डिजिटल मीडिया पर केंद्र सख्त:OTT प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन न्यूज पोर्टल को सरकार की डेडलाइन, 15 दिन में बताएं गाइडलाइंस पर क्या किया
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया गाइडलाइंस के पालन को लेकर सख्ती दिखाना शुरू कर दिया है। सूचना एवं प्रसारण विभाग ने गुरुवार को डिजिटल मीडिया समेत OTT प्लेटफॉर्म्स को 15 दिन की डेडलाइन दे दी है। इसके तहत ऐसी कंपनियों को यह बताना होगा कि उन्होंने नई गाइडलाइंस को लेकर क्या किया है।
आपको बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने 25 फरवरी को सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए नई गाइडलाइंस जारी की और नियमों को सख्त किया। सरकार ने फेसबुक, ट्विटर, वॉट्सऐप जैसी सोशल मीडिया कंपनियों को नई गाइडलाइंस लागू करने के लिए 3 महीने का समय दिया था। 25 मई को केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन की अंतिम तारीख समाप्त हो गई।
ऐसे में केंद्र की नई गाइडलाइन को लागू नहीं करने वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भारत में प्रतिबंध का खतरा मंडरा रहा है। इससे पहले टूलकिट विवाद और सोशल मीडिया गाइडलाइंस को लेकर ट्विटर ने गुरुवार को कहा कि सरकार डेडलाइन लागू करने के लिए 3 महीने की मोहलत मांगी है।
बता दें कि नए नियमों को कई डिजिटल पब्लिशर्स ने अलग-अलग हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है। उनकी याचिकाओं पर नोटिस भी जारी किए गए हैं।
सरकार ने डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को 3 श्रेणियों में बांटा
सूचना प्रसारण मंत्रालय ने डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को 3 श्रेणियों में बांटा है। पहली श्रेणी में न्यूज पेपर्स या टीवी के अलावा डिजिटल माध्यम में समाचार देने वाले परम्परागत पब्लिशर्स हैं। दूसरी श्रेणी डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स की है। तीसरी श्रेणी में ओवर द टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स हैं, जो डिजिटल माध्यम से मनोरंजन और दूसरी जानकारियां देते हैं। तीनों कैटेगरी में सरकार ने ये जानकारियां मांगी हैं…
पहली श्रेणी: इसके तहत पब्लिशर्स से से बुनियादी सूचनाएं जैसे नाम, यूआरएल, भाषा, ऐप, सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी मांगी गई है। उन्हें टीवी चैनल की अनुमति या न्यूज पेपर्स का आरएनआई रजिस्ट्रेशन नंबर, कॉन्टेक्ट नंबर और शिकायत निवारण की व्यवस्था के बारे में बताना होगा।
दूसरी श्रेणी: इसमें भी तकरीबन पहली श्रेणी वाली जानकारियां मांगी गईं हैं। लेकिन इसमें कंपनी आइडेंटिफिकेशन नंबर और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की जानकारी भी पूछी गई है अगर वे कंपनियां हैं तो।
तीसरी श्रेणी: इसमें भी नाम, पता, यूआरएल, ऐप का नाम पूछा गया है। विदेशी ओटीटी कंपनी को अपने देश का रजिस्ट्रेशन बताना होगा। साथ ही भारत में उसने कब से काम शुरू किया, यह भी जानकारी देनी होगी। ओटीटी को भी शिकायत निवारण व्यवस्था के बारे में जानकारी देनी होगी, जिसमें कंटेट मैनेजर का नाम भी बताना होगा।
नए नियमों पर किसने क्या कहा-
केंद्र ने कहा- गंभीर मामलों में वॉट्सऐप को हमें जानकारियां देनी ही होंगी
3 महीने पहले जारी की गई सोशल मीडिया गाइडलाइंस पर वॉट्सऐप को ऐतराज है। कंपनी इसके लिए कोर्ट गई है। केंद्र ने गाइडलाइंस के पालन पर पूरा जोर दिया है। इसके एक दिन बाद गुरुवार को भाजपा ने गाइडलाइन को लेकर रुख स्पष्ट कर दिया है। भाजपा ने कहा है कि यूजर की प्राइवेसी का सरकार सम्मान करती है, लेकिन गंभीर मामलों में वॉट्सऐप को हमें जानकारियां देनी ही होंगी। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी नियमों पर सरकार का रुख साफ किया।
सुंदर पिचाई बोले- गूगल नए नियमों को मानेगा
गूगल के CEO सुंदर पिचाई ने कहा कि हम सरकार ने IT नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अभी शुरूआती दौर है और हमारी लोकल टीमें इसमें काफी व्यस्त हैं। किसी भी देश के स्थानीय नियमों का हम सम्मान करते हैं और हमारा नजरिया इस दिशा में रचनात्मक रहता है। हमारी ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट स्पष्ट हैं। जब हम किसी सरकार की अपील पर अमल करते हैं तो इसे इस रिपोर्ट में हाईलाइट करते हैं।
ट्विटर: भारत में अपने कर्मचारियों को लेकर चिंता
ट्विटर ने गुरुवार को कहा कि भारत में बने नियमों में से जिसे हम लागू कर सकते हैं, उसे लागू करने की कोशिश करेंगे। लेकिन, हम अभिव्यक्ति की आजादी और पुलिस की धमकाऊ प्रवृत्ति को लेकर चिंतित हैं। हम नियमों को लागू करने के लिए तैयार हैं, लेकिन ये पूरी तरह पारदर्शिता के उसूलों के साथ होगा। हम भारत के लोगों के लिए प्रतिबद्ध हैं।
हमारी सर्विस भारत में कम्युनिकेशन के लिए प्रभावी जरिया साबित हुई है। महामारी के समय ये संबल का जरिया भी बनी है। हम भारत में अपने कर्मचारियों के साथ हुई घटनाओं को लेकर भी परेशान हैं। हम पूरे मामले में भारत सरकार के साथ अपनी बातचीत को जारी रखेंगे। हमारा मानना है कि इस मामले में दोनों ओर से सहयोगात्मक रवैया अपनाना जरूरी है।
वॉट्सऐप: कोर्ट में कहा- निजता का उल्लंघन
वॉट्सऐप ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि सरकार के इस फैसले से लोगों की प्राइवेसी खत्म हो जाएगी। वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने बताया कि मैसेजिंग ऐप से चैट को इस तरह से ट्रेस करना लोगों की निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा। हमारे लिए यह वॉट्सऐप पर भेजे गए सारे मैसेज पर नजर रखने जैसा होगा, जिससे एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन का कोई औचित्य नहीं बचेगा।