देश में कोरोना के नए मामले अब कम होने लगे हैं। शनिवार को कोरोना के 1 लाख 14 हजार 415 मामले सामने आए। यह 2 महीनों में एक दिन में मिले नए पॉजिटिव केस में सबसे कम हैं। कहा जा रहा है कि दूसरी लहर ढलान पर है। सीरो सर्वे के मुताबिक जनवरी तक 21% आबादी इन्फेक्ट हो चुकी थी। इसके बाद दूसरी लहर आई, जिसमें करीब एक करोड़ केस सामने आए। कई छूट भी गए होंगे, जिसका पता लगाने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) देश में चौथा सीरो सर्वे करने की तैयारी में है। इससे हर्ड इम्यूनिटी को लेकर तस्वीर कुछ हद तक साफ हो सकती है।
आइए जानते हैं कि सीरो सर्वे क्या होता है, कैसे होता है और कोविड-19 को समझने में कितना मददगार है…
सीरो सर्वे होता क्या है?
सीरो सर्वे सेरोलॉजी टेस्ट से होता है। इसमें ब्लड सैम्पल लेकर टेस्ट किया जाता है। किसी खास इन्फेक्शन के खिलाफ बनी एंटीबॉडी की जांच होती है। जब भी कोई वायरस आपके शरीर में आता है, तो शरीर का इम्यून सिस्टम उस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है। ये एंटीबॉडी करीब एक महीने तक आपके ब्लड में रहती है। सीधा-सा मतलब है कि अगर आपके शरीर में एंटीबॉडी बनी है तो हाल ही में आप वायरस से इन्फेक्ट हुए थे।
सीरो सर्वे कैसे किया जाता है?
सीरो सर्वे के लिए रैंडम सैम्पलिंग की जाती है। पिछले साल देश में पहला सीरो सर्वे हुआ था, तब देश को 2 भागों में बांटा गया था। पहले हिस्से में वे शहर या जिले थे जिनमें इन्फेक्शन रेट सबसे ज्यादा थी। इन शहरों में 5 कंटेनमेंट ज़ोन चुने गए। हर कंटेनमेंट जोन से 10-10 लोगों के ब्लड सैम्पल लिए गए।
दूसरे हिस्से में करीब 60 जिले या शहर चुने गए जिन्हें कोरोना के कन्फर्म्ड केस के आधार पर लो, मीडियम और हाई कैटेगरी में बांटा गया। इन सभी जगहों से 10 कंटेनमेंट जोन में से सैंपल लिए गए। यानी कोशिश होती है कि देश के ज्यादातर हिस्सों से अलग-अलग वर्ग के लोगों का सैम्पल लिया जाए ताकि सही और सटीक आंकड़े मिल सकें।
सीरो सर्वे कितना जरूरी है?
कोरोना महामारी पूरे चिकित्सा जगत के लिए नई है। इसके बारे में वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के पास पहले से कोई जानकारी मौजूद नहीं है। इसलिए महामारी से जुड़े बुनियादी सवालों का जवाब पता करने के लिए सीरो सर्वे किया जाता है ताकि भविष्य में बीमारी से लड़ने की रणनीति तैयार की जा सके। सीरो सर्वे के जरिए वैज्ञानिक और डॉक्टर इन सवालों के जवाब पता करने की कोशिश करते हैं।
- जिन लोगों में एंटीबॉडी बनी है, वे इन्फेक्शन रोकने दीवार की तरह काम करते हैं। इसे हर्ड इम्यूनिटी कहते हैं। सीरो सर्वे से इसका पता लगाने में मदद मिलती है।
- सीरो सर्वे से पता चलता है कि देश की कितने प्रतिशत आबादी में एंटीबॉडी है। विशेषज्ञों के मुताबिक जब 60-70% आबादी में एंटीबॉडी डेवलप हो जाएगी, तब हर्ड इम्यूनिटी बन जाएगी।
- देश के किन इलाकों में और किस उम्र के लोगों में इन्फेक्शन ज्यादा है? कितने लोग कोरोना से इन्फेक्ट हुए और इन्फेक्टेड लोगों में एंटीबॉडी कब तक रहेगी?
अब तक देश में कितने सीरो सर्व हुए और उनमें क्या नतीजे मिले
ICMR ने देश में पहला सीरो सर्वे मई 2020 में किया था। इसके बाद 2 और सीरो सर्वे किए गए। अंतिम सीरो सर्वे 17 दिसंबर 2020 से 8 जनवरी 2021 के बीच हुआ था। इस सर्वे के नतीजों में पता लगा था कि देश की 21.5% आबादी कोरोना से संक्रमित हो चुकी है। अभी भी 80% लोगों में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा है।
पूरे देश में रैंडम सैंपलिंग के आधार पर 28,589 लोगों के बीच यह सर्वे किया गया था। पहले सीरो सर्वे में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को ही शामिल किया गया था। इसके बाद के दोनों सर्वे में 10 साल से अधिक उम्र के बच्चे भी शामिल थे। अलग-अलग शहरों और राज्यों ने अपने स्तर पर भी सीरो सर्वे भी किए हैं।
क्या भारत में हर्ड इम्यूनिटी विकसित करने लायक आबादी में एंटीबॉडी मौजूद है?
हर्ड इम्यूनिटी 2 तरीकों से हासिल हो सकती है। पहला तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा आबादी को वैक्सीनेट किया जाए। दूसरा तरीका है कि आबादी का बड़ा हिस्सा वायरस से इन्फेक्ट होकर एंटीबॉडी डेवलप करे। इन दोनों ही पैरामीटर पर देखें तो फिलहाल भारत में हर्ड इम्यूनिटी काफी दूर है।
देश में 23 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। ये कुल आबादी का केवल 13% है। दूसरी ओर, सीरो सर्वे में 21% आबादी में ही एंटीबॉडी होने की पुष्टि हुई है। कोरोना की दूसरी लहर में ये आंकड़ा बढ़ा जरूर होगा, पर क्या यह हर्ड इम्यूनिटी तक पहुंच सका है? इसकी जानकारी सीरो सर्वे से ही मिलेगी।
चौथा सीरो सर्वे कब किया जा सकता है?
IMCR इसी महीने देश में चौथा सीरो सर्वे शुरू करेगा। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण फैलने की आशंका के बीच इस सर्वे में 6 साल से बड़े बच्चों को भी शामिल किया जाएगा। इससे पहले हुए सर्वे में केवल 10 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को ही शामिल किया गया था। साथ ही दूसरी लहर में ग्रामीण इलाकों में संक्रमण फैलने के मामलों को ध्यान में रखते हुए चौथे सीरो सर्वे का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों पर ज्यादा होगा।
सीरो सर्वे से क्या पता नहीं लगता है?
- सीरो सर्वे से ये तो पता लगाया जा सकता है कि कितने लोगों के शरीर में एंटीबॉडी है, लेकिन क्या ये एंटीबॉडी वायरस से लड़ने में सक्षम है इसका पता नहीं लगाया जा सकता। हर इंसान का इम्यूनिटी लेवल अलग-अलग होता है इसलिए ये नहीं कहा जा सकता कि जिन लोगों में भी एंटीबॉडी है, वे सभी कोरोना के खिलाफ इम्यून भी हैं।
- साथ ही हर्ड इम्यूनिटी पाने के लिए कितने प्रतिशत आबादी में एंटीबॉडी होना जरूरी है, इसका भी सटीक आंकड़ा वैज्ञानिकों के पास नहीं है। सीरो सर्वे से कितने प्रतिशत आबादी में एंटीबॉडी है ये तो पता लगाया जा सकता है, लेकिन क्या ये हर्ड इम्यूनिटी पाने के लिए पर्याप्त है इसका पता नहीं लगाया जा सकता।