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भारतीय कंपनियों की ग्लोबल एंट्री:मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से विश्व की टॉप 100 कंपनियों में एलआईसी, जियो, रिलायंस रिटेल, एचडीएफसी बैंक और मारुति हो सकती हैं शामिल

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस (टीसीएस) पहले से ही टॉप 100 में शामिल हैं रिलायंस रिटेल में जब हिस्सेदारी बिकनी शुरू होगी तो आरआईएल का शेयर और मार्केट कैप एक बार फिर पिछले तीन महीनों की तरह बढ़ेगा

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आने वाले समय में देश की कई दिग्गज कंपनियां विश्व की टॉप 100 कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन की लिस्ट में शामिल हो सकती हैं। हालांकि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस (टीसीएस) पहले से ही हैं। आने वाले समय में रिलायंस जियो, रिलायंस रिटेल, एलआईसी, मारुति सुजुकी और एचडीएफसी बैंक ऐसी कंपनियां हैं, जो वैश्विक स्तर की टॉप 100 कंपनियों के स्थानों को बदल सकती हैं।

रिलायंस की तीन कंपनियों को मिला दें तो ग्लोबली बहुत बड़ी कंपनी बनेगी

के. आर. चौकसी सिक्योरिटीज के एम.डी. देवेन चौकसी कहते हैं कि जिस स्केल से जियो बढ़ रही है और रिटेल में जैसे रिलायंस रिटेल टॉप ग्लोबल कंपनियों में है, इससे आनेवाले समय में निश्चित रूप से हम ग्लोबल 100 कंपनियों में कुछ और भारतीय कंपनियों को देख सकते हैं। रिलायंस रिटेल, रिलायंस जियो और रिलायंस इंडस्ट्रीज को हम जब मिलाएंगे तो यह ग्लोबली बहुत बड़ी कंपनी हो जाएंगी। लेकिन अलग-अलग देखने पर भी यह कंपनियां ग्लोबल प्रजेंस में रहेंगी।

वे कहते हैं कि रिफाइनरी में बदलाव हो रहा है और रिलायंस इंडस्ट्रीज तो उसमें दिग्गज है ही।

विश्व की टॉप कंपनियों में भारत का दबदबा बढ़ेगा

वे कहते हैं कि मेरा मानना है कि आनेवाले समय में मारुति सुजुकी ग्लोबल कंपनियों में शामिल हो सकती है। रही बात एलआईसी की तो निश्चित तौर पर वह इसकी सबसे प्रबल दावेदार है। एसएमसी ग्लोबल के एमडी डी.के. अग्रवाल कहते हैं कि आनेवाले समय में भारत के अंदर बूस्ट आएगा। अवेयरनेस बढ़ेगी। जब रिलायंस रिटेल, रिलायंस जियो और एलआईसी जैसी कंपनियां लिस्ट होंगी तो निश्चित तौर पर विश्व की 100 टॉप कंपनियों में भारतीय कंपनियों का दबदबा बनेगा। इससे भारत की पहचान बढ़ेगी।

भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर होगी
आनेवाले समय में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में गिरावट तो होगी, पर भारत अगले दो-तीन सालों में बेहतर वृद्धि करेगा। वैल्यू की अनलॉकिंग होगी, स्थिति में बदलाव होगा और कंपनियों के लिए पॉजिटिव माहौल बनेगा। वैसे देश की फिलहाल आरआईएल और टीसीएस मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से विश्व की टॉप 100 कंपनियों में आती हैं। शुक्रवार को बंद बाजार के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप 13.60 लाख करोड़ रुपए रहा है जबकि टीसीएस का 8 लाख करोड़ से ऊपर मार्केट कैप है।

आनेवाली कंपनियों का मार्केट कैप क्या होगा?

विश्लेषकों के मुताबिक रिलायंस जियो जब लिस्ट होगी उस समय इसका बाजार पूंजीकरण 8 लाख करोड़ रुपए से ऊपर होगा। इसमें 25 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी बिक चुकी है। रिलायंस रिटेल में हिस्सेदारी बिकनी अब शुरू होगी। रिलायंस रिटेल भी इसी बाजार पूंजीकरण के आस-पास लिस्ट होगी। जियो का फिलहाल वैल्यूएशन 4.91 लाख करोड़ रुपए है। इसी मूल्यांकन पर निवेशकों ने इसमें पैसे लगाए हैं।

रिलायंस रिटेल का वैल्यूएशन 4 लाख करोड़ रुपए

रिलायंस रिटेल का वैल्यूएशन 4 लाख करोड़ रुपए माना जा रहा है। हालांकि सही वैल्यूएशन तब पता चलेगा जब इसमें पहला निवेश आनेवाले हफ्तों में आएगा। इसी तरह एलआईसी का आईपीओ इसी वित्त वर्ष में आना है। यह एसबीआई के बाद देश की सबसे बड़ी असेट्स वाली कंपनी है। बाजार में लिस्ट न होने के बावजूद इसका दबदबा है। 32 लाख करोड़ से ज्यादा की असेट्स है। इसके बारे में कहा जा रहा है कि लिस्ट होने पर इसका वैल्यूएशन या मार्केट कैप 10 लाख करोड़ रुपए से ऊपर होगा। यानी हो सकता है कि यह पहले या फिर दूसरे नंबर पर देश में रहे।

एचडीएफसी बैंक और मारुति भी हैं रेस में

देवेन चौकसी कहते हैं कि मारुति भी इस मामले में आगे है। हालांकि इसका मार्केट कैप अभी केवल 2 लाख करोड़ है, लेकिन इसका शेयर 7,755 रुपए तक जा चुका है। इसके बारे में अनुमान इसलिए है क्योंकि यह देश की सबसे बड़ी कार निर्माता है। युवाओं का फोकस इस पर है। बदलते माहौल में जब खरीदने की शक्ति बढ़ेगी तो सबसे ज्यादा फायदा इसे होगा। इसके बाद एचडीएफसी बैंक भी इस मामले में दावेदार है। इसका वैल्यूएशन 6.15 लाख करोड़ रुपए है। यह टीसीएस से दो लाख करोड़ रुपए कम है।

विश्व की टॉप 100 में 56 कंपनियां अमेरिका की

विश्व की टॉप 100 कंपनियों में 56 कंपनियां अमेरिका की इस समय हैं। इसमें ज्यादातर टेक्नोलॉजी कंपनियां शामिल हैं। विश्व में 100 कंपनियों में हाल में 14 नई कंपनियां शामिल हुई हैं। इसमें से 2 कंपनियां आईपीओ के जरिए आईं। नई 14 में से 8 कंपनियां अमेरिका से आई हैं।

सउदी अरामको के आईपीओ ने बदल दिया टॉप 100 कंपनियों का स्थान

सउदी अरामको दिसंबर 2019 में वैश्विक स्तर का सबसे बड़ा आईपीओ लाई थी। अब यह पहले पोजीशन पर बाजार पूंजीकरण के मामले में है। विश्व की टॉप 100 कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन मार्च 2020 की तुलना में जून तिमाही में 17 प्रतिशत बढ़ा। यह 25 ट्रिलियन डॉलर रहा है। अमेरिका की कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन मार्च 2020 की तुलना में जून 2020 में 21 प्रतिशत बढ़ा है। टॉप 100 कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन की बात करें तो इसमें से 87 कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन में बढ़त देखी गई है।

मार्च तक एम कैप कम हुआ, पर जून तिमाही में बढ़ गया

पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2019 की तुलना में मार्च 2020 में इन 100 कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 15 प्रतिशत कम हुआ। हाल में पूरी दुनिया में बड़ी कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन में मजबूत रिकवरी देखी गई है। साथ ही बाजारों में भी रिकवरी देखी गई है। इनमें टेक्नोलॉजी और कंज्यूमर सर्विसेस सेक्टर की कंपनियां भी टॉप 100 में हैं। कंज्यूमर कंपनियां इंडस्ट्री इंडेक्स की तुलना में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।

तेल और गैस सेक्टर प्रभावित हुआ

मार्च से जून की तुलना में फाइनेंशियल और तेल एवं गैस कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 5 से 10 प्रतिशत बढ़ा है। इस दौरान सबसे ज्यादा तेल एवं गैस सेक्टर प्रभावित हुआ है। फाइनेंशियल सर्विसेस को 23 प्रतिशत का नुकसान हुआ है। कंज्यूमर सर्विसेस में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस दौरान केवल 10 कंपनियों का बाजार पूंजीकरण बढ़ा जिसमें से नास्डैक में लिस्टेड नेटफ्लिक्स का भी समावेश था। टेक्नोलॉजी कंपनियों के एम कैप में इस दौरान 11 प्रतिशत की गिरावट आई है।

सउदी अरामको अभी भी शीर्ष पर

जून तिमाही में टॉप 100 में प्रमुख कंपनियों को मार्केट कैप के लिहाज से देखें तो इसमें सउदी अरबिया की सउदी अरामको 1,741 अरब डॉलर के साथ पहले रैंक पर है। उसके बाद अमेरिका की एपल (1,568 अरब डॉलर) के साथ दूसरे, माइक्रोसॉफ्ट (1,505 अरब डॉलर) के साथ तीसरे और अमेजन (1,337 अरब डॉलर) के साथ चौथे नंबर पर है। सउदी अरामको भले ही लीडिंग पोजीशन बनाए रखी है लेकिन तेल की कीमतों में गिरावट से इस पर असर दिख रहा है।

एपल और माइक्रोसॉफ्ट का एम कैप तेजी से बढ़ा

मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से दूसरी और तीसरी कंपनी एपल और माइक्रोसॉफ्ट के बाजार पूंजीकरण में बढ़त दिख रही है। एपल का मार्केट कैप मार्च से जून तक 42 प्रतिशत बढ़ा है। जबकि माइक्रोसॉफ्ट का मार्केट कैप 29 प्रतिशत बढ़ा है। इस तरह से सउदी अरामको और इन दोनों कंपनियों के मार्केट कैप के अंतर में भारी कमी आई है।

अलीबाबा आठवें नंबर पर

इसी तरह चीन की टेंसेंट 599 अरब डॉलर के साथ सातवें क्रम पर है। अलीबाबा 577 अरब डॉलर के साथ आठवें क्रम पर है। जापान की टोयोटा मोटर 203 अरब डॉलर के साथ 32 वें नंबर पर है। ताइवान की टीएसएमसी 274 अरब डॉलर के साथ 19 वें रैंक पर है। स्विटजरलैंड की नेस्ले 328 अरब डॉलर के साथ 13 वें और रोश 300 अरब डॉलर के साथ 14 वें रैंक पर है। दक्षिण कोरिया की सैमसंग 260 अरब डॉलर के साथ 21 वें नंबर पर है।

2009 से तेजी से बढ़ा मार्केट कैप

साल 2008 में लेहमन ब्रदर्स के ध्वस्त होने से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई थी। अगर 2009 से देखें तो इन कंपनियों ने बहुत तेजी से मार्केट कैपिटलाइजेशन में वृद्धि की है। पीडब्ल्यूसी के आंकड़े बताते हैं कि 2009 में टॉप 100 कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन महज 8 ट्रिलियन डॉलर था। इसे दोगुना होने में 8 साल का समय लग गया। 2016 में यह 16 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया। हालांकि इसकी वृद्धि की रफ्तार अभी भी उसी गति से है। 2018 में यह 20 ट्रिलियन डॉलर हुआ तो 2019 मार्च में यह 25 ट्रिलियन डॉलर हो गया।

हालांकि 2020 मार्च में यह घटकर 22 ट्रिलियन डॉलर पर आ गया था, लेकिन जून तिमाही में यह फिर से 25 ट्रिलियन डॉलर हो गया।

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