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केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान नहीं रहे:पासवान का 74 साल की उम्र में दिल्ली में निधन, पटना के दीघा घाट पर होगा अंतिम संस्कार; मोदी ने कहा- मैंने अपना दोस्त खो दिया

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केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का गुरुवार को दिल्ली में निधन हो गया। वे 74 साल के थे। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में भर्ती थे। उनके बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामविलास पासवान के निधन पर कहा कि वो अपना दुख शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं। मैंने अपना दोस्त खो दिया। रामविलास पासवान मोदी कैबिनेट में सबसे उम्रदराज मंत्री थे।

रामविलास पासवान का अंतिम संस्कार शनिवार को पटना के दीघा घाट पर किया जाएगा। सुबह 11 बजे चिराग पासवान उन्हें मुखाग्नि देंगे।

चिराग ने किया भावुक ट्वीट
पिता के निधन के बाद चिराग ने गुरुवार रात 8 बजकर 40 मिनट पर रामविलास पासवान और अपने बचपन की फोटो के साथ एक भावुक ट्वीट किया।

अपडेट्स…

  • पासवान का शव देर रात 3 बजे दिल्ली से पटना रवाना किया जाएगा। 5 बजे शव पटना पहुंचेगा और यहां से पार्टी कार्यालय और फिर विधानसभा ले जाया जाएगा।
  • रामविलास पासवान का अंतिम संस्कार पटना में किया जाएगा या उनके पैतृक गांव में इस पर फैसला अभी लिया जाना है।
  • मोदी ने रामविलास पासवान के निधन पर दुख जाहिर किया और कहा कि पासवान कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से राजनीति की ऊंचाइयों पर पहुंचे। वो एक असाधारण संसद सदस्य और मंत्री थे।
  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश ने एक दूरदर्शी नेता खो दिया है। रामविलास पासवान संसद के सबसे अधिक सक्रिय और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मेंबर रहे। वे दलितों की आवाज थे और उन्होंने हाशिये पर धकेल दिए गए लोगों की लड़ाई लड़ी।

दो बार हुई थी हार्ट सर्जरी

रामविलास पासवान 11 सितंबर को अस्पताल में भर्ती हुए थे। एम्स में 2 अक्टूबर की रात को उनकी हार्ट सर्जरी की गई थी। यह पासवान की दूसरी हार्ट सर्जरी थी। इससे पहले भी उनकी एक बायपास सर्जरी हो चुकी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चिराग पासवान को फोन कर केंद्रीय मंत्री के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी।

रामविलास पासवान ने अस्पताल में भर्ती होते वक्त 3 ट्वीट किए थे और कहा था कि वो चिराग के हर फैसले में साथ हैं।

चिराग ने पिता का अंत तक साथ नहीं छोड़ा

लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान के लिए कठिन समय है। बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने अकेले लड़ने का फैसला किया है। और, पिता रामविलास नहीं रहे। चिराग ने अपने पिता का अंतिम समय तक साथ नहीं छोड़ा। बीते दो महीने से, यानी जब से बिहार चुनावों की गहमागहमी शुरू हुई, तब भी चिराग पिता के पास दिल्ली में मौजूद रहे। जब पासवान की तबियत बिगड़नी शुरू हुई, उसके बाद से चिराग किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं गए। एक बार दिल्ली के महावीर मंदिर गए, जहां उन्होंने पिता के लिए प्रार्थना की। बिहार चुनाव की सरगर्मी के बावजूद उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं लिया। इंटरव्यू नहीं दिया और ना मीडिया में बयानबाजी की। लगातार अस्पताल और घर के बीच ही दौड़ते रहे। पार्टी की अहम बैठकों में भी केवल मौजूदगी के लिए पहुंचे। सोशल मीडिया के जरिए समर्थकों को पिता की बीमारी और स्वास्थ्य के बारे में जानकारी भी देते रहे।

सबसे ज्यादा अंतर से जीत का दो रिकार्ड बनाया
रामविलास पासवान ने अपने राजनीतिक करियर में दो बार सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने 1977 में 4.2 लाख वोट से जीत दर्ज कर पहली बार वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। दूसरी बार 1989 में भी उन्होंने 6.15 लाख से जीत हासिल कर अपना ही वर्ल्ड रिकार्ड तोड़ा था। दोनों ही बार उन्होंने हाजीपुर लोकसभा सीट पर यह रिकॉर्ड बनाया। पासवान हाजीपुर सीट से 8 बार सांसद रहे।

1969 में पासवान ने लड़ा था पहला चुनाव

  • रामविलास पासवान का जन्म पांच जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले एक गरीब और दलित परिवार में हुआ था।
  • उन्होंने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी से एमए और पटना यूनिवर्सिटी से एलएलबी की।
  • 1969 में पहली बार पासवान बिहार के राज्‍यसभा चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के कैंडिडेट के तौर पर चुनाव जीते।
  • 1977 में छठी लोकसभा में पासवान जनता पार्टी के टिकट पर सांसद बने।
  • 1982 में हुए लोकसभा चुनाव में पासवान दूसरी बार जीते।
  • 1983 में उन्‍होंने दलित सेना का गठन किया तथा 1989 में नौवीं लोकसभा में तीसरी बार चुने गए।
  • 1996 में दसवीं लोकसभा में वे निर्वाचित हुए।
  • 2000 में पासवान ने जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर लोक जन शक्ति पार्टी का गठन किया।
  • इसके बाद वह यूपीए सरकार से जुड़ गए और रसायन एवं खाद्य मंत्री और इस्पात मंत्री बने।
  • पासवान ने 2004 में लोकसभा चुनाव जीता, लेकिन 2009 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
  • बारहवीं, तेरहवीं और चौदहवीं लोकसभा में भी चुनाव जीते।
  • अगस्त 2010 में बिहार राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और कार्मिक तथा पेंशन मामले और ग्रामीण विकास समिति के सदस्य बनाए गए थे।
  • राजनीति के मौसम वैज्ञानिक थे पासवान:लालू-नीतीश से पहले ही राजनीति में आ चुके थे; दो शादियां कीं, पहली पत्नी अब भी गांव में रहती हैं और बीमार हैं

    लालू यादव, शरद यादव और रामविलास पासवान। यह फोटो करीब 35 साल पुरानी है। तब पासवान 1977 और 1980 का लोकसभा चुनाव जीत चुके थे।

    भारत की राजनीति में ‘मौसम वैज्ञानिक’ के नाम से भी पहचाने जाने वाले रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर पांच दशक से भी पुराना है। इस सदी या कहें कि बीते दो दशकों में वे केंद्र की हर सरकार में मंत्री रहे। पांच दशकों में रामविलास पासवान 8 बार लोकसभा के सदस्य रहे। पासवान उस वक्त बिहार विधानसभा के सदस्य बन गए थे, जब लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार अपने छात्र जीवन में ही थे।

    इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी वाली कांग्रेस सरकार से लड़ने से लेकर अगले पांच दशकों तक पासवान कई बार कांग्रेस के साथ, तो कभी खिलाफ चुनाव लड़ते रहे और जीतते रहे। 1977 के लोकसभा चुनाव में ही हाजीपुर सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े पासवान ने चार लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। इसके बाद 2014 तक उन्होंने आठ बार आम चुनावों में जीत हासिल की। फिलहाल वे राज्यसभा के सदस्य थे।

    1969 में शुरू हुआ था राजनीतिक सफर
    रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर 1969 में तब शुरू हुआ था, जब वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे। खगड़िया में एक दलित परिवार में 5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान राजनीति में आने से पहले बिहार प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे। पासवान ने इमरजेंसी का पूरा दौर जेल में गुजारा। इमरजेंसी खत्म होने के बाद पासवान छूटे और जनता दल में शामिल हो गए। जनता दल के ही टिकट पर उन्होंने हाजीपुर संसदीय सीट से 1977 के आम चुनाव में ऐसी जीत हासिल की, जो इतिहास में दर्ज हो गई।

    वीपी सिंह की सरकार में पहली बार कैबिनेट में आए पासवान
    1977 की रिकॉर्ड जीत के बाद रामविलास पासवान फिर से 1980 और 1989 के लोकसभा चुनावों में जीते। इसके बाद बनी विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में उन्हें पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया। अगले कई सालों तक विभिन्न सरकारों में पासवान ने रेल से लेकर दूरसंचार और कोयला मंत्रालय तक की जिम्मेदारी संभाली। इस बीच, वे भाजपा, कांग्रेस, राजद और जदयू के साथ कई गठबंधनों में रहे और केंद्र सरकार में मंत्री बने रहे। पासवान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली दोनों सरकारों में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रहे हैं

    एनडीए छोड़कर फिर आए वापस
    रामविलास पासवान ने 2002 के गोधरा दंगों के बाद तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी वाली सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देकर एनडीए गठबंधन से भी नाता तोड़ लिया था। इसके बाद पासवान कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) में शामिल हुए और मनमोहन सिंह कैबिनेट में दो बार मंत्री रहे। हालांकि, 2014 आते-आते पासवान एक बार फिर यूपीए का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए। 2014 और फिर 2019 में बनी नरेंद्र मोदी की दोनों सरकारों में उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में अहम मंत्रालय दिए गए।

    पासवान की निजी जिंदगी अक्सर परदे में रही
    देश की राजनीति में इतना लंबा समय गुजार चुके रामविलास पासवान की निजी जिंदगी लगभग परदे में ही रही। उनकी निजी जिंदगी पर बातें तभी हुई जब विवाद हुए। पासवान ने दो शादियां की है। उनकी पहली पत्नी से दो बेटियां हैं, जबकि दूसरी पत्नी से एक बेटे चिराग पासवान व एक बेटी है। उनकी पहली पत्नी अब भी उनके गांव शहरबन्नी में रहती हैं और इन दिनों बीमार भी हैं।

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