ऑनलाइन क्लास के लिए केंद्र के दिशा-निर्देश / प्री-प्राइमरी के लिए सिर्फ आधे घंटे की क्लास; पहली से आठवीं के लिए 45-45 मिनट के दो और 9वीं से 12वीं के चार सेशन चलाएं स्कूल
काेराेना महामारी के कारण स्कूल 16 मार्च से ही बंद हैं। इससे 24 कराेड़ से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ा है। 9वीं से 12वीं तक के बच्चाें के लिए 30 से 45 मिनट के सेशन होंगे ऑनलाइन पढ़ाई की कम से कम एक शिफ्ट राेजाना चलाना अनिवार्य ऑनलाइन क्लास पर पैरेंट्स की चिंताओं को देखते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए गए
नई दिल्ली. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ऑनलाइन क्लास के लिए नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इसे ‘प्रज्ञाता’ नाम दिया गया है। इसमें छात्राें के लिए एक दिन में ऑनलाइन पढ़ाई का कुल समय और सेशन की संख्या तय की गई। इसमें कहा गया है कि प्री-प्राइमरी के बच्चाें के लिए आधे घंटे से ज्यादा की ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हाेनी चाहिए। पहली से आठवीं क्लास तक के बच्चाें के लिए 45-45 मिनट के दाे सेशन और 9वीं से 12वीं क्लास तक के बच्चाें के लिए 30 से 45 मिनट के चार सेशन चलाने की सिफारिश की गई है।
रोज कम से कम एक शिफ्ट जरूरी
ऑनलाइन क्लास के बारे में पैंरेंट्स ने चिंता जताई थी। इसके बाद मंत्रालय ने इन दिशा-निर्देशों को तैयार किया। काेराेना महामारी के कारण स्कूल 16 मार्च से ही बंद हैं। इससे 24 कराेड़ से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ा है। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई को कम से कम एक शिफ्ट राेजाना चलाना जरूरी किया गया है।
प्रवासी मजदूराें के बच्चों काे गांव में ही एडमिशन मिलेगा
- केंद्र ने काेराेना संकट में घर लाैटे प्रवासी मजदूराें के बच्चाें काे उनके गांव में एडमिशन देने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
- मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि महामारी में स्थानीय क्षेत्रों को छोड़कर गए स्टूडेंट्स का डेटाबेस तैयार करें।
- ऐसे बच्चों को डेटा बैंक में ‘प्रवासी’ या ‘अस्थाई तौर पर अनुपलब्ध’ के रूप में दर्ज किया जाए। इन स्टूडेंट्स को बिना कागजात के स्कूलों में दाखिले के लिए कहा जा सकता है।
- मंत्रालय ने यह भी कहा कि राज्यों को यह भी तय करना होगा कि कोरोना महामारी के दौरान अपने-अपने गांवों की तरफ लौटे स्टूडेंट्स का स्कूलों से नाम न काटा जाए।
स्कूलों को पढ़ाने के तरीके फिर से तैयार करने होंगे
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पाेखरियाल ने कहा कि नए दिशा-निर्देश घर पर रह रहे बच्चाें काे ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। महामारी के असर को कम करने के लिए स्कूलों को न केवल पढ़ाने और सीखने के तरीके को फिर से तैयार करना होगा, बल्कि घर और स्कूल के लिए मिली-जुली गुणवत्तापूर्ण शिक्षा विधि भी पेश करनी हाेगी।