नई दिल्ली. ईंधन और बिजली की कीमत में भारी गिरावट के कारण मई में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में 3.21 फीसदी की गिरावट (डिफ्लेशन या अवमूल्यन) दर्ज की गई। खास बात यह है कि खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी होने के बावजूद औसत थोक महंगाई की दर शून्य से नीचे चली गई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक एक साल पहले यानी मई 2019 में थोक महंगाई की दर 2.79 फीसदी थी।
खाद्य वस्तुओं की थोक कीमतें औसत 1.13 फीसदी बढ़ी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य महंगाई दर मई में 1.13 फीसदी रही। अप्रैल में यह दर 2.55 फीसदी थी। ईंधन और बिजली सेगमेंट में डिफ्लेशन की दर बढ़कर 19.83 फीसदी पर पहुंच गई, जो अप्रैल में 10.12 फीसदी पर थी। मैन्यूफैक्चर्ड वस्तुओं में डिफ्लेशन की दर मई में 0.42 फीसदी रही।
अप्रैल का अंतिम सूचकांक अगले महीने जारी किया जाएगा
25 मार्च को लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण मंत्रालय ने अप्रैल माह के लिए अधूरे डब्ल्यूपीआई आंकड़े जारी किए थे। उसमें फूड, प्राथमिक वस्तुओं, ईंधन और बिजली संबंधी आंकड़े ही थे। मंत्रालय ने अधिकारियों को इलेक्ट्र्रॉनिक माध्यम से आंकड़े जुटाने के निर्देश दिए हैं। अप्रैल का अंतिम सूचकांक अगले महीन जारी किया जाएगा।
मार्च की अंतिम थोक महंगाई दर 0.42 फीसदी
मंत्रालय ने कहा कि मूल्यों के आंकड़े देशभर में स्थित चुनिंदा संस्थानिक सूत्रों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों से लिए जाते हैं। ये आंकड़े वेबसाइटों के जरिये जुटाए जाते हैं, जिनका प्रबंधन नेशनल इंफोर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) करता है। मार्च 2020 की अंतिम थोक महंगाई दर 0.42 फीसदी रही। 14 अप्रैल को जारी आंकड़ों में मार्च की थोक महंगाई दर 1 फीसदी बताई गई थी।