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कोरोना वैक्सीन की दौड़ में चीनी कंपनियां सबसे आगे, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी टक्कर में, भारतीय वैक्सीन के नतीजों का इंतजार

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कोरोनावायरस से पूरी दुनिया हलाकान है। इससे निजात दिलाने के लिए दुनियाभर के रिसर्चर 160 से ज्यादा वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। इसमें 26 वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल्स के स्टेज में हैं। आम तौर पर किसी भी वैक्सीन को क्लिनिक तक पहुंचने में कई साल लग जाते हैं। लेकिन जल्द से जल्द सेफ और इफेक्टिव वैक्सीन पाने के लिए ह्यूमन ट्रायल्स के फेज-1, फेज-2 और फेज-3 ट्रायल्स को मर्ज किया गया है। दुनियाभर में कई वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल्स के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। आइए जानते हैं इस दौड़ में सबसे आगे चल रहे पांच विदेशी और भारत के दो वैक्सीन के बारे में…

दुनियाभर के इन पांच वैक्सीन में मची है होड़
1. कैनसिनो बायोलॉजिक्सः इकलौती वैक्सीन, जिसे चीनी मिलिट्री से मिली इस्तेमाल की इजाजत

चीनी कंपनी कैनसिनो बायोलॉजिक्स ने चीन के एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेस के साथ मिलकर Ad5-nCOV नाम के एडेनोवायरस को बेस बनाकर वैक्सीन बनाई है। आम सर्दी-जुकाम के वायरस को मोडिफाई कर नोवल कोरोनावायरस का जेनेटिक मटेरियल उसमें जोड़ा गया है। मई में फेज-1 ह्यूमन सेफ्टी ट्रायल की रिपोर्ट ने उम्मीद बंधाई और 25 जून को चीन की मिलिट्री ने ‘स्पेशली नीडेड ड्रग’ के तौर पर अप्रूव किया। मेडिकल जर्नल द लैंसेट में इसके फेज-2 ट्रायल्स के नतीजे पब्लिश हुए हैं।

रिसर्चर्स ने कहा कि 508 लोगों पर वैक्सीन Ad5-nCOV का ट्रायल किया गया। माइल्ड-स्टेज स्टडी में उनमें सुरक्षित और मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स देखा गया है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की ही तरह इस वैक्सीन ने भी एंटीबॉडी और टी-सेल इम्यून रिस्पॉन्स को बढ़ाया जिससे वायरस के खिलाफ इम्यून सिस्टम को मजबूती मिली। कैनसिनो के को-फाउंडर और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर किउ डोंग्जू ने कहा है कि जल्द ही 40 हजार पार्टिसिपेंट्स पर फेज-3 के ट्रायल्स होंगे।

2. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेकाः लैंसेट में पब्लिश नतीजों ने वैक्सीन को बताया सेफ और इफेक्टिव

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर सर्दी के एक वायरस (एडेनोवायरस) के कमजोर वर्जन का इस्तेमाल किया और यह वैक्सीन बनाया। एडेनोवायरस चिम्पांजी में होने वाला इंफेक्शन है, जिसमें जेनेटिक बदलाव किए हैं। ताकि यह इंसानों में इससे मिलते-जुलते वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा कर सके। ह्यूमन ट्रायल्स के नतीजे सोमवार को मेडिकल जर्नल द लैंसेट में पब्लिश हुए हैं। इसमें दावा किया गया है कि यह वैक्सीन सेफ और इफेक्टिव है।

लैंसेट में छपी रिपोर्ट में एडिटर-इन-चीफ रिचर्ड हॉर्टन ने इस वैक्सीन के लिए तीन खास मेडिकल टर्म्स- safe, well-tolerated and immunogenic का इस्तेमाल किया है। यानी यह वैक्सीन सुरक्षित, अच्छी तरह सहन करने योग्य और प्रतिरक्षात्मक हैं। यह वैक्सीन कोरोनावायरस से दोहरी सुरक्षा दे सकती है। एक तो यह एंटीबॉडी डेवलप करती है जो वायरस से शरीर को बचाती है और वहीं किलर टी-सेल बनाती है जो वायरस पर सीधे हमला कर उसे नष्ट कर देते हैं।

3. सिनोफार्म- फेज-3 के ट्रायल्स शुरू, सबसे पहले आ सकती है वैक्सीन

चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्म ने जुलाई में यूएई में फेज-3 ट्रायल्स शुरू कर दिए हैं। अबु धाबी के स्वास्थ्य मंत्री ने सबसे पहले यह वैक्सीन लगवाया। इसके बाद 15 हजार वॉलेंटियर्स को वैक्सीन लगाया गया है। अब तक की स्टडी में इनएक्टिवेटेड वायरस को सेफ और इम्युन रिस्पॉन्स बढ़ाने वाला बताया गया है। सिनोफार्म ग्रुप ने 16 जून को कहा था कि उसके वैक्सीन ने फेज-1 और फेज-2 ट्रायल्स में अच्छी मात्रा में एंटीबॉडी प्रोड्यूस की है। यह ट्रायल 18-59 साल के 1,120 हेल्दी वॉलेंटियर्स पर किया गया। 14, 21 और 28 दिनों में लो, मीडियम और हाई डोज वैक्सीन दिए गए।

ग्रुप ने दावा किया कि 28 दिन में जिन्हें डोज दिया गया, उनके शरीर में 100% एंटीबॉडी कन्वर्जन रेट मिला है। हालांकि, इन ट्रायल्स के बारे में चीन की सरकारी कंपनी ने बहुत ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं की है, इससे काफी संदेह भी इस पर उठाए गए हैं। ब्लूमबर्ग की जून की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने चीन की सरकारी कंपनियों के एक्जीक्यूटिव्स को विदेश जाने से पहले वैक्सीन लगाने की पेशकश की थी। सिनोफार्म चेयरमैन लिउ जिंगझेन ने कहा कि मई तक 2 हजार लोगों पर इस वैक्सीन का ट्रायल हो चुका था और उनमें से किसी पर भी कोई निगेटिव इफेक्ट नजर नहीं आया।

4. सिनोवेक बायोटेक- बांग्लादेश में फेज-3 के ट्रायल्स शुरू

चीन की प्राइवेट कंपनी सिनोवेक बायोटेक ने भी CoronaVac नाम से वैक्सीन डेवलप किया है। यह पहला ऐसा वैक्सीन है जिसका प्रयोग बंदरों पर सफल रहा है। 19 अप्रैल को साइंस मैगजीन में पब्लिश पीयर रिव्यू रिपोर्ट में इस दावे की पुष्टि की गई है। कंपनी का दावा है कि इसके फेज-2 ट्रायल्स सफल रहे हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सिनोफार्म की ही तरह इसके वैक्सीन को भी दुनिया के सबसे मजबूत कैंडीडेट्स में से एक माना जा रहा है।

कंपनी ने बांग्लादेश और ब्राजील के रेगुलेटर्स से एग्रीमेंट किया है और फेज-3 ट्रायल्स शुरू हो गए हैं। ब्राजील में जहां 9 हजार हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को ट्रायल में शामिल किया गया है, वहीं बांग्लादेश में 2,100 प्रोफेशनल्स को। बांग्लादेश में इसकी इफेक्टिवनेस देखने के लिए 2,100 हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को वैक्सीन नहीं दिया गया है, ताकि अंतर भी स्पष्ट हो सके। सिनोवेक का दावा है कि यह वैक्सीन इसी साल तैयार हो जाएगा और उसकी एक साल में 100 मिलियन वैक्सीन बनाने की तैयारी है।

5. मॉडर्नाः 27 जुलाई से फेज-3 ट्रायल्स, अगले साल जनवरी तक वैक्सीन लाने की तैयारी

मॉडर्ना पहली अमेरिकी कंपनी है जिसने वैक्सीन को ह्यूमन ट्रायल्स स्टेज पर ला दिया है। वैक्सीन में मैसेंजर आरएनए (एमआरएनए) का इस्तेमाल किया गया है ताकि शरीर में वायरल प्रोटीन बनाया जा सके। मॉडर्ना ने 14 जुलाई को फेज-1 के उम्मीद जगाते नतीजे पब्लिश किए हैं। फेज-3 ट्रायल्स 27 जुलाई को शुरू होंगे। कंपनी को पूरी उम्मीद है कि वह 2021 की शुरुआत तक अपना वैक्सीन मार्केट में उतार देगी।

ह्यूमन ट्रायल्स के शुरुआती दो फेज में मॉर्डना के वैक्सीन ने 45 हेल्दी वॉलेंटियर्स में सेफ इम्यून रिस्पॉन्स दिया है। फेज-3 में 30 हजार वॉलेंटियर्स पर यह वैक्सीन आजमाया जाएगा। रिसर्चर्स ने बताया कि कोरोनवायरस की जेनेटिक कोडिंग का इस्तेमाल कर ही यह वैक्सीन बनाया गया है। यह वायरस को खत्म नहीं करता बल्कि शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूती देकर वायरस के प्रभाव से बचाता है। फर्म का दावा है कि वैक्सीन जिन्हें दिया गया उनके शरीर में कोरोनावायरस से उबर चुके मरीजों की तुलना में ज्यादा एंटीबॉडी पाए गए हैं।

भारत में भी चल रहे हैं ह्यूमन ट्रायल्स, नतीजों के लिए करना पड़ेगा इंतजार…
1. कोवैक्सीनः फेज 1 और फेज 2 के ट्रायल्स एक साथ शुरू

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी (एनआईवी) के साथ मिलकर भारतीय कंपनी भारत बायोटेक ने कोरोनावायरस के इनएक्टिवेटेड फॉर्म के आधार पर कोवैक्सीन तैयार किया है। कंपनी ने इसी महीने फेज-1 और फेज-2 के ट्रायल्स एक साथ शुरू किए हैं। शुरुआत में यह दावा किया गया था कि वैक्सीन 15 अगस्त तक तैयार हो जाएगी। हालांकि, भारत बायोटेक के सीईओ ने स्पष्ट किया कि 2021 के शुरुआती महीनों तक यह वैक्सीन बाजार में उपलब्ध होगी।

एम्स-दिल्ली के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया कि सोमवार को ही वॉलेंटियर्स की भर्ती शुरू हुई है। फेज-1 में 375 वॉलेंटियर्स पर यह ट्रायल होगा। दूसरे चरण में 750 वॉलेंटियर शामिल होंगे। 18-55 वर्ष की उम्र तक के हेल्दी वॉलेंटियर्स को इस ट्रायल में शामिल किया गया है। नौ राज्यों के 12 इंस्टिट्यूट्स में यह ट्रायल्स चल रहे हैं। टीका कब उपलब्ध होगा, इस पर गुलेरिया ने कहा कि यह ट्रायल्स के नतीजों पर निर्भर करेगा। यदि हर चीज ठीक से काम करती है तो साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में वैक्सीन बनाने का काम शुरू हो सकता है।

2. जायडस कैडीलाः 1,000 वॉलेंटियर्स पर तीन महीने होगा ह्यूमन ट्रायल

अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडस कैडीला ने दावा किया है कि उसका स्वदेशी वैक्सीन अगले साल की शुरुआत में लॉन्च हो जाएगा। ZyCoV-D एक प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है जिसे कंपनी के वैक्सीन टेक्नोलॉजी सेंटर (वीटीसी) ने डेवलप किया है। कंपनी ने 15 फरवरी को कोविड-19 के लिए अपने वैक्सीन डेवलपमेंट प्रोग्राम की घोषणा की थी।

जायडस कैडीला के चेयरमैन पंकज आर. पटेल ने एक इंटरव्यू में कहा कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, रिव्यू कमेटी ऑन जेनेरिक मैनिपुलेशन (आरसीजीएम) और सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी ने फेज-1 और फेज-2 के ह्यूमन ट्रायल्स की अनुमति दे दी है। भारत में कंपनी ने इन ट्रायल्स के लिए कई क्लिनिकल स्टडी साइट्स तय की हैं, जहां एक हजार से ज्यादा ह्यूमन सब्जेक्ट्स को एनरोल किया जाएगा। ट्रायल्स के नतीजों के आधार पर वैक्सीन को अगले साल लॉन्च के लिए तैयार कर लिया जाएगा। कंपनी ने फेज-1 और फेज-2 ट्रायल्स के लिए क्लिनिकल बैच बना लिए हैं।

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