Newsportal

जम्मू-कश्मीर में नया नियम / अधिकारियों को 15 दिन में मूल निवासी प्रमाणपत्र जारी करना होगा, ऐसा न करने पर उनकी तनख्वाह से 50 हजार रुपए कटेंगे

पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी (डब्ल्यूपीआर) और सफाई कर्मचारी भी जम्मू-कश्मीर में डोमिसाइल सर्टिफिकेट ले सकेंगे राहत और पुनर्वास आयुक्त द्वारा पंजीकृत किए गए दूसरे राज्यों के लोग भी मूल निवासी प्रमाणपत्र पाने के हकदार होंगे

0 999,183

श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर में मूल निवासी प्रमाणपत्र (डोमिसाइल सर्टिफिकेट) बनवाने का नया नियम मंगलवार को जारी हो गया। नय नियमों के मुताबिक, आवेदन करने के 15 दिन के अंदर सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाएगा। अधिकारी को तय समय में यह काम पूरा करना होगा। ऐसा नहीं करने पर उनके वेतन से 50 हजार रु. काटे जाएंगे। जम्मू कश्मीर में किसी भी श्रेणी की नौकरी के लिए यह सर्टिफिकेट देना जरूरी होगा।

जम्मू-कश्मीर सरकार ने यह डोमिसाइल सर्टिफिकेट प्रोसीजर रूल्स- 2020 भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 और जम्मू कश्मीर सिविल सर्विस (डिसेंट्रललाइजेशन एंड रिक्रूटमेंट) एक्ट-2010 के तहत जारी किया है।

नए नियम में क्या हैं प्रावधान?

  • पश्चिमी पाकिस्तानी के शरणार्थी (डब्ल्यूपीआर), सफाई कर्मचारी और जम्मू-कश्मीर के बाहर विवाहित महिलाओं के बच्चों, राहत और पुनर्वास आयुक्त द्वारा पंजीकृत किए गए दूसरे राज्यों के लोग भी डोमिसाइल सर्टिफिकेट पाने के हकदार होंगे।
  • जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार के विभागों ,पीएसयू, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और केंद्र से मान्यता प्राप्त शोध संस्थानों में 10 साल तक सेवा देने वाले अधिकारी और उनके बच्चे भी मूल निवासी प्रमाणपत्र ले सकेंगे।
  • जम्मू-कश्मीर में 15 साल से रह रहे लोग, 7 साल तक पढ़ाई करने वाले या यहां के किसी स्कूल से 10 वीं या 12 वीं की परीक्षा देने वाले और उनके बच्चों को भी डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।
  • अगर ऐसे लोग जो अपनी नौकरी, व्यापार या पेशेवर कारणों से जम्मू-कश्मीर से बाहर है उनके बच्चों को भी मूल निवासी माना जाएगा। किसी भी इलाके के तहसीलदार को डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार होगा।

पहले जम्मू-कश्मीर में क्या था नियम?

2019 से पहले जम्मू कश्मीर में अपना संविधान था, जिसके मुताबिक नागरिक को परिभाषित किया गया था। इसमें किसी भी बाहरी व्यक्ति को वहां बसने का हक नहीं था। 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने के जिए जारी नोटिफिकेशन में राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर के संविधान सभा का नाम विधानसभा कर दिया था। पहले उसका नाम संविधान सभा इसलिए था, क्योंकि भारत की संसद की तरह ही वह कई संवैधानिक निर्णय करती थी। चाहे संसद में पारित निर्णयों को पारित करने का निर्णय हो या फिर नामंजूर करने का।

Leave A Reply

Your email address will not be published.