नया शब्द-नया ट्रेंड / कोरोना से बचा रहा ‘सोशल बबल’ मॉडल, न्यूजीलैंड से इसकी शुरुआत हुई; जर्मनी के बाद अब ब्रिटेन में लागू होगा
सोशल बबल' परिजन, खास दोस्त या कलीग हो कहते हैं, जिनसे आप रोजाना मिलते हैं शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस मॉडल से लोग दूरी बनाकर एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं
लॉकडाउन में घटती पाबंदियों के बीच अगर परिवार के सदस्य एक-दूसरे से मिलते हैं तो संक्रमण के मामले कम हो सकते हैं। इसे शोधकर्ताओं ने सोशल बबल का नाम दिया है। दुनियाभर में सबसे ज्यादा चर्चा न्यूजीलैंड के ‘सोशल बबल’ मॉडल की हो रही है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी यह मॉडल अपनाने की बात कही है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने सोशल बबल पर रिसर्च के बाद अपनी राय जाहिर की। शोधकर्ताओं से समझिए क्या है सोशल बबल और इसकी गाइडलाइन-