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कोरोना से निपटने का नॉर्थ ईस्ट मॉडल / 89 फीसदी रिकवरी रेट के साथ मेघालय देश में सबसे आगे, वजह ज्यादातर राज्यों ने लॉकडाउन बढ़ाया इसलिए हालात काबू में

पूर्वोत्तर के राज्यों में कोरोना बहुत हद तक नियंत्रण में है। यहां संक्रमण लेकर सख्ती बरती जा रही है। ज्यादातर राज्यों ने लॉकडाउन बढ़ा दिया है। त्रिपुरा में कुल 1558 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से 1203 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, मिजोरम में186 में से 130 मरीज पूरी तरह ठीक हो चुके हैं 37 लाख की आबादी वाले मेघालय में 5 जुलाई तक 70 मामले आए, 43 लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं, अब तक केवल एक ही मौत हुई है

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 गुवाहाटी. हरियाणा के गुरुग्राम के एक कॉल सेंटर में काम करने वाली 22 साल की जेसिका बीते 25 मई को मेघालय पहुंची। यहां शिलॉन्ग में उनका कोरोना टेस्ट किया गया, रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। दैनिक भास्कर से अपना अनुभव साझा करते हुए जेसिका कहती हैं कि कोरोना संक्रमण जब फैलना शुरू हुआ तो हमारा कॉल सेंटर बंद हो गया। मैं घर लौटना चाहती थी लेकिन, लॉकडाउन के कारण फंस गई।

यहां आए मुझे अभी एक साल ही हुआ था, किसी से पहचान भी नहीं थी। मन में डर था कि अगर मुझे कोरोना हुआ तो इस अनजान शहर में मेरी मदद कौन करेगा। किस्मत अच्छी रही कि मैं शिलॉन्ग पहुंचने के बाद पॉजिटिव हुई।

जेसिका फिलहाल पूरी तरह ठीक हो गई है और अपने परिवार के साथ हैं। जेसिका बताती हैं कि इलाज के दौरान अस्पताल में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ ने उनका खासा ध्यान रखा और उनको मो़टिवेट किया। वो बताती हैं कि इलाज के दौरान उन्हें बिल्कुल भी डर नहीं लगा।

फोटो अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर की है। बाहर से आनेवाले प्रवासियों के लिए यहां जांच की सुविधा बनाई गई है। 

पूर्वोत्तर के राज्यों में कोरोना के मामले कम

देश के दूसरे राज्यों की तुलना में पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में कोरोना के मामले फिलहाल नियंत्रण में हैं। इसके पीछे यहां की सरकार और लोगों का अनुशासन है, जो इस महामारी से मुकाबला कर रहे हैं। 37 लाख आबादी वाले मेघालय में 5 जुलाई तक कुल 70 मामले दर्ज हुए हैं। जिनमें 43 लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं जबकि अब तक केवल एक व्यक्ति की मौत हुई है।

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा कहते हैं कि हम नेशनल लॉकडाउन से पहले ही सतर्क हो गए थे और इस महामारी के खतरे से निपटने की तैयारियों में जुट गए थे। हम अपना काम प्रभावी तरीके से इसलिए कर पा रहें है क्योंकि हमें कम्युनिटी सपोर्ट भी मिल रहा है।

हमने सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने जैसी बातों का पालन करवाने के लिए शहरी इलाकों के साथ गांवों में लोगों को जागरूक किया है। लिहाजा शुरुआत के तीन हफ्तों तक राज्य में कोरोना का केवल एक ही मामला था। लेकिन, जब बाहर से लोगों का आना शुरू हुआ तो इसमें इज़ाफा होने लगा।

फोटो असम के एक क्वारैंटाइन सेंटर की है, जहां लोकल युवा प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं।

मेघालय में रिकवरी रेट 89.1 फीसदी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक जानकारी के मुताबिक मेघालय में रिकवरी रेट 89.1 फीसदी है, जो कि देश के दूसरे राज्यों से काफी ऊपर है। पूर्वोत्तर राज्यों में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले असम में सामने आए हैं। यहां 5 जुलाई तक कोरोना मरीज़ों की संख्या 11,736 तक पहुंच गई है। स्वास्थ्य विभाग की एक ताजा जानकारी के मुताबिक 7433 मरीज अब तक ठीक हुए हैं। जबकि14 लोगों की मौत हुई है।

असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में गुवाहाटी की मौजूदा स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा,”गुवाहाटी में 10 दिन पहले महामारी प्रवेश कर चुकी है, और स्थिति यहां ज्यादा गंभीर होने जा रही है। यहां अब तक 2741 ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री या सोर्स का पता नहीं चल पाया है। ऐसे में यहां कम्युनिटी स्प्रेड की चिंता जाहिर की जा रही है।”

फोटो गुवाहटी की है। लॉकडाउन में छूट के बाद जब मार्केट खुले तो लोगों ने जरूरी चीजों की खरीदारी की। 

कोरोना संकट से निपटने के लिए सरकार ने 28 जून से गुवाहाटी समेत कामरूप महानगर जिले में 14 दिनों के लिए टोटल लॉकडाउन कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना टेस्ट की रफ्तार बढ़ा दी है। गुवाहाटी समेत कामरूप महानगर जिले में अब तक 81,979 टेस्ट किए गए हैं जिसके कारण यहां पॉजिटिव मरीजों के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है।

प्रवासियों के आने से बढ़ा आंकड़ा

स्वास्थ्य मंत्री सरमा कहते है, “देश में कोरोना टेस्ट करवाने के मामले में असम चौथे पायदान पर है। यहां एक 10 लाख की आबादी पर 13,471 लोगों का टेस्ट किया गया है। गुवाहाटी को छोड़ दे तो राज्य के अलग-अलग हिस्सों में अबतक जितने भी मामले सामने आए हैं, उनमें ज्यादातर मामले हाल के दिनों में बाहरी राज्यों से लौटे हैं। असम में कोरोना का डबलिंग रेट इस समय 13 दिन है।”

फोटो असम के क्वारैंटाइन सेंटर में परोसे जा रहे भोजन की है। यहां ठहरने वालों के लिए खाने की बेहतर व्यवस्था है।

वहीं, नागालैंड में रविवार सुबह तक संक्रमित मरीजों की संख्या 578 थी। जिनमें 228 लोग ठीक हो चुके हैं। अभी तक यहां किसी की मौत नहीं हुई है। संसदीय कार्य मंत्री निबा क्रोनु कहते हैं कि लोग गांव और बस्तियों में गंभीरता से लॉकडाउन के नियमों का पालन कर रहे हैं। असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाली सीमाएं फिलहाल सील हैं। चारो तरफ चौकसी बढ़ा दी गई है।

लॉकडाउन से कोरोना पर कंट्रोल
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने रविवार (5 जुलाई) को प्रदेश में 24 घंटे के लिए टोटल लॉकडाउन की घोषणा की थी। त्रिपुरा में कुल 1558 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें स्वस्थ हुए 1203 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों मिज़ोरम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश ने भी कोरोना से निपटने में काफी अच्छी भूमिका निभा रहे हैं। इन राज्यों में कोरोना मरीज़ों की संख्या देश के अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है। यहां संक्रमित लोगों में करीब सभी बाहरी राज्यों से लौटे हैं।

मिजोरम में कोरोना वायरस के कुल 186 मामले सामने आए हैं, जिनमें 130 मरीज पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। नए मरीजों में असम, बिहार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, जम्मू एंड कश्मीर, केरल, मणिपुर और झारखंड से लौटे हैं। मणिपुर में अब तक 1325 मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि 667 मरीज ठीक हुए हैं। असम से सटे मणिपुर के जिरीबाम जिले में सरकार ने 15 जुलाई तक लॉकडाउन घोषित कर दिया है।

अरुणाचल प्रदेश में भी 6 जुलाई से राजधानी ईटानगर और नाहरलागुन शहर में एक हप्ते तक के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई है। यहां कुल 252 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 75 लोग पूरी तरह ठीक हो चुके हैं जबकि एक मरीज की मौत हुई है।

फोटो असम के एक सरकारी स्कूल की है जहां प्रवासियों को रोकने के लिए क्वारैंटाइन सेंटर बनाया गया है।

इस तरह पूर्वोत्तर ने कोरोना को कंट्रोल किया

  • दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासियों के लिए क्वारैंटाइन सेंटर की व्यवस्था की गई है। गावों में इसके लिए समितियों का गठन किया गया है। संदिग्धों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
  • क्वारैंटाइन के दौरान जिस भी व्यक्ति के शरीर में कोरोना के लक्षण दिखाई दिए, उनका टेस्ट करवाया गया और पॉजिटिव पाए गए लोगों को अस्पताल भेजा गया।
  • यहां के ट्राइबल इलाकों में गले मिलने का रिवाज नहीं हैं। इसलिए लोगों में एक-दूसरे से काफी हद तक दूरी बनी रहती है।
  • पहाड़ों पर अस्थाई तौर पर कुछ क्वारैंटाइन हट भी तैयार किए गए हैं, ताकि बाहर से आने वाले को सीधे गांव में जाने से पहले आइसोलेट किया जा सके।

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