अर्थव्यवस्था में जल्द उछाल की उम्मीद नहीं, नौकरियों में कटौती, कर्ज के बोझ और सोशल डिस्टेंसिंग के कारण बाजार से दूर हुए ग्राहक
नई दिल्ली. कोरोनावायरस संक्रमण के कारण उपभोक्ता खर्च में बड़ी गिरावट आई है। ऐसे में अर्थव्यवस्था में जल्द उछाल की उम्मीद नहीं दिख रही है। लॉकडाउन खुलने के बाद भी दुकानों से ग्राहक गायब हैं। इसके अलावा नौकरियों में कटौती, कर्ज का बोझ, नया कर्ज नहीं मिलने की उम्मीद और सोशल डिस्टेंसिंग के कारण ग्राहक बाजार से दूरी बनाए हुए हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता खपत की 60 फीसदी हिस्सेदारी है। यह मंदी एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर भारी दिख रही है। यह कारण है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में 4 दशक की सबसे बड़ी गिरावट की आशंका जताई जा रही है। आज हम पांच ऐसे कारण बता रहे हैं जिनके कारण अर्थव्यवस्था में जल्द उछाल की उम्मीद नहीं दिख रही है।
मई में 30 फीसदी कम ग्राहक रिटेल स्टोर पहुंचे
शॉपर्सट्रेक के डाटा के मुताबिक, भारत में रिटेल स्टोर जाने वाले ग्राहकों की संख्या में भारी कमी आई है। डाटा के मुताबिक, मई महीने में इसमें वार्षिक आधार पर 30 फीसदी की गिरावट रही है। जबकि पूरी तरह से देशव्यापी लॉकडाउन में बीते अप्रैल महीने में 90 फीसदी की गिरावट रही थी। शॉपर्सट्रेक ने यह डाटा रिटेल मार्केटप्लेस में लगी कलेक्शन डिवाइस और शॉपर्स विजिट से मिले इनपुट के आधार पर जारी किया है।
मार्च में ही गिरा क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डाटा के मुताबिक, मार्च महीने में ही क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन में बड़ी गिरावट रही थी। देशव्यापी लॉकडाउन मार्च के अंतिम सप्ताह में लागू हुआ था, लेकिन क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन में गिरावट इसकी घोषणा से पहले ही हो गई थी। मार्च महीने में करीब 164 मिलियन क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन रहे, जबकि जनवरी में इनकी संख्या 200 मिलियन से ज्यादा थी।
क्रेडिट कार्ड से मार्च में 50,700 करोड़ रुपए की खरीदारी
मार्च महीने में उपभोक्ताओं ने क्रेडिट कार्ड के जरिए खरीदारी पर भी कम रुपए खर्च किए। आरबीआई के डाटा के मुताबिक, मार्च महीने में उपभोक्ताओं ने खरीदारी पर क्रेडिट कार्ड से 50,700 करोड़ रुपए खर्च किए थे। जबकि इससे पहले के महीने यानी फरवरी में 62,500 करोड़ रुपए की खरीदारी की थी।
मई में उपभोक्ता कॉन्फिडेंस इंडेक्स में बड़ी गिरावट
कोरोनावायरस के कारण उपभोक्ता कॉन्फिडेंस इंडेक्स में मई महीने में बड़ी गिरावट दर्ज की गई और यह ऐतिहासिक स्तर तक गिर गया है। आरबीआई के मुताबिक, मई में उपभोक्ता कॉन्फिडेंस इंडेक्स गिरकर 63.70 अंक तक आ गया। उपभोक्ता कॉन्फिडेंस इंडेक्स का 100 अंकों पर आंकलन किया जाता है। इससे ऊंची रैंकिंग को सकारात्मक और नीची रैंकिंग को नकारात्मक माना जाता है।
भविष्य की खरीदारी को लेकर आशंकित हैं उपभोक्ता
मौजूदा हालातों को देखते हुए भारतीय उपभोक्ता भविष्य की खरीदारी को लेकर आशंकित दिख रहे हैं। आरबीआई के ताजा उपभोक्ता सेंटीमेंट सर्वे के मुताबिक उपभोक्ता अगले एक साल की अवधि में खर्च को लेकर काफी निराश हैं। एक साल आगे की खरीदारी का इंडेक्स 100 से गिरकर 97.90 अंकों पर आ गया है।