काेराेना इफेक्ट:डिप्रेशन के ठीक हाे चुके मरीज दाेबारा हाे रहे बीमार, दूसरे रोगों से पीड़ित लोगों काे लग रहा जान चली जाएगी
इम्युनिटी यानी शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता। कोरोना के दौर में यह शब्द देश और दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चा में है। इसके पीछे बड़ी वजह है, क्योंकि कमजोर इम्युनिटी वाले लोग कोरोना की चपेट में सबसे ज्यादा आसानी से आ रहे हैं। उन्हें जान का भी खतरा है। ऐसे में शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। हालांकि इम्युनिटी कुछ दिन या हफ्ते में नहीं बढ़ती। इसके लिए आपको रोजाना की लाइफ-स्टाइल और खान-पान में कई बदलाव करने पड़ेंगे।
बच्चों, बुजुर्गों और डायबिटीज, हार्ट डिसीज के मरीजों का इम्युन सिस्टम ज्यादा कमजोर होता है। आइए जानते हैं कि कौन से खाने-पीने की चीजें और एक्टिविटीज शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करते हैं।
रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूरी है, धूप में बैठें, माॅर्निंग वॉक करें
- दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टटेंट और ऑर्थोपेडिशियन डॉक्टर अखिलेश यादव कहते हैं कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए रोजाना की जिंदगी को संयमित बनाना होगा। सुबह सबसे पहले मॉर्निंग वॉक या योग करें। फिर नाश्ता। कुछ देर धूप में बैठें, इस दौरान हाथ-पैर खुले होने चाहिए।
- डॉक्टर अखिलेश कहते हैं कि उचित नींद भी बेहद जरूरी है, इससे भी इम्युनिटी बूस्ट होती है। सबसे अहम है सुबह के वक्त जल्दी उठना। जल्दी उठने का मतलब है गर्मी में सुबह 5 से 6 बजे के बीच और सर्दी में 6 से 7 बजे के बीच बिस्तर छोड़ देना। पर जल्दी उठने का यह कतई मतलब नहीं है कि आपको आधी-अधूरी नींद लेनी है।
- रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूरी है। कम नींद से शरीर में कॉर्टिसोल नामक हॉर्मोन के लेवल में बढ़ोतरी होती है। यह हॉर्मोन न केवल तनाव बढ़ाता है, बल्कि हमारे इम्युनिटी सिस्टम को भी कमजोर करता है।
दो मंत्र- रेस्पिरेटरी एटिकेट्स, पर्सनल हाइजीन
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. राजन शर्मा कहते हैं कि कोविड एक ड्रॉपलेट्स बेस्ड बीमारी है, इसलिए साफ-सफाई सबसे जरूरी चीज है। इसके लिए दो मंत्र हैं- रेस्पिरेटरी एटिकेट्स और पर्सनल हाइजीन। रेस्पिरेटरी एटिकेट्स का मतलब है कि छींकते, खांसते समय अपने मुंह को ढकें, मास्क अनिवार्य रूप से पहनें। हाइजीन का मतलब खुद को स्वस्थ रहने का तरीका।
विटामिन डी से भी इम्युनिटी सिस्टम मजबूत बनता है
मुंबई के स्वस्थ अस्पताल की डॉक्टर माधवी ठोके का मानना है कि धूप से मिलने वाला विटामिन-डी कोरोना से लड़ने में मददगार है, क्योंकि यह टी-सेल के निर्माण में सहायता करता है। यही टी-सेल इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत बनाने में बेहद मददगार होती है, जो कोरोना वायरस से लड़ने में फ्रंटलाइन वॉरियर का काम करती है।
गुनगुने पानी से बेहतर करें इम्युनिटी
आयुर्वेद चिकित्सक और लेखक डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार ब्रेकफास्ट और गुनगुना पानी भी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बहुत कारगर है। इससे पाचन और मेटाबॉलिज्म सही रहता है। इसके अलावा फेफड़ा तथा गला भी हेल्दी रहता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मेटाबॉलिज्म का महत्व होता है। हमारा मेटाबॉलिज्म जितना अच्छा होगा, हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी उतनी ही बेहतर होगी।
आयुष मंत्रालय के सुझावः योग-प्राणायाम कर बढ़ाए इम्युनिटी
इम्युनिटी बढ़ाने के लिए भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कुछ टिप्स शेयर किए हैं। इसके अनुसार नियमित रूप से आप योग, प्राणायाम करें। खाने में ज्यादा तेल-मसाले से बचें।
रिसर्च के मुताबिक- विटामिन डी से बढ़ती है इम्युनिटी
- कुछ रिसर्च में पता चला है कि बेहतर इम्युनिटी के लिए विटामिन डी बेहद जरूरी है। ब्रिटेन के क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल के डॉक्टर पीटर क्रिश्चिचन के नेतृत्व में 20 यूरोपियन देशों में हुई एक रिसर्च में पाया गया है कि कोरोना से जिन लोगों की मौत हुई है, उनके ब्लड में विटामिन डी की मात्रा बहुत कम थी।
- लुसियाना और टेक्सस के रिसर्चर्स ने एक अस्पताल में भर्ती कोरोना के 19 मरीजों पर की गई रिसर्च में पाया है कि इनमें से 11 में विटामिन डी की भारी कमी थी।
- इंडोनेशिया में 780 कोरोना पॉजिटिव मरीजों के हेल्थ डॉक्युमेंट्स की जांच गई, जिसमें पाया गया कि इनमें से जिन मरीजों की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हुई, सभी में विटामिन डी का स्तर सामान्य से बहुत कम था।
- गंभीर बीमारियों के मरीजों ने खुद को आइसोलेट किया, डर है कि परिवार न हो जाएं इनफेक्टेड
सिविल अस्पताल के नर्सिंग स्कूल में डी-एडिक्शन विभाग की ओपीडी में साइकेट्रिस्ट के पास दिमाग से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित मरीज बढ़ रहे हैं। एचओडी डॉ. अमन सूद का कहना है कि तीन महीनों में साइकेट्री के मरीजों में इजाफा हुआ है। जिन मरीजों का इलाज हो गया था, वे दोबारा डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। वहीं, साइकेट्रिस्ट विभाग के काउंसलिंग स्टाफ के अधिकारियों का कहना है कि अधिकतर लोगों के डिप्रेशन का कारण कोरोनावायरस है।
लोग अपने दिमाग में धारणा बना चुके हैं कि अगर कोरोना हो गया तो बचना मुश्किल है। हालांकि लोगों का ऐसा माइंडसेट होना स्वाभाविक भी है। लेकिन ज्यादातर लोगों में कोरोनावायरस को लेकर जागरूकता नहीं है। लोग अभी तक यह मानकर चल रहे हैं कि अगर परिवार के एक सदस्य को कोरोनावायरस की पुष्टि हो गई तो उनका सारा परिवार भी खतरे में पड़ जाएगा।
हर राेज 20 से अधिक मरीज आ रहे डिप्रेशन की दवा लेने
सिविल अस्पताल में कोरोनावायरस के मरीजों के इलाज के साथ अस्पताल परिसर में बने नर्सिंग स्कूल में रोजाना 20 से अधिक डिप्रेशन की दवा लेने अा रहे हैं। विभाग की ओपीडी के मुताबिक तीन महीने में दिमाग से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे 1500 से अधिक मरीज दवा लेने पहुुंच चुके हैं। इनमें से 60 फीसदी लोगों को नींद न आने की समस्या है। डॉ. अमन सूद ने कहा कि लॉकडाउन में घर में रहने के कारण अधिकतर लोग डिप्रेशन की शिकार हुए हैं। इनमें भी हर वर्ग का व्यक्ति शामिल है।
कंपनी ने सैलरी आधी कर दी ताे घर खर्च चलाना भी हुआ मुश्किल
ग्रीन माॅडल के रहने वाले 40 साल के व्यक्ति ने बताया कि फरवरी में नया घर लिया था। इसके चलते बैंक से 35 लाख का होम लोन लिया था। मार्च में लॉकडाउन के बाद कंपनी ने वर्क फ्राम होम किया। इसके बाद मई में सैलरी आधी कर दी। इसके बाद समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। बैंक लोन की किस्त नहीं दे पाने से डिप्रेशन हाे गया। इन हालात में शराब पीने से तबीयत ज्यादा खराब हो गई। अब 24 घंटे में 2 से 3 घंटे ही नींद आती है। भगत सिंह चौक निवासी संदीप ने कहा कि आधी सैलरी मिल रही है, बहुत सारे जरूरी काम रुक गए हैं। बिल तक नहीं दे पा रहा।
काेराेना के डर से 400 हाे गया शूगर लेवल
ज्वाला नगर के रहने वाले 48 साल के व्यक्ति का डिप्रेशन में जाने का मुख्य कारण कोरोनावायरस का डर है। साइकेट्रिस्ट भी इसकी पुष्टि कर चुके हैं। इन दिनों जो लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं, उनमें ज्यादातर यही सोच रहे हैं कि अगर उन्हें कोरोना हो गया तो ज्यादा दिन तक बच नहीं पाएंगे। वहीं, समाज और करीबी रिश्तेदार भी मरीज का बायकाट कर देते हैं। ऐसे में लोग घुटन महसूस हाेने लगती है। खुद काे घर के किसी कमरे में आइसोलेट कर लेते हैं और हर किसी को शक की नजर से देखते हैं। इसका कारण यह है कि वह दिमागी तौर पर बीमार हो रहे हैं।