जाॅन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी की रिसर्च का अनुमान- दिसंबर तक 12 लाख बच्चों और 57 हजार मांओं की मौत की आशंका
अमेरिका की जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि कोरोना का संकटकाल समय पर जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं न मिलने और खाने के कमी के कारण ढाई लाख शिशुओं की जान ले सकता है। गरीब देशों की 10 हजार से अधिक मांओं के लिए अगले 6 महीने चुनौतीभरे होंगे और इनकी जान जाने का भी खतरा होगा।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, अगर हालात और ज्यादा बिगड़े तो दिसंबर 2020 तक 118 देशों में 12 लाख बच्चों और 57 हजार मांओं की मौत हो सकती है।
मांओं की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा
द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने अपने प्रयोगों और एनालिसिस से यह जानने की कोशिश की है कि कोविड-19 का आहार और हेल्थ सिस्टम पर असर पड़ने से कितनी मौत हो सकती हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोनालकाल में शिशुओं को जन्म देने वाली मांओं के लिए एंटीबायोटिक और सुरक्षित माहौल में कमी आई है, जिससे मांओं की मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है।
एंटीबायोटिक न मिलने से मर रहे बच्चे
शोधकर्ताओं के मुताबिक, बच्चों में मौत के खतरे के कई कारण हैं। महामारी के दौरान बच्चों में पोषक तत्वों की कमी और निमोनिया-सेप्सिस से बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा एंटीबायोटिक्स उपलब्ध न होना बड़े कारण हैं। इसके अलावा डायरिया से पीड़ित बच्चों के लिए रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन की कमी भी वजह है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हम उम्मीद करते हैं कि पॉलिसी मेकर्स इन आंकड़ों पर गंभीरता से ध्यान देंगे और नई गाइडलाइन जारी करेंगे ताकि जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें।