Newsportal

लोन मोरेटोरियम पर सुनवाई:सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- बकाया किश्तों का ब्याज माफ नहीं कर सकते, लेकिन पेमेंट का दबाव कम कर देंगे, 2 साल तक बढ़ सकती है लोन पर EMI नहीं चुकाने की छूट, जानिए आपको फायदा होगा या नुकसान

आरबीआई ने लॉकडाउन की वजह से लोन की किश्तें 6 महीने तक टालने की छूट दी थी यह छूट अगस्त में खत्म हो चुकी, अब ग्राहक इसे बढ़ाने और ब्याज माफ करने की अपील कर रहे

0 268

लॉकडाउन में आरबीआई की तरफ से दिए गए लोन मोरेटोरियम को आगे बढ़ाने और ब्याज में छूट देने की अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलील रख रहे हैं। उन्होंने कहा, “ब्याज में छूट नहीं दे सकते, लेकिन पेमेंट का दबाव कम कर देंगे। बैंकिंग सेक्टर इकोनॉमी की रीढ़ है। हम अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाला कोई फैसला नहीं ले सकते।”

लोन मोरेटोरियम यानी कर्ज की किश्त को कुछ महीनों के लिए टालने की छूट…आरबीआई ने कोरोना की स्थिति और लॉकडाउन को देखते हुए मार्च में 3 महीने के लिए यह सुविधा दी थी, फिर 3 महीने और बढ़ाकर अगस्त तक कर दी गई।

अब जब मोरेटोरियम के 6 महीने पूरे हो चुके हैं, तो ग्राहक कह रहे हैं कि इसे और बढ़ाना चाहिए। इससे भी अहम मांग ये है कि मोरेटोरियम पीरियड का ब्याज भी माफ होना चाहिए। क्योंकि, ब्याज पर ब्याज वसूलना तो एक तरह से दोहरी मार होगी। इसकी वजह ये है कि आरबीआई ने सिर्फ ईएमआई टालने की छूट दी थी, लेकिन बकाया किश्तों पर लगने वाला ब्याज तो चुकाना पड़ेगा।

लोन लेने वाले ग्राहकों की दलील
1.
 ग्राहकों के एक ग्रुप और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के महाराष्ट्र चैप्टर की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने मंगलवार की सुनवाई में कहा, “मोरेटोरियम नहीं बढ़ा, तो कई लोग लोन पेमेंट में डिफॉल्ट करेंगे। इस मामले में एक्सपर्ट कमेटी को सेक्टर वाइज प्लान तैयार करना चाहिए।”

2. रिएल एस्टेट डेवलपर्स के संगठन क्रेडाई की ओर से वकील ए सुंदरम ने दलील रखी, “मोरेटोरियम में ग्राहकों से ब्याज वसूलना गलत है। इससे आने वाले समय में नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) बढ़ सकते हैं।”

3. शॉपिंग सेंटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से वकील रणजीत कुमार ने कहा, “कोरोना की वजह से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। उन्हें राहत देने के उपाय किए जाने चाहिए। आरबीआई सिर्फ बैंकों के प्रवक्ता की तरह बात नहीं कर सकता। हमारी स्थिति वाकई खराब है। थिएटर, बार और फूड कोर्ट बंद हैं। हम कैसे कमाएंगे और कर्मचारियों को सैलरी कैसे देंगे? कोर्ट से अपील करते हैं कि सेक्टर वाइज राहत देने पर विचार होना चाहिए।”

इससे पहले मंगलवार को सरकार ने कहा था कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए मोरेटोरियम पीरियड 2 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। सरकार का यह जवाब इसलिए आया, क्योंकि 26 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि इस मामले में 7 दिन में स्थिति साफ की जाए। कोर्ट ने कमेंट किया था कि सरकार आरबीआई के फैसले की आड़ ले रही है, जबकि उसके पास खुद फैसला लेने का अधिकार है।

क्या है मोरेटोरियम?
कोरोना और लॉकडाउन की वजह से आरबीआई ने मार्च में लोगों को मोरेटोरियम यानी लोन की ईएमआई 3 महीने के लिए टालने की सुविधा दी थी। बाद में इसे 3 महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त तक के लिए कर दिया गया। आरबीआई ने कहा था कि लोन की किश्त 6 महीने नहीं चुकाएंगे, तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा। लेकिन, मोरेटोरियम के बाद बकाया पेमेंट पर पूरा ब्याज देना पड़ेगा।

मार्च महीने में कोरोना संकट को देखते हुए रिजर्व बैंक के निर्देश पर बैंकों ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। इसके तहत कंपनियों और व्यक्तिगत लोगों को लोन की किस्तों के भुगतान के लिए छह महीने की छूट दी गई थी। इसकी अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 के कारण मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर छूट देने की दिशा में निर्देश देने वाली याचिका पर सुनवाई की। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि ऋण स्थगन दो साल के लिए बढ़ सकता है। लेकिन यह कुछ ही सेक्टरों को दिया जाएगा।

अगर आपने तीन महीने किस्त न चुकाने का विकल्प चुना था, तो आपके लोन की अवधि तीन महीने बढ़ जाएगी और इन तीन महीने के दौरान लगने वाला ब्याज भी आपसे वसूला जाएगा। आगे की ईएमआई के साथ यह ब्याज जोड़ दिया जाएगा। बैंकों के नियम और शर्तें अलग-अलग भी हो सकती हैं। लेकिन ग्राहकों को दो विकल्प मिल सकते हैं-

विकल्प 1 : ब्याज दर बकाया राशि में जोड़ी जा सकती है, जिससे बाकी के महीनों की ईएमआई बढ़ जाएगी।

विकल्प 2 : ग्राहकों की लोन की अवधि बढ़ सकती है। ऐसे में उनकी ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होगा। इसके तहत लोन की जितनी ज्यादा अवधि बची होगी, उतना ही ग्राहकों पर बोझ बढ़ेगा

आइए इसे उदाहरण से समझते हैं:

अगर ग्राहक ने 8.5 फीसदी ब्याज पर 20 लाख रुपये का होम लोन लिया है और उसने पहले ही 105 ईएमआई का भुगतान कर लिया है, तो बकाया मूल राशि 15,05,408 रुपये हुई, जो उसे 135 और ईएमआई में पूरी करनी है। अब अगर ग्राहक ने तीन महीने की एमआई में छूट का विकल्प लिया था, तो उसे इंटरस्ट कम्पोनेंट के तौर पर 32,217 रुपये देने होंगे। अगर वह अपनी पहले वाली ईएमआई की रकम (17,356 रुपये) को जारी रखना चाहता है, तो वह 140 महीनों में लोन पूरा कर सकेगा। यानी इससे उसकी लोन की अवधि पांच माह बढ़ जाती है।

क्या है लोन मोरेटोरियम?
आरबीआई द्वारा दी गई लोन मोरेटोरियम की सुविधा के तहत ग्राहकों को ईएमआई टालने का विकल्प मिला। यानी अगर आपने बैंक से किसी भी प्रकार का लोन लिया है, तो आरबीआई ने आपको अपनी जरूरत के अनुसार, छह माह तक के लिए लोन की ईएमआई का भुगतान नहीं करने का विकल्प दिया।

कब से शुरू हुआ था मोरेटोरियम?
केंद्रीय बैंक की ओर से ग्राहकों को छह महीने के लिए- मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई और अगस्त के लिए अपने लोन की ईएमआई टालने का विकल्प दिया गया।

इसे कितनी बार बढ़ाया गया?
कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर ग्राहकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने पहले 1 मार्च 2020 से लेकर 31 मई 2020 तक सभी टर्म लोन के पेमेंट पर तीन महीने की मोहलत दी थी। बाद में इसे अतिरिक्त तीन महीने के लिए यानी अगस्त 2020 तक बढ़ाया गया।

मोरेटोरियम आगे नहीं बढ़ाने का क्या अर्थ है?
छह अगस्त 2020 को हुई एमपीसी बैठक में लोन की ईएमआई टालने की अवधि नहीं बढ़ाई गई। यानी 31 अगस्त के बाद मोरेटोरियम की अवधि खत्म हो जाएगी। जिन ग्राहकों ने इस सुविधा का लाभ उठाया था, उन्हें सितंबर से फिर से अपने होम लोन, व्हीकल लोन और पर्सनल लोन पर मार्च से पहले की तरह किस्त चुकानी होगी।

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.