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अंतिम वर्ष के छात्रों को नहीं देनी होगी परीक्षा, पिछले सेमेस्टर के आधार पर मूल्यांकन से रिजल्ट की तैयारी

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देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष के लाखों छात्रों के लिए राहत की खबर है। कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जुलाई में आयोजित होने वाली वार्षिक परीक्षा की बजाय इंटरनल असेसमेंट और पूर्व सेमेस्टर के प्रदर्शन के आधार पर रिजल्ट जारी करने की तैयारी हो रही है।

सरकार ने इसके लिए हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरसी कुहाड़ की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है। इसी हफ्ते विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी)अंतिम वर्ष के छात्रों और 2020 सत्र में दाखिले के लिए संशोधित गाइडलाइन जारी करेगा।
सरकार के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक,महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा और ओडिशा सरकार ने कोरोना के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए फाइनल ईयर के छात्रों की जुलाई में आयोजित होने वाली वार्षिक परीक्षा न लेने का फैसला लिया है। इसी के चलते कई अन्य राज्यों ने भी सरकार से फाइनल ईयर की परीक्षा न करवाने की मांग रखी है। इसीलिए कमेटी बना दी गई है, ताकि विभिन्न विश्वविद्यालयों व हितधारकों से बात करके नई रिवाइज गाइडलाइन तैयार की जा सके।
बाद में रिजल्ट सुधारने का विकल्प
फाइनल ईयर के छात्रों को यदि लगता है कि इंटरनल असेसमेंट और पूर्व सेमेस्टर के आधार पर तैयार रिजल्ट में उनके अंक या ग्रेड कम हैं तो वे जब भी कोरोना हालात ठीक होंगे तो अपने विश्वविद्यालय में जाकर लिखित परीक्षा के लिए आवेदन कर सकेंगे। इसके बाद उनकी डिग्री व मॉकर्सशीट में संशोधन हो जाएगा।

यूजीसी ने 29 अप्रैल की गाइडलाइन में दिया था प्रावधान
सरकार के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, मानव संसाधन विकास मंत्रालय व यूजीसी की 29 अप्रैल को जारी गाइडलाइन में प्रावधान दिया था कि यदि कोरोना हालात नहीं सुधरते हैं तो फाइनल ईयर के छात्रों की भी परीक्षा की बजाय  इंटरनल असेसमेंट और पूर्व सेमेस्टर से रिजल्ट तैयार किया जा सकता है। इसलिए यह संभव है। बस यूजीसी को रिवाइज गाइडलाइन जारी करनी होगी।

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