बीड़ी-सिगरेट पीने और तंबाकू चबाने वालों को कोविड का खतरा आम लोगों से ज्यादा है। उनकी रिकवरी भी दूसरे मरीजों के मुकाबले ज्यादा समय में होती है और लंग्स में बदलाव भी ज्यादा मिले हैं। कोटा मेडिकल कॉलेज के श्वास रोग विभाग की ओर से इसे लेकर 900 मरीजों पर बड़ी स्टडी की गई है, जिसमें यह सभी तथ्य सामने आए हैं।
स्टडी में पता चला कि जो मरीज स्मोकिंग करते थे या तंबाकू चबाते थे, उनका सीटी स्कोर 12 से कम नहीं था, जबकि धूम्रपान न करने वाले कई मरीजों का सीटी स्कोर 7 तक था। यह स्टडी बीते महीने कोविड हॉस्पिटल में एडमिट हुए मरीजों पर की गई थी। ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट भी दूसरे मरीजों के मुकाबले ऐसे मरीजों के लिए ज्यादा थी।
भारत में इस तरह की पहली स्टडी
श्वास रोग विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. अनिल सक्सेना ने बताया कि इस स्टडी की समरी तैयार की जा रही है, जल्द ही इसे पब्लिश होने के लिए भेजेंगे। मुझे जहां तक ध्यान है, भारत में इतनी बड़ी संख्या में कोविड मरीजों पर धुम्रपान और तंबाकू के दुष्प्रभावों के लिहाज से यह पहली स्टडी है।
उन्होंने बताया कि यह बात सामान्य तौर पर मानी जाती है कि ऐसे मरीजों में कोविड का खतरा ज्यादा है, लेकिन साइंटिफिकली इसे प्रूव करने के लिए यह स्टडी हमने की है। कोविड की सेकंड वेव में मई 2021 में कोविड हॉस्पिटल में भर्ती हुए मरीजों पर यह अध्ययन किया गया है।
चिंताजनक आंकड़ा : 900 में से 507 कोरोना संक्रमित तंबाकू खाने वाले मिले
जैसे ही स्टडी के लिए मरीजों का डेटा कलेक्ट करना शुरू किया, तो विभाग के डॉक्टर शुरुआत में ही चौंक गए। पता चला कि 900 लोगों में से 507 लोग ऐसे थे, जो तंबाकू चबाते थे या धूम्रपान करने वाले थे। यानी स्टडी में शामिल कुल मरीजों में 56.33% लोग इन दुर्व्यसनों का शिकार थे। इससे यह साबित होता है कि तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद हाड़ौती में टोबेको और स्मोकिंग का चलन कम नहीं हो रहा।
हर साल घटती है लंग्स की कैपेसिटी
इस स्टडी में शामिल रहे श्वास रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. बीएल बंशीवाल ने बताया कि एक स्वस्थ इंसान की टोटल लंग्स कैपेसिटी 5 से 6 लीटर के बीच होती है, जो 30 से 45 वर्ष के बाद हर साल 30 से 35 एमएल घटती है। लेकिन धूम्रपान करने में यह हर साल 50 एमएल या उससे ज्यादा घटती है। यही बड़ी वजह है कि इन मरीजों की ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट ज्यादा रही।
इस तरह हुआ सर्वे
- 900 मरीजों को स्टडी में शामिल किया गया, इनमें 527 कोविड पॉजिटिव और 373 निगेटिव थे
- 507 लोग स्मोकिंग व टोबैको यूजर्स मिले, इनमें 205 स्मोकिंग करते थे और 302 तंबाकू चबाते थे
- 205 स्मोकिंग करने वालों में से 121 पॉजिटिव और 84 निगेटिव थे
- 302 तंबाकू चबाने वालों में 173 पॉजिटिव और 129 निगेटिव थे
यह सामने आए फैक्ट्स
- तंबाकू चबाने वाले और धूम्रपान करने वालों का सीटी स्कोर 12 से 20 के बीच था, जबकि दूसरे मरीजों में इससे कम मिला।
- RT-PCR टेस्ट की सीटी वैल्यू, इन मरीजों में 16 से 20 के बीच थी, जबकि यह ज्यादा होनी चाहिए।
- कमोबेश हर मरीज की ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट 20 लीटर या इससे ज्यादा थी, जबकि दूसरे रोगी 5-10 लीटर पर भी चल रहे थे।
- इन मरीजों की रिकवरी में समय लगा। इनमें से अभी भी ऐसे करीब दो दर्जन रोगी भर्ती हैं, जिन्हें एडमिट हुए 25 से 30 दिन बीत चुके हैं।
धूम्रपान और तंबाकू चबाना भी कोविड में एक कोमॉर्बिडिटी
मेडिकल कॉलेज के श्वास रोग विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. अनिल सक्सेना ने बताया कि हाड़ौती में गुटखा-तंबाकू और बीड़ी-सिगरेट का चलन वास्तव में बहुत ज्यादा है। यह हमें इस स्टडी में भी पता लग गया। असल में ऐसे लोगों के लंग्स पहले से कमजोर होते हैं, जो खुद एक कोमोर्बिडिटी वाली स्थिति है। इसलिए इन पर कोविड ज्यादा घातक होता है। हमारी टीम ने 900 मरीजों पर यह स्टडी की है, जिसे जल्दी ही पब्लिशिंग के लिए भेजेंगे।