निजीकरण की ओर रेलवे:देश में प्राइवेट ट्रेनें चलाने के लिए फ्रांस, जर्मनी और कनाडा समेत कई देशों की 23 कंपनियों को दिलचस्पी, 30 हजार करोड़ के निवेश की उम्मीद
ट्रेन चलाने वाली प्राइवेट कंपनियां जितना मर्जी उतना किराया रख सकेंगी। इस किराये के लिए उन्हें किसी भी अथॉरिटी से कोई मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। भारतीय रेलवे की दूसरी प्री बिड कॉन्फ्रेंस में कनाडा की बॉम्बार्डियर, फ्रांस की अलस्टॉम, जर्मनी की सीमेंस कंपनियों ने की शिरकत 2027 तक 151 प्राइवेट ट्रेनें चलाने की तैयारी, 2022-23 से ही हो जाएगी शुरूआत
देश में प्राइवेट ट्रेनों को चलाने के लिए दुनियाभर की कई बड़ी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। इसके लिए कनाडा की बॉम्बार्डियर, फ्रांस की अलस्टॉम, जर्मनी की सीमेंस, भारत की जीएमआर, वेदांता, भारत फोर्ज, स्टरलाइट पॉवर, मेधा, आई बोर्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, आईआरसीटीसी, बीएमईएल सहित 23 कंपनियों ने एप्लीकेशन दी है।
बुधवार को भारतीय रेलवे की ओर से हुई दूसरी प्री बिड कॉन्फ्रेंस में इन सभी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की। इसके पहले पहली प्री बिड कॉन्फ्रेंस में भी 16 बड़ी कंपनियों ने शिरकत की थी। कॉन्फ्रेंस में रेलवे ने अपनी तैयारियों और जरूरतों के बारे में सभी कंपनियों को जानकारी दी। सरकार को उम्मीद है कि इस नए प्रयोग से करीब 30 हजार करोड़ का निवेश आएगा।
2022-23 में 12 प्राइवेट चलाने की तैयारी
रेलवे की ओर से प्राइवेट ट्रेनों के संचालन के लिए तैयारियां तेज कर दी गई हैं। रेलवे ने अप्रैल 2023 तक पहली प्राइवेट ट्रेन को शुरू करने का फैसला लिया है। रेलवे की तैयारी है कि 2022-23 में 12 प्राइवेट ट्रेनें पटरियों पर दौड़ने लगें। इसके बाद साल 2023-24 में 45, साल 2025-26 में 50 और 2026-27 में 44 ट्रेनें शुरू करने की योजना है।
हर एक ट्रेन में 16 कोच होंगे
हर एक प्राइवेट ट्रेन में करीब 16 कोच होंगे। इसके लिए कुल 2,400 कोच बनाने की जरूरत होगी। हर एक कोच को तैयार करने में करीब 6.5 ले लेकर 7 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। रेलवे का मानना है कि प्राइवेट ट्रेन के चलने से लंबी वेटिंग को खत्म करने में मदद मिलेगी। प्राइवेट ट्रेन की स्पीड 160 किमी/घंटे होगी।
एयरलाइंस की तर्ज पर रेलवे में भी टिकटों की कीमत तय नहीं
ट्रेन चलाने वाली प्राइवेट कंपनियां जितना मर्जी उतना किराया रख सकेंगी। इस किराये के लिए उन्हें किसी भी अथॉरिटी से कोई मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। यह कंपनियां भारतीय रेलवे के नेटवर्क पर ट्रेन चलाएंगी और इसके लिए वे जो चाहें किराया तय कर सकती हैं। रेलवे ने यह प्राइवेट कंपनियों पर छोड़ा है कि वह ट्रेन का किराया तय करें। इसके अलावा रेवेन्यू जेनरेट करने के लिए वे अलग-अलग तरह के विकल्पों के बारे में विचार करने और फैसला करने में स्वतंत्र होंगे।
यह किराया बाजार के मुताबिक होगा
हाल में इस तरह की बात रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने भी कही थी। हाल में प्री-अप्लीकेशन मीटिंग में इस तरह का सवाल भी आया था। सरकार कुल 109 रूट पर 151 ट्रेन प्राइवेट कंपनियों को 35 साल के लिए देगी। रेलवे ने इस मामले में हाल में उठाए गए सवालों के जवाब में कहा कि प्राइवेट ट्रेन के किराए वही कंपनियां तय करेंगी, जो इसे चलाएंगी। यह किराया बाजार के मुताबिक होगा। इसके लिए किसी मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। सूत्रों के मुताबिक भारतीय रेलवे को कैबिनेट या संसद से इस तरह के मामलों के लिए अनुमति लेनी होगी। रेलवे एक्ट के अनुसार देश में केवल केंद्र सरकार या रेलवे मंत्रालय पैसेंजर ट्रेन के किराए को तय कर सकता है।