2019-20 में भारत ने चीन से करीब 5.3 लाख करोड़ रु. के सामान का इम्पोर्ट किया और उसे करीब 1.2 लाख करोड़ रु. का एक्सपोर्ट किया भारत के सोलर एनर्जी उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी लगभग 78 फीसदी है, थर्मल और कोल इंडस्ट्री में भी चीन के ही उपकरण लगे हुए हैं ग्लोबल टाइम्स धमकी दे रहा है कि अगर भारत के लोग चीन के सामान का बहिष्कार करते हैं तो भारत को नुकसान उठाना पड़ सकता है
नई दिल्ली. गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है। सोशल मीडिया पर चीनी सामान के बहिष्कार को लेकर कैंपेन शुरू हो गए हैं। देश के अलग- अलग हिस्सों से भी चीनी सामानों के बहिष्कार और विरोध की खबरें आई हैं। कई नेता और नामचीन हस्तियां भी चीनी प्रोडक्ट्स का विरोध कर चुकी हैं।
हाल ही में रेलवे ने चीन की कंपनी से 471 करोड़ रुपए का करार रद्द कर दिया। इसके साथ ही भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने 4जी संसाधनों को अपग्रेड करने के लिए चीन के प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला किया है। यह भी कहा जा रहा है कि भारत सरकार चीन से आयात किए जाने वाले कई प्रोडक्ट्स पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा सकती है। आने वाले दिनों में चीन के साथ हुए और भी करार रद्द किए जा सकते हैं।
अमेरिका के बाद भारत का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर
चीन 13.6 ट्रिलियन डॉलर (1033 लाख करोड़ रु.) जीडीपी के साथ एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरी सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था वाला देश है। वहीं भारत 2.7 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 200 लाख करोड़ रुपए) के साथ एशिया में तीसरे नंबर पर है। इंडस्ट्रियल कंपोनेंट्स, कच्चे माल, स्टार्टअप्स और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में चीन, अमेरिका के बाद भारत का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर है।
चीन भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का सबसे महत्वपूर्ण सोर्स है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अनुसार, साल 2015 और 2019 के बीच चीन से कुल 13 हजार करोड़ रुपए का एफडीआई आया। ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल उपकरण, बुक प्रिंटिंग, सर्विसेज और इलेक्ट्रॉनिक्स ये टॉप-5 सेक्टर्स रहे जिनमें चीन ने सबसे ज्यादा निवेश किया।
भारत-चीन दोनों एक दूसरे पर निर्भर
चीन साल 2019-20 में भारत के कुल एक्सपोर्ट का 5 फीसदी और कुल इम्पोर्ट का 14% भागीदार था। वहीं चीन के कुल एक्सपोर्ट में 3 फीसदी और कुल इम्पोर्ट में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 1% रही। इसका मतलब है कि अगर भारत और चीन के बीच व्यापारिक रिश्ते प्रभावित होते हैं तो चीन को अपने एक्सपोर्ट का 3% और इम्पोर्ट का 1% नुकसान होगा जबकि भारत को अपने एक्सपोर्ट का 5% और इम्पोर्ट का 14% घाटा होगा।
साल 2018-19 में भारत ने चीन से 16.7 बिलियन यूएस डॉलर यानी करीब 1.2 लाख करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट और 70.3 बिलियन डॉलर यानी करीब 5.32 लाख करोड़ रुपए का इम्पोर्ट किया था। इसका मतलब है कि चीन ने भारत से कम सामान खरीदा और उसे पांच गुना ज्यादा सामान बेचा। ऐसे में इस कारोबार में भारत को 4.1 लाख करोड़ रुपए का घाटा हुआ। अगर भारत, चीन के साथ कारोबार खत्म करता है तो चीन को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। चीन को अपना प्रोडक्ट खपाने के लिए भारत जैसा बाजार इतनी जल्दी नहीं मिलेगा।
अलब्राइट स्टोनब्रिज ग्रुप के साउथ एशिया प्रमुख सुकांति घोष के अनुसार, चीन को ग्लोबल टेक की दुनिया में प्रमुख शक्ति बनने के लिए भारत का साथ जरूरी है। भारत के बिना चीन अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर सकता। उनका कहना है कि मुझे नहीं लगता कि इस रिलेशनशिप में किसी को घाटा है। दोनों देशों ने अपनी-अपनी तरक्की की है। हालांकि, चीन चाहता है कि एशिया के मार्केट में उसका दबदबा बना रहे।
करीब 2 लाख भारतीयों की नौकरियों पर हो सकता है असर
भारत और चीन के बीच व्यापारिक रिश्ते प्रभावित होते हैं तो इसका असर भारतीयों की नौकरियों पर भी होगा। चीन की कंपनियां भारत में बड़े लेवल पर रोजगार मुहैया कराती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 2 लाख लोगों का रोजगार प्रभावित हो सकता है।
इंवेस्ट इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लगभग 800 चीनी कंपनियां हैं। जिसमें ओप्पो, वीवो, फोसुन इंटरनेशनल, हायर, एसएआईसी और मीडिया प्रमुख हैं। वहीं अडानी ग्लोबल लिमिटेड, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, बीईएमएल लिमिटेड, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी और अरबिंद फार्मा लिमिटेड जैसी भारतीय कंपनियां चीन में हैं।
चीन दे रहा धमकी
Opinion: #India must not let border scuffle fray economic ties with #China. As the radical elements in India are fuelling nationalist fever, we hope Indian people won’t be fooled. India needs China, economically and geopolitically. #GalwanValleyhttps://t.co/LWRvA0dGcXpic.twitter.com/gyLnbYBMy2
— Global Times (@globaltimesnews) June 21, 2020
चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स बार-बार यह धमकी दे रहा है कि अगर भारत के लोग चीन के सामानों का बहिष्कार करते हैं तो इसका भारत को नुकसान उठाना पड़ सकता है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत इस समय कोरोनावायरस महामारी से जूझ रहा है। आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। ऐसे में चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते में अगर दरार पड़ती है तो इसका खामियाजा भारत के लोगों को उठाना पड़ेगा।
उसने भारत की फिल्मों को लेकर भी धमकी दी है। उसने एक रिपोर्ट के हवाले से लिखा है, इंडिया की टॉप-10 फिल्मों ने चीन में लगभग 3 हजार 700 करोड़ रुपए का कारोबार किया है। दंगल, हिंदी मीडियम, सीक्रेट सुपरस्टार जैसी भारतीय फिल्मों को चीन में बेहतर रिस्पॉन्स मिला है।
लॉकडाउन के बाद सुपर-30 भी चीन के सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। अगर सोशल मीडिया पर चीनी सामानों का बहिष्कार किया जाता है तो चीन में भी भारतीय फिल्मों को लेकर विरोध के कदम उठाए जा सकते हैं।
भारत-चीन टूरिज्म
टूरिज्म के क्षेत्र में भी भारत और चीन के बीच बड़े लेवल पर मार्केट है। साल 2018 में चीन में आने वाले कुल यात्रियों में से तीन फीसदी भारतीय रहे। अगर चीन से भारत आने वाले यात्रियों की संख्या देखें तो यह काफी कम है। 2017 में चीन में भारत के करीब 8 लाख पर्यटक गए, जबकि टूरिज्म मिनिस्ट्री के मुताबिक 2018 में लगभग 2.8 लाख भारतीय चीन गए थे। अगर दोनों देशों के बीच रिश्ते बिगड़ते हैं तो इस सेक्टर में भी असर देखने को मिलेगा। हालांकि, यहां चीन को अधिक नुकसान उठाना होगा।
सोलर एनर्जी के क्षेत्र में 78 फीसदी हिस्सेदारी चीन की
भारत के सोलर एनर्जी उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी लगभग 78 फीसदी है। इतना ही नहीं भारत के थर्मल और कोल इंडस्ट्री में भी चीन के ही उपकरण लगे हुए हैं। ईएसएसएआर पावर, अडानी पावर, रिलायंस और जीएमआर एनर्जी के थर्मल पावर यूनिट्स में भी चीनी उपकरण लगे हुए हैं।
हेल्थ सेक्टर्स में पड़ सकता है असर
भारत जरूरी दवाइयों को बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर है। भारत बल्क ड्रग और उनके इंग्रीडिएंट्स का 70% चीन से आयात करता है। दवा बनाने के लिए एपीआई (एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रीडिएंट्स) और कुछ जरूरी दवाओं के लिए भारत, चीनी बाजार पर काफी हद तक निर्भर है। भारत मेडिकल उपकरणों का 80% आयात करता है और इसमें चीन की अहम हिस्सेदारी है। 2018-19 में भारत ने कुल 3.56 अरब डॉलर यानी 26 हजार 700 करोड़ रुपए का कच्चा माल खरीदा था। इसमें से 2.40 अरब डॉलर यानी 18 हजार करोड़ रुपए का माल चीन से आया था।
दुनिया में सबसे मोबाइल फोन, कंप्यूटर और टेलीविजन सेट की मैनुफैक्चरिंग चीन करता है। चीन ने 2018 में 90% सेल फोन (18 हजार करोड़ ), 90% कंप्यूटर (30 करोड़) और 70 % यानी लगभग 20 करोड़ टेलीविजन डिवाइस का उत्पादन किया था। भारत लगभग इसी मात्रा में इन सामानों की खरीद करता है।
स्मार्टफोन हो सकते हैं महंगे
मोबाइल फोन के मामले में भारत चीन का सबसे बड़ा बाजार है। भारत के स्मार्टफोन बाजार में टॉप 5 हिस्सेदारी वाली कंपनियों में चार कंपनियां चीन की हैं। काउंटरप्वॉइंट रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक पहले नंबर पर शाओमी है, जिसकी हिस्सेदारी 30 फीसदी है। 17% के साथ दूसरे स्थान पर वीवो, तीसरे स्थान पर दक्षिण कोरिया की कंपनी सैमसंग है जिसकी हिस्सेदारी 16% है। चौथे नंबर पर 14% के रियलमी और पांचवे स्थान पर 12% के साथ ओप्पो है।
भारत अपने इलेक्ट्रॉनिक गुड्स का 6-8% चीन को निर्यात करता है, जबकि अपनी जरूरतों का 50-60% चीन से आयात करता है। व्यापार प्रभावित होने पर भारत में स्मार्टफोन की कीमत बढ़ सकती है।
गूगल प्ले स्टोर पर टॉप 100 ऐप में करीब 50 फीसदी चाइनीज ऐप
सेंसर टावर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में गूगल प्ले स्टोर पर टॉप 100 ऐप में करीब 50 फीसदी चाइनीज ऐप हैं। टिकटॉक, पबजी मोबाइल, यूसी ब्राउजर, हेलो, शेयर इट, जेंडर, ब्यूटी प्लस जैसे प्रमुख ऐप्स चीनी हैं, जिन्होंने भारतीय मार्केट पर दबदबा बनाया हुआ है।
भारत के स्टार्टअप्स पर चीन का दबदबा
गेटवे हाउस की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने पिछले पांच साल में भारत के स्टार्टअप्स में 4 बिलियन यूएस डॉलर का निवेश किया है। यूनिकॉर्न क्लब में शामिल भारत के 30 में से 18 स्टार्टअप में चीन ने निवेश किया है। चीन की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ने भारत की ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील, पेटीएम और जोमैटो में निवेश किया है। टेक कंपनी टेन्सेंट ने हाइक और ओला में पैसा लगाया है।