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कोरोना पर होगा ड्रोन अटैक:ICMR की योजना- दुर्गम इलाकों में ड्रोन से होगी वैक्सीन की डिलीवरी, तेलंगाना सरकार ने ऐसा प्रोजेक्ट लॉन्च किया

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केंद्र और राज्य सरकारें अब ड्रोन से वैक्सीन डिलीवरी पर विचार कर रही हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने इस प्रोजेक्ट के लिए कंपनियों से बिड मांगी हैं। सरकार ये कदम उन इलाकों में वैक्सीन डिलीवरी के लिए उठा रही है, जहां सामान्य तरीकों से वैक्सीन पहुंचाने में मुश्किल आ रही है। इस बीच तेलंगाना सरकार ने मेडिकल सप्लाई के लिए ड्रोन डिलीवरी प्रोजेक्ट को लॉन्च कर दिया है ताकि पता लगाया जा सके कि ये सिस्टम काम करेगा या नहीं।

तेलंगाना सरकार के इस प्रोजेक्ट में फ्लिपकार्ट और डुंजो ने मदद करने का ऐलान किया है। ये डिलीवरी सिस्टम को डेवलप करेंगे और वैक्सीन डिलीवरी की स्कीम को आगे बढ़ाएंगे।

11 जून को ICMR की तरफ से जारी टेंडर में कहा गया है कि हर जगह तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए एक ऐसा सिस्टम डेवलप करने पर विचार किया जा रहा है, जिसमें ड्रोन के जरिए डिलीवरी की जा सके। ये डिलीवरी उन चुनिंदा इलाकों के लिए होगी, जहां वैक्सीन पहुंचाना मुमकिन नहीं हो पा रहा है। ये टेंडर HLL इन्फ्राटेक सर्विस लिमिटेड के जरिए सामने आया है। ये टेंडर कानपुर IIT की एक स्टडी के साथ जारी किया गया है, जिसमें अनमैन्ड एरियल व्हीकल के जरिए वैक्सीन डिलीवरी के अच्छे रिजल्ट सामने आए थे। अप्रैल में मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन ने ICMR को IIT कानपुर के साथ इस स्टडी की मंजूरी दी थी।

ICMR की रिक्वायरमेंट

  • ICMR ऐसे ड्रोन चाहता है, जो 100 मीटर की ऊंचाई पर 35 किलोमीटर तक उड़ान भर सकें।
  • ये ड्रोन कम से कम 4 किलो का वजन उठा पाने में सक्षम हों।
  • स्टडी में पैराशूट बेस्ड डिलीवरी को उपयुक्त नहीं माना गया है।

अभी समस्या क्यों?
केंद्र सरकार ने 20 कंपनियों का चयन किया था, जिन्हें ICMR की शर्तों के मुताबिक ड्रोन डिलीवरी का प्रयोग करना था। ICMR ने शर्त रखी थी कि डिलीवरी उन इलाकों में की जाए, जो दिखाई नहीं देते हैं। यानी beyond visual line of sight। पर अभी तक किसी भी कंपनी ने इस तरह का ऑपरेशन नहीं किया है, क्योंकि मौजूदा नियमों के मुताबिक, वे उन्हीं इलाकों में अपने ड्रोन ऑपरेट कर सकते हैं, जो विजुअल रेंज में होते हैं।

अभी देश में वैक्सीनेशन की स्थिति

  • अभी देश में बड़े पैमाने पर दो वैक्सीन ही इस्तेमाल हो रही हैं। इसमें कोवैक्सिन देश में बनी है। इसे भारत बायोटेक ने बनाया है। वहीं, ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कोवीशील्ड को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट बना रहा है।
  • रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-V को भारत में डॉक्टर रेड्डीज लैब बना रही है। हालांकि ये वैक्सीन अभी सिर्फ कुछ प्राइवेट अस्पतालों में ही मिल रही है। इसके जल्द ही हर जगह उपलब्ध होने की बात कही जा रही है।
  • DCGI के फैसले से फाइजर और मॉडर्ना जैसी वैक्सीन के देश में आने का रास्ता आसान हुआ है। अगर देश के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की बात करें तो अब तक 25 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दी जा चुकी है।

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