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करतारपुर के बहाने घटिया चाल / पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा- 29 जून से करतारपुर कॉरिडोर फिर खोलेंगे; समझौते के तहत 7 दिन पहले बताना था, ताकि भारत तैयारी कर सके

करतारपुर कॉरिडोर का उद्धाटन पिछले साल 9 नवंबर को हुआ था कोरोनावायरस के चलते भारत और पाकिस्तान ने इसे 16 मार्च को बंद कर दिया था

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अमृतसर. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शनिवार को कहा कि करतारपुर कॉरिडोर 29 जून से फिर खोला जाएगा। इसकी जानकारी भारत को दे दी गई है। इस दौरान महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि मनाई जाएगी। करतारपुर कॉरिडोर 9 नवंबर 2019 को शुरू हुआ था। भारत और पाकिस्तान में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए 16 मार्च को इसे अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया था।

‘पाकिस्तान की गुगली’
यहां एक बात का जिक्र करना बेहद जरूरी है। बात दिसंबर 2018 की है। तब कुरैशी ने करतारपुर कॉरिडोर शुरू करने के प्रस्ताव पर कहा था- यह पाकिस्तान की गुगली है। इसका जवाब भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दिया था। स्वराज ने कहा था- आपने जिस गुगली शब्द का इस्तेमाल किया है, वो आपको ही बेनकाब करता है। इससे साबित होता है कि आपके दिल में सिखों के लिए कोई सम्मान नहीं है। आप सिर्फ ‘गुगलियां’ ही खेल रहे हैं।

आखिर, इतनी जल्दबाजी क्यों?
एक सवाल अहम है। कॉरिडोर महामारी की वजह से अस्थायी तौर पर बंद किया गया था। यह खतरा अब भी बरकरार है। पाकिस्तान में 2 लाख से ज्यादा संक्रमित हैं। 4 हजार से ज्यादा की मौत हो चुकी है। क्या कुरैशी ये साबित करना चाहते हैं कि पाकिस्तान में कोविड-19 का खतरा टल गया है? कुरैशी ने कहा है कि उन्होंने कॉरिडोर शुरू करने के पहले भारत को दिशा-निर्देशों (SOPs) पर बातचीत का न्योता दिया है। पाकिस्तान में हेल्थ सेक्टर के बदतरीन हालात किसी से छिपे नहीं हैं।

क्या साबित करना चाहता है पाकिस्तान?
दरअसल, पाकिस्तान खुद को दोस्ती और अमन का पैरोकार साबित करने की साजिश रच रहा है। 27 जून को करतारपुर कॉरिडोर खोलने का ऐलान करता है। इसके लिए सिर्फ दो दिन का वक्त देता है। जबकि, दोनों देशों के बीच समझौते के तहत यह तय है कि किसी भी यात्रा के लिए कम से कम 7 दिन पहले एक-दूसरे को जानकारी देनी होगी। इससे भारत को भी तैयारी के लिए वक्त मिलता। रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस शुरू किया जाता।

ब्रिज भी नहीं बनाया

समझौते के तहत पाकिस्तान को अपनी तरफ बहने वाली रवि नदी पर ब्रिज बनाना था। लेकिन, उसने नहीं बनाया। ब्रिज बनता तो सिख श्रद्धालुओं की यात्रा सुरक्षित और आसान हो जाती। मॉनसून के दौरान तो यह और भी जरूरी हो जाता है।

कई साल से 250 सिखों का जत्था लाहौर में महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि पर मत्था टेकने जाता रहा है। लेकिन, इस बार पाकिस्तान ने वीजा के लिए सिखों को न्योता नहीं दिया। हालात को देखते हुए सिख श्रद्धालुओं ने भी इंडियन हाईकमीशन से संपर्क नहीं किया। शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि पर लाहौर में तीन दिन का कार्यक्रम शुरू हो चुका है। 29 जून को इसका समापन होगा।

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