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इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की मान्यता को लेकर दिल्ली में आई.डी.सी मीटिंग में एक कदम आगे बढ़ी सरकार

इलैक्ट्रोहोमियोपेथी, राष्ट्रीय समन्वय समिति के कोआर्डिनेटर परमिंदर एस पांडेय, मुंबई ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा, कहा तेज़ी से फर्मिलटी करा ई.एच पैथी को दे मान्यता

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नई दिल्ली/ मुंबई 13 जनवरी: 

इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की मान्यता को लेकर दिल्ली में आई.डी.सी मीटिंग में केन्द्र सरकार एक कदम आगे बढ़ी हैं।
मैटी जयंती के अवसर पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी बाबत गत सोमवार की दिल्ली में मीटिंग कई मायनों में सार्थक रही। कमेटी के तथ्य जो सामने आए उन में निम्न मुख्य बिंदु है। सबसे पहले क्लिनिकल डाटा आई.डी.सी. के प्रोटोकॉल के अनुसार छपने चाहिए। दूसरे नंबर पर पब्लिकेशन, जर्नल आईडीसी के प्रोटोकॉल के अनुसार होने चाहिए। इसी प्रकार स्टैंडर्डाइजेशन ऑफ ड्रग, टेस्टोमोनियल, मेथाडोलॉजी एक तरीके से होना चाहिए।
फिलहाल आई.डी.सी. ने जो 7 क्राइटेरिया इलेक्ट्रो होम्योपैथी डॉक्टर्स की जॉइंट बॉडी को दिए थे, उनमें जो प्रपोजल जमा हुआ। लगातार मीटिंग में उन्होंने उनमें से 4 बिन्दुओं पर हम से सहमत हैं।
होम्यो शब्द या यह अन्य पैथियो से कैसे अलग है या दवा बनाने की विधि यानी हमारी फिलासफी से पूरी तरह सहमत है।

जी.एच.पी. को क्रास को उन्होंने स्वीकार किया। मीटिंग में उस पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं है, लेकिन यह तीन महत्वपूर्ण बिन्दू है कि भारत में इलेक्ट्रो होम्योपैथी पर 100 साल में क्या काम हुआ हैं। सरकार ये जानना चाहती हैं।

हमने जो सप्लीमेंट्री दिया वह प्रोटोकोल के अनुसार देना जरुरी है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी फाउंडेशन के ऑल इंडिया प्रधान डॉक्टर परमिंदर एस पांडेय कहते हैं कि
अब करो या मरो की स्थिति में सिस्टम हैं। हम लोगों को वो रास्ता दे रहे हैं। हमें उस पर चलना होगा अन्यथा पूरा सिस्टम खत्म हो जाएगा सिस्टम की मान्यता के लिये सही ढंग से आगे का रास्ता हमें चुनना होगा। इस पर पूरी रणनीति बनाकर आगे काम करना है। सब कर रहे हैं लेकिन अपने अपने तरीके से उसका कोई मतलब नहीं है। एक पूर्व नियोजित तरीके से कार्य होना चाहिए। ई.एच.एफ के पंजाब प्रमुख डॉ. प्रो. हरविंदर सिंह कहते हैं कि इलेक्ट्रोहोमियोपैथी सहित दुनिया भर में अल्टरनेटिव मेडिसिन सिस्टम की मांग बढ़ रही है। चिकित्सा जगत में यह पांचवीं पद्धति आज अपने वजूद के लिए लड़ रही है। दिल्ली में मीटिंग पर देश भर में काम कर रहे तकरीबन पांच लाख ईएच डॉक्टर्स में उम्मीद की किरण जगी है। ज्वाइंट बॉडी इलेक्ट्रोहोम्योपैथी प्रपोजलिस्ट कमेटी ऑफ़ इंडिया (जेबीईएचपीसीआई) ने अपने डॉक्यूमेंट सबमिट कर रखें हैं। अब इन पर दोबारा मंथन होना है।
बता दें कि इलेक्ट्रोहोमियोपैथी के जनक इटली निवासी डा. काउन्ट सीजर मैटी ने उक्त पैथी का खोज 1865 ई0 में की थी।
इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा विज्ञान वैकल्पिक प्रणाली की एक व्यापक शाखा है। इस चिकित्सा पद्धति में मूल रूप से औषधीय पौधों के रस को आसवन प्रक्रिया की सहायता से तैयार किया जाता हैं। वर्तमान में 114 प्रकार के औषधीय पौधों के रस से 38 प्रकार की मूल ओषधियाँ तैयार की जा रही हैं। जिनका उपयोग एकल व सम्मलित रूप से करते हुए 60 से अधिक औषधियों के रूप में उपयोग किया जाता है।
फाउंडेशन के पंजाब प्रमुख डॉ. प्रो. हरविंदर सिंह, महासचिव डॉ. वरिंदर कौर, मध्य प्रदेश प्रमुख डॉक्टर दिनेशचंद्र श्रीवास्तव, नेशनल एडवाइजर एम.एस हुसैन हैदराबाद, रिसर्च टीम इंडिया के डा.सुरेंद्र पाण्डेय मुंबई, मीडिया कॉर्डिनेटर डॉक्टर रितेश श्रीवास्तव बठिंडा ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन को इलेक्ट्रोहोमियोपैथी के मान्यता के संबंध में पत्र लिखा है। इस के मार्फत डॉक्टर्स कहते हैं कि सैकड़ों साल से मान्यता के लिए संघर्ष कर रही दुनिया की नौंवी व भारत की पांचवीं पैथी इलेक्ट्रोहोमियोपैथी अपने मान्यता के अंतिम पड़ाव पर है। इस पैथी को मान्यता के लिए आईडीसी कमेटी बनाकर लगभग पांच लाख प्रैक्टिसनरों को एक बड़ा सौभाग्य प्रदान किया है। इस पर तेज़ी से फर्मिल्टी पूरी करा कर इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को मान्यता प्रदान करें। डा. परमिंदर एस पांडेय, कोआर्डिनेटर, इलैक्ट्रोहोमियोपेथी, राष्ट्रीय समन्वय समिति का कहना है कि पांच लाख डॉक्टर्स की नज़रे केन्द्र सरकार पर है। लेटर की प्रतिलिपि श्रीपद नायक, आयुष मंत्री, अश्वनी कुमार चौंबे, स्वास्थ्य राज्य मंत्री, डा. डी.सी कटोच, चेयरमैन आईडीसी को भेजी गई है।

*फोटो* : इलेक्ट्रो होम्योपैथी फाउंडेशन के ऑल इंडिया प्रेसीडेंट व कॉर्डिनेटर इलैक्ट्रोहोमियोपेथी, राष्ट्रीय समन्वय समिति डॉ. परमिंदर एस. पांडेय, पंजाब प्रमुख डॉ. प्रो. हरविंदर सिंह, मध्य प्रदेश प्रमुख डॉक्टर दिनेशचंद्र श्रीवास्तव, नेशनल एडवाइजर एम.एस हुसैन हैदराबाद, रिसर्चर ई.एच प्रभात श्रीवास्तव, डॉ. के.पी सिनहा, एल.के.एस चौहान आगामी रणनीति पर चर्चा करते हुए।

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