अयोध्या में 67 एकड़ भूमि पर 2 एकड़ में बनेगा देश का सबसे बड़ा रामलला मंदिर, हजार साल अपनी भव्यता का एहसास कराएगा
साढ़े तीन साल में मंदिर निर्माण को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया 65 एकड़ भूमि पर क्या-क्या सुविधाएं होंगी, यह मंदिर ट्रस्ट तय करेगा वास्तुकार निखिल सोमपुरा ने मंदिर निर्माण से जुड़े कामों पर बातचीत की
अयोध्या में 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन और शिलान्यास करेंगे। साल 1989 में प्रस्तावित मंदिर के मॉडल में बदलाव कर इसे और भव्य बना दिया गया है। पहले मंदिर के मुख्य शिखर की ऊंचाई 128 फीट थी, जो अब 161 फीट हो चुकी है। साथ ही तीन गुंबद की जगह पांच गुंबद और एक मुख्य शिखर कर दिया गया है। अयोध्या में शिलान्यास की तैयारियां तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद शनिवार को अयोध्या का दौरा कर तैयारियों की समीक्षा की। राममंदिर का नक्शा तैयार करने वाले मुख्य आर्किटेक्ट सोमपुरा के बेटे निखिल ने बताया कि 67 एकड़ की भूमि में 2 एकड़ में ही राममंदिर बनेगा। बाकी बची 65 एकड़ की जमीन पर राममंदिर परिसर का विस्तार किया जाएगा।
निखिल सोमपुरा ने बताया कि साढ़े 3 साल में सिर्फ मंदिर बनकर तैयार होगा। बीते दिनों हुई ट्रस्ट की बैठक में भी यही तय हुआ कि साढ़े 3 साल में पहले मंदिर बनाया जाएगा, बाकी आगे राम मंदिर परिसर का काम चलता रहेगा। हमें सिर्फ मंदिर बनाने का काम सौंपा गया है। आगे परिसर का काम कौन करेगा? यह ट्रस्ट तय करेगा। हालांकि ट्रस्ट ने लिस्ट बना ली है कि परिसर में क्या सुविधाएं रहेंगी। अब जिन्हें बनाने का काम दिया जाएगा, वह बनाएंगे। फिलहाल, अभी तो राममंदिर परिसर का नक्शा भी तैयार नहीं है।
देश का सबसे भव्य मंदिर बनेगा राममंदिर, तय समय पर पूरा करना बड़ी चुनौती
निखिल सोमपुरा कहते हैं कि राम मंदिर देश का सबसे भव्य मंदिर होगा। इतना भव्य मंदिर देश में कहीं नहीं होगा। विदेशों में तो कई बड़े भव्य मंदिर हैं, लेकिन देश में राम मंदिर जितना भव्य मंदिर कोई नहीं होगा। इसके निर्माण के लिए समय-सीमा हमारे लिए चुनौती है। साढ़े तीन साल में इसे तैयार करना है। राम मंदिर को लेकर लोगों की बहुत-सी अपेक्षाएं हैं। हम उन्हें ध्यान में रखकर जल्द से जल्द मंदिर तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि हम चाहकर भी कुछ गलत नहीं कर सकेंगे। राम मंदिर है, सब राम ही करेंगे।
राजस्थान से आएंगे या अयोध्या में तराशे जाएंगे पत्थर, ये एलएनएटी तय करेगी
निखिल सोमपुरा ने बताया कि कार्यशाला में जो पत्थर तराशे हुए रखे हैं, उनका यूज किया जाएगा। जबकि उसके अलावा बहुत से पत्थर चाहिए होंगे तो वह पत्थर उसी खदान से राजस्थान के बंशीपुर पहाड़पुर से आएगा। हालांकि यह पत्थर अयोध्या में तराशे जाएंगे या राजस्थान से तराश कर आएंगे या एलएनटी (लार्सन एंड टर्बो कंपनी) तय करेगी। राममंदिर निर्माण के लिए कितना मैन पावर लगेगा या कितनी मशीनें लगेंगी या एलएनटी ही तय करेगा। अभी उनका रिसर्च वर्क चल रहा है। डेटा जब कलेक्ट हो जाएगा तब तय होगा कितना मैन पावर लगेगा। हालांकि, जितनी मशीनरी होगी, मैन पावर उतना ही कम होगा। इस समय कई बड़ी-बड़ी मशीन हैं, जो कि मंदिर बनाने में उपयोग की जा सकती है। जिसमें हाइड्रा, टावर क्रेन जैसी बड़ी मशीन शामिल है। अभी एलएनटी मंदिर के अलग-अलग हिस्से के निर्माण के लिए अलग-अलग लोगों को काम बांटेगा, उसके बाद ही तय होगा कि कितना मैन पावर लगेगा।
हजार साल तक खड़ा रहेगा मंदिर
निखिल सोमपुरा ने बताया कि जब हम कोई बड़ा मंदिर बनाते हैं तो हजार डेढ़ हजार साल की स्टेबिलिटी को लेकर ही चलते हैं। यह मान कर चलिए कि यह मंदिर अगले हजार साल तक खड़ा रहेगा। निखिल खजुराहो का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि वहां 800 साल का समय हो चुका है। अभी भी कई मंदिर हैं जो बहुत पुराने हैं।
200 फुट नीचे की मिट्टी का सैम्पल लिया गया
निखिल ने बताया कि मंदिर मजबूत बने इसके लिए कितनी गहरी नींव खोदनी है। अंदर की मिट्टी कितना भार सह पाएगी यह कुछ कहा नही जा सकता है। इसके लिए 200 फुट पर सॉयल सैंपलिंग (मृदा परीक्षण) कराई गई है। जब उसकी रिपोर्ट आएगी तभी तय होगा कि नींव कितनी गहरी होगी। यह भी एलएनटी तय करेगी।