दो दिन पहले तक उत्तराखंड के 71 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में थे, पिछले साल इस वक्त तक यह आंकड़ा डेढ़ हजार हेक्टेयर था
नई दिल्ली. उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग की कई तस्वीरें और वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इनमें से कुछ तस्वीरें तो हाल के दिनों की ही हैं। लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे वीडियो और तस्वीरें शेयर की जा रही हैं जो या तो पुरानी हैं या जिनका उत्तराखंड से कोई संबंध नहीं है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित कई अधिकारियों ने लोगों को अफवाहों से बचने की सलाह दी है।
उत्तराखंड के जंगलों में लगी की खबरें पूरी तरह झूठी भी नहीं हैं। 25 मई तक राज्य के 71 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ चुके हैं और इसमें दो महिलाओं की मौत भी हो चुकी है। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, ‘बीते सालों की तुलना में जंगलों में लगी आग का आंकड़ा अब तक काफी कम है। पिछले साल इस वक्त तक लगभग डेढ़ हजार हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ चुके थे। इस साल यह आंकड़ा सिर्फ 71 हेक्टेयर है।’
जंगल में आग को लेकर फेक न्यूज भी फैलती है
Fake news of forest fire 2020 in Uttarakhand are being circulated on social media. After verification of such images it has been found that these images are fake. Few such images are being uploaded by us. It is our request to kindly do not spread fake news. pic.twitter.com/B9GBK8DgaL
— Uttarakhand Forest Department @Official (@Uttkhand_Forest) May 27, 2020
उत्तराखंड में हर साल जंगलों में लगने वाली आग में इस साल आई कमी के बारे में पूछने पर वन विभाग के विशेषज्ञ तीन मुख्य कारण बताते हैं। पहला, इस साल हुई भारी वर्षा के चलते जंगलों में नमी ज़्यादा है। अब तक भी पहाड़ के कई इलाकों में बरसात जारी है जो जंगल की आग को नियंत्रित करने का सबसे बड़ा कारण है।
लॉकडाउन के कारण भी आग लगने की घटनाएं कम
दूसरा कारण जो विशेषज्ञ बताते हैं वो है देशभर में हुए लॉकडाउन के चलते मानव गतिविधियों का बेहद सीमित होना। चूंकि, जंगलों में लगने वाली आग के पीछे अधिकतर मानव गतिविधियों का प्रत्यक्ष या परोक्ष हाथ होता है, लिहाजा इस साल लॉकडाउन के चलते जब मानव गतिविधियां सीमित रहीं तो इसका प्रभाव वनाग्नि में आई कमी के रूप में भी देखा गया।
तीसरा कारण बताते हुए वन विभाग के अधिकारी कहते हैं, ‘सतर्कता के चलते भी वनाग्नि की घटनाओं में कमी आई है। गर्मियों की शुरुआत से पहले ही विभाग आग से बचने की तैयारी शुरू कर देता है। साथ ही आग लगने पर विभाग की प्रतिक्रिया भी अब पहले की तुलना में काफी तेज हुई है।